मोदी से शाहाबाद की धरती से भोजपुरी को मान्यता की अपील
वीकेएसयू को मेडिकल कॉलेज के बदले स्काडा की भूमि देने की मांग

आरा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 30 मई को विक्रमगंज यात्रा के पूर्व भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग तेज हो गई है। इस सिलसिले में भोजपुरी छात्र संघ और अन्य संगठनों से जुड़े बुद्धिजीवियों की एक बैठक और प्रेस वार्ता विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभाग सभागार में हुई। बैठक में सीनेटर प्रो बलिराज ठाकुर ने कहा कि साहित्य,क्षेत्रफल और बोलनेवालों की दृष्टि से भोजपुरी एक वृहद और समृद्ध भाषा है, अबतक मान्यता ना मिलना भोजपुरिया लोगों के साथ अन्याय है. भोजपुरिया जनमोर्चा के बिनोद सिंह ने कहा कि राष्ट्रनिर्माण में भोजपुरी लोगों को भूमिका को नकारा नहीं जा सकता मगर अब तक मान्यता ना मिलने से भोजपुरी क्षेत्र सामाजिक, आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है. पूर्व विभागाध्यक्ष और कथाकार नीरज सिंह ने कहा कि दशकों पुराने भोजपुरी आंदोलन की मांग को अब सरकार अनसुना नहीं कर सकती. भोजपुरी छात्र संघ सह संयोजक सोहित सिन्हा ने कहा कि विश्वविद्यालय की जमीन मेडिकल कॉलेज को दी गई और उसके बदले अबतक भूमि नहीं देने से शाहाबाद के एकमात्र विश्वविद्यालय के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लग गया है.

अध्यक्षता करते हुए प्रो दिवाकर पाण्डेय ने कहा कि विश्वविद्यालय को स्काडा परिसर की भूमि देने की मांग को शीघ्र पूरा होना चाहिए और भोजपुरी को मान्यता देने से शिक्षा और शोध के नए आयाम खुलेंगे. बैठक को संबोधित करने वाले वक्ताओं में भोजपुरी छात्र संघ के संयोजक स्यंदन सुमन, पूर्व सदस्य, भोजपुरी अकादमी दिल्ली सरकार के रवि प्रकाश सूरज प्रमुख थे. सभी वक्ताओं ने शाहाबाद की धरती से प्रधानमंत्री से भोजपुरी को मान्यता देने की घोषणा करने की अपील की. भोजपुरी जनजागरण अभियान, भोजपुरी छात्र संघ, शाहाबाद महोत्सव आयोजन समिति, बिक्रमगंज कॉलिंग, भोजपुरी समागम, रोहतास डिस्ट्रिक्ट फेसबुक पोर्टल आदि संगठनों के सदस्यों ने दोपहर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स से पीएम और गृहमंत्री को टैग करते हुए ट्वीट अभियान में भाग लिया. ज्ञात हो कि भोजपुरी आंदोलन से जुड़े कई संगठन भोजपुरी की मान्यता को लेकर मुखर हुए हैं.