देव चैती छठ मेला 2023 को लेकर डीएम ने किया निरीक्षण

मेला क्षेत्र में साफ सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश बनाए गए बैरिकेडिंग का निरीक्षण किया गया देव सूर्य कुंड एवं रूद्र कुंड के पास बना नियंत्रण कक्ष जिला पदाधिकारी सौरभ जोरवाल एवं पुलिस अधीक्षक स्वप्ना मेश्राम ने  देव मेला क्षेत्र का निरीक्षण किया एवं आवश्यक दिशा निर्देश दिए . जिला पदाधिकारी द्वारा इस दौरान देव चैती छठ मेला 2023 के दौरान दी जाने वाली सभी प्रकार की सुविधाओं का निरीक्षण किया गया। भवन निर्माण विभाग द्वारा बनाए गए बैरिकेडिंग का निरीक्षण किया गया एवं वाहनों की पार्किंग के संबंध में आवश्यक निर्देश दिए गए. नगर कार्यपालक पदाधिकारी, अजीत कुमार को मेला क्षेत्र में साफ सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया. जिला पदाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक द्वारा देव सूर्य कुंड एवं रूद्र कुंड के साथ साथ नियंत्रण कक्ष का भी निरीक्षण किया गया. पुलिस अधीक्षक द्वारा मेला क्षेत्र में पुलिस कर्मियों की प्रतिनियुक्ति एवं विधि व्यवस्था के दृष्टिकोण से सभी स्थलों का बारीकी से निरीक्षण किया गया एवं संबंधित पुलिस पदाधिकारियों को इस संबंध में निर्देश दिया गया. मौके पर  सहायक समाहर्ता शुभम कुमार, सदर अनुमंडल पदाधिकारी विजयंत, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सदर स्वीटी सहरावत, कार्यपालक अभियंता भवन निर्माण विभाग शशिभूषण कुमार, एएसपी अभियान मुकेश कुमार, नगर कार्यपालक पदाधिकारी अजीत कुमार, मुख्य पार्षद नगर पंचायत देव, उप मुख्य पार्षद नगर पंचायत देव, सहायक अभियंता एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे. PNCDESK

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नहाय खाय के साथ लोक आस्था का महान पर्व चैती छठ शुरू

लोक आस्था का महापर्व चैती छठ की शुरुआत नहाय खाये के साथ 25 मार्च से शुरू है. साल भर में 2 बार छठ मनाया जाता है. मार्च या अप्रैल के महीने में चैती छठ और दूसरा कार्तिक मास अक्टूबर या नवंबर में मनाया जाता है. देश के कई हिस्सों में इस पर्व को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है. खासकर बिहार, झारखण्ड, उत्तरप्रदेश में इस लोक आस्था के महापर्व को बड़े ही आस्था के साथ मनाते हैं. देवघर स्थित बैद्यनाथ मंदिर के प्रसिद्ध तीर्थपुरोहित श्रीनाथ पंडित ने न्यूज़ 18 लोकल से बताया कि 25 मार्च को भरणी नक्षत्र में नहाय-खाय के साथ चैती छठ महापर्व शुरू होगा. उस दिन व्रती गंगा स्नान कर अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी, आंवले की चाशनी आदि ग्रहण कर चार दिवसीय इस महापर्व का संकल्प लेंगे. 26 मार्च रविवार को कृत्तिका नक्षत्र और प्रीति योग में व्रती पूरे दिन उपवास कर संध्या काल में खरना की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करेंगे. इसी के साथ व्रतियों का 36 घंटे निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा. सूर्य अर्ध्य अर्पित करने का शुभ मुहूर्त: उन्होंने बताया कि 27 मार्च को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा और 28 मार्य को उदयमान सूर्य को अर्ध्य अर्पित कर पारण किया जाएगा. 27 मार्च को शाम के अर्ध्य के लिए 5.30 बजे व 28 मार्च को सुबह के अर्ध्य के लिए 5.55 बजे का मुहूर्त शुभ है. चैती छठ का महत्व: तीर्थ पुरोहित श्रीनाथ पंडित बताते है कि चैती छठ सबसे प्राचीनतम छठ पर्व है. इस महीने में होने

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नहीं दिखा चांद, शुक्रवार से रमजान शुरू

फूलवारी शरीफ,22 मार्च. पवित्र माह रमजान का चांद बुधवार को देश के किसी भी हिस्से में नहीं देखा गया. इस कारण शुक्रवार से माहे रमजान की शुरुआत होगी और पहला रोजा शुक्रवार को रखा जाएगा. गुरुवार से तरावी होगी और शहरी की भी शुरुआत होगी. बिहार झारखंड उड़ीसा के मुसलमानों की सबसे बड़ी एदारा इमारत शरिया के काजी ए शरीयत मौलाना अंजार आलम कासमी एवं खानकाह ए मुजिबिया फुलवारी शरीफ के प्रशासक हजरत मौलाना मिनहाजुद्दीन कादरी ने घोषणा किया है कि गुरुवार को माहे रमजान का चांद नजर नहीं आया , इस कारण माहे रमजान की 1 तारीख शुक्रवार होगी और पहला रोजा शुक्रवार से शुरू होगा . गुरुवार से रमजान का पहला तरावीह की नमाज मस्जिदों में शुरू हो जाएगी . तरावीह की तारीख तय होने के साथ ही मस्जिदों में तमाम तैयारियां पूरी कर ली गईं. इसके तहत रंगाई-पुताई, साफ-सफाई, बिजली, पानी आदि की व्यवस्था पूरी की गई. गर्मी के मद्देनजर तमाम मस्जिदों में रोजेदारों की सुविधा के लिए पंखे, कूलर के इंतजाम किए गए . वजूखाने में वाटर सप्लाई के लिए लगी जो टोटियां खराब हो गई थीं, उन्हें बदला गया ताकि रोजेदारों को कोई दिक्कत न हो. सहरी और इफ्तार का वक्त बताने वाली, मस्जिदों की मीनारों पर लगी बत्तियां भी दुरुस्त कराई गईं. चटाई, जानमाज की भी खरीद की गई. इसी तरह तमाम कमेटियों की ओर से भी लाउडस्पीकर का इंतजाम किया गया .

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पूरे दिन है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

पटना, 22 मार्च. नवरात्र मातृशक्ति की आराधना का सबसे महत्त्पूर्ण अनुष्ठान होता है. जिसमें माँ जगदम्बे के नौ स्वरूपों की नौ दिनों तक विधि-विधान से पूजा की जाती है. नौ दिनों की अवधि को नवरात्र कहा जाता है और नवरात्र में भक्त जगत जननी की भक्ति में लीन रहते हैं. सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार वर्ष भर में 4 नवरात्र होते हैं. जिनमें दो उदय नवरात्र जबकि दो गुप्त नवरात्र होते हैं. उदय नवरात्र में से एक चैत्र नवरात्र के साथ नव संवत्सर की शुरुआत होती है. 22 मार्च, दिन बुधवार से मातृशक्ति की आराधना का महान पर्व चैत्र नवरात्र शुरू हो रहा है. नवरात्र के दौरान शक्ति के 9 स्वरूपों की उपासना की जाती है. प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणीतृतीयं चंद्रघंटेति कूष्मांडेति चतुर्थकम्पंचमं स्कंदमातेति षष्ठं कात्यायनीति चसप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमंनवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिताः यानि शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाताकात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री माँ के इन नौ स्वरूपों की पूजा-आराधना होती है तो चलिए जान लेते हैं कि इस बार शारदीय नवरात्र का अनुष्ठान कैसे करें : ब्रह्मपुर के बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर के मुख्य पुजारी उमलेश पाण्डेय बताते हैं कि नवरात्र के पहले दिन विधि-विधान से कलश स्थापना करनी चाहिए. श्री संवत 2080 राजा बुध, मंत्री शुक्र है और कलश स्थापना सुबह से रात्रि तक एकम में नल नाम संवत्सर है. कलश स्थापना से पहले गणेश और गौरी की षोडशोपचार पूजा करें. फिर कलश-स्थापना कर वरुण आदि देवताओं सहित सभी तीर्थों और पवित्र नदियों का आवाहन करें. कलश के पूजन के बाद षोडशमातृका और नवग्रह पूजन

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हाइटेक तकनीक के जरिये हुई 9वीं सदी की माता की पारम्परिक पूजा

माँ बरेजी के पूजनोत्सव में लगा मेडिकल कैंप, दूर-दूर से जुटे श्रद्धालु, 1500 लोगों की हुई जांच वीडियो कॉलिंग से हुई पूजा की शुरुआत वृन्दावन गोवर्धन, उत्तर प्रदेश से परमपूज्य जगतगुरु स्वामी राधामोहन शरण देवचार्ज महाराज ने श्रद्धांलूओ को दिया आशीर्वाद आरा/जेठवार,14 मार्च. बदलते जमाने में हाई टेक्नोलॉजी के साथ ही लोगों के दैनिक जीवन से लेकर धार्मिक अनुष्ठानों में लगातार बदलाव देखने को मिल रहा है. यह बदलाव कभी तकनीक, तो कभी परिवेश और कभी ट्रेन्डिंग की मांग बन गयी गई है. इस बदलाव को सही या गलत मानने और इसका विरोध करने से कहीं ज्यादा इसे सकरात्मक रूप से देखने की जरूरत है क्योंकि तकनीक ने समय, मांग,संसाधनों को कहीं न कहीं से सदुपयोग के योग्य बना हमें अपने दिनचर्या से लेकर सँस्कृति से जोड़े रखा है. आप यह सोच रहे होंगे कि इतना डिस्कशन क्यों हो रहा है तो आपको बता दूँ कि इसी तकनीक का उपयोग कर पिछले दिनों भोजपुर के जेठवार में एक ऐसा ही आयोजन हुआ जिसमें गाँव ही नही बल्कि आस-पास के कई गांवों के लोग उसमें शामिल हुए. 12-13 मार्च को दो दिवसीय आयोजन में भक्तिमय वातावरण की धूमजिला मुख्यालय से लेकर सोशल मीडिया तक देखने को मिला. आइए अब आपको यह बता दें कि यह कैसा और किस तरह का आयोजन था. जेठवार में भट्ट समुदाय की देवी हैं बरेजी देवी जिनका सलाना पूजा हर वर्ष श्रद्धा और उमंग से वहाँ के स्थानीय लोग मनाते हैं. यह पूजा माँ बरेजी मंदिर ट्रस्ट, जेठवार संचालित करता है. माँ बरेजी की स्थापना 1969

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किनकी भक्ति के बिना नारायण होते हैं रुष्ट

श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ और शिव-पार्वती विवाह संपन्न “जो महादेव की भक्ति नहीं करता है, मेरे पास उसका कोई स्थान नहीं” 50 हजार से अधिक लोगों की दिखी भीड़ आरा,19 फरवरी. जीयर स्वामी महाराज के सानिध्य में बखोरापुर में हो रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का समापन शनिवार को हो गया. महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर शिव पार्वती विवाहोत्सव का भव्य रुप से आयोजन किया गया. काशी मथुरा बनारस जैसे कई जगहों से आए आचार्य के मंत्र से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो उठा. विधि-विधान एवम् मांगलिक गीतों के साथ शिव पार्वती का विवाह बड़े ही धूमधाम से संपन्न हुआ. इस यज्ञ और शिव विवाह को देखने के लिए हजारों की संख्या में जनसैलाब को देखा गया. आलम यह था कि केशोपुर से लेकर सबलपुर तक गाड़ियों की लंबी लाइन लगी थी. एक तरफ भव्य बने पंडाल में भंडारे का प्रसाद बंट रहा था एवम् दूसरी तरफ बड़े पंडाल में शिव- पार्वती विवाह उत्सव मनाया जा रहा था. 50000 से अधिक महिला तथा पुरुष ने विवाह उत्सव में हिस्सा लिया. यज्ञ के अंतिम दिन होने के चलते बिहार,झारखंड, उत्तर प्रदेश आदि जगहों से काफी संख्या में भक्तगण स्वामी जी के दर्शन करने हेतु जुटे थे. सुबह 10:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक भंडारा चलता रहा जिसमें हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया. महिलाओं की संख्या पुरुषों की अपेक्षा बहुत अधिक थी. इस दौरान आगन्तुकों की सेवा और व्यवस्था को बनाये रखने के लिए काफी संख्या में समिति के कार्यकर्ताओं ने लोगों की सेवा में अपना योगदान दिया. जितनी भीड़ यज्ञ

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अंधारी गांव में बालभक्त 34 साल से करते आ रहे शिव को जलाभिषेक

भोजपुर के अंधारी गाँव में बालभक्तों ने किया शिव जलाभिषेक आज अंधारी गांव से बलभक्तों की मंडली ने पिछले 33 सालों से हो रहे जलाभिषेक का कार्यक्रम किया। गांव के सोन नद से स्नान पूजा के बाद सादगी और श्रद्धा से हरसाल बालभक्त 1 किमी लम्बे गांव के सभी शिवमंदिरों में जाकर जलाभिषेक करते हैं. आज भी गांव के बालभक्तों ने सोन नद के जल से प्रातःकाल ही श्रद्धापूर्वक बोलबम हर हर महादेव के जयकारे के साथ शिवलिंगों पर जलार्पण किया.वर्ष 1989 से महाशिवरात्रि के अवसर पर आरम्भ गांव का वार्षिक बाल भक्तों का शिव जलाभिषेक कार्यक्रम से गांव इसदिन सूर्योदय होते ही शिवभक्ति में शामिल हो जाता है.हर साल बालभक्त सुबह जगकर जल फूल लोटा बोतल शीशी और कांवर लेकर  सोन में स्नान कर जल लेते हैं और बोलबम के जयकारे के साथ महादेव पर प्रेम से चढ़ाते हैं. PNCDESK

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चाहते हैं शनि नहीं करे परेशान तो …इस महाशिव रात्रि करें ये उपाय

महाशिवरात्रि पर धतूरे के इन उपायों से दूर होगी दुख-दरिद्रता महाशिवरात्रि के दिन घर में काले धतूरे का पौधा लगाने पर शिव जी कृपा पूरे परिवार बरसती है 18 फरवरी 2023 को शिव जी को समर्पित महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाएगा. कहते हैं इस दिन धतूरे के उपाय नौकरी, व्यापार और धन में वृद्धि के लिए फलदायी माना गया है. एक धतूरा आपके भाग्य को चमका सकता है. शिव जी का धतूरे से गहरा संबंध है. कहते हैं समुद्र मंथन से निकले विष पीने के बाद शिव बैचेन हो गए थे, उनकी व्याकुलता दूर करने के देवताओं ने धतूरे, बेलपत्र की औषधि बनाकर उन्हें पिलाई थी. उसके बाद से ही भोलेनाथ की पूजा में धतूरा आवश्यक माना जाने लगा.महाशिवरात्रि के दिन निशिता काल में काले धतूरे के फूल भोलेनाथ की पूजा करें. मान्यता है इससे सुख-शांति आती है. आर्थिक समास्या का समाधान होता है. महाशिवरात्रि के दिन काले धतूरे को फोड़कर उसका फल शिवलिंग पर अर्पित करें. फिर गंगाजल से धारा बनाकर 1008 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें. कहते हैं कि नौकरी और व्यापार में उन्नति के लिए ये उपाय बहुत लाभकारी माना जाता है. महाशिवरात्रि के दिन घर में काले धतूरे का पौधा लगाने पर शिव जी कृपा पूरे परिवार बरसती है. घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है.शनि दोष के चलते तरक्की प्रभावित हो रही है या बार-बार काम बिगड़ रहे हैं तो महाशिवरात्रि के दिन काले धतूरे के पेड़ की जड़ का छोटा सा टुकाड़ा अपने दाएं हाथ का गले में धारण कर लें.

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कर्मयोगी सम्मान से सम्मानित हुए त्रिनेत्र गुफा के साधक

सासाराम, 23 जनवरी. रोहतास जिला के सासाराम में स्थित चंदन गिरी, त्रिनेत्र गुफा में गोरखनाथ मंदिर के निर्माण व जीर्णोद्धार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भक्तों को पिछले दिनों सम्मानित किया गया. सासाराम के गौरव के रूप में स्थापित श्री गोरखनाथ मंदिर के निर्माण में किए गए अभूतपूर्व सहयोग के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया गया है. त्रिनेत्र गुफा के साधकों में गोपालनाथ गोस्वामी, मुरलीधर गोस्वामी, आचार्य विनोद, प्रदीप गोस्वामी,ददन गोस्वामी, त्यागी बाबा,भीम नाथ सहित ग्यारह साधक सदस्यों को कर्म-योगी सम्मान से सम्मानित किया गया. यह सम्मान “योगी योगेश्वर” ने प्रदान किया. इस अवसर पर योगी योगेश्वर ने सभी भक्तों को अंग वस्त्र धारण करवाकर सम्मानित किया और साथ ही उन्हें एक स्मृति चिन्ह प्रदान किया. कौन हैं योगी योगेश्वर ? वाराणसी के विश्व प्रसिद्ध काल भैरव मंदिर के प्रधान गद्दीदार सिद्ध योगी स्वर्गीय बाबा रूपनाथ 1820 के सरपौत्र,वयोवृद्ध योगी प्रेमनाथ योगेश्वर के सुपुत्र योगी प्रकाश नाथ योगेश्वर को “योगी योगेश्वर” के नाम से लोग पुकारते हैं. मृदुभाषी और हंसमुख प्रवृति के धनी योगी योगेश्वर को योग के क्षेत्र में कर्मयोगी सम्मान, योग रत्न सम्मान, योग-भूषण सम्मान, बेस्ट एंकरिंग अवार्ड, 2012 में भीषण बाढ़ में डूब रहे तीन लोगों की जान बचाने के लिए वीरता सम्मान एवं वाराणसी के अत्यधिक प्राचीन काशी खंडोकत् आठ मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाने एवं 2000 से ज्यादा नि:शुल्क मंत्रयोग शिविर व योग शिविर का सफल आयोजन करने के लिए काशी गौरव अलंकार सम्मान सहित कई सम्मान से शासन एवं प्रशासन ने इन्हें सम्मानित किया है. योगी योगेश्वर नाथ #patnanow को भी कई सालों से

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दुनिया के सबसे महंगे फल, लाखों में कीमत कुछ की होती है नीलामी

काफी दुर्लभ भी माने जाते हैं ये फल खेती के लिए विशेष परिस्थितियों का रखा जाता है ख्यालयूबरी मेलन है दुनिया का सबसे महंगा फल, व्हाइट अल्बा ट्रफल ,अंगूर ,आम और तरबूज भी पीछे नहींअगर आपको किसी फल या सब्जी की कीमत की लाखों रुपये बताई जाए तो शायद ही आप भरोसा करेंगे. हालांकि, देश-दुनिया में कई ऐसे फल और सब्जियां मौजूद हैं, जो लाखों में बिकते हैं. ये फसल काफी दुर्लभ भी माने जाते हैं. इनकी खेती के लिए विशेष परिस्थितियों का ख्याल रखा जाता है. इनमें से कुछ की बकायदे नीलामी होती है. यूबरी मेलन को दुनिया का सबसे महंगा फल भी माना जाता है. मसाला बॉक्स फूड नेटवर्क के मुताबिक, 2021 में इस फल को 18 लाख रुपये में बेचा गया तो वहीं, 2022 में इसकी नीलामी तकरीबन 20 लाख रुपये में हुई. इस फल को तैयार होने में कुछ 100 दिन लगते हैं. ये महंगा इसलिए होता है क्योंकि इसकी खेती में काफी मेहनत लगती है. इसे काफी कम रकबे में उगाया जाता है. धूप से सुरक्षित रखने के लिए इस फल को विशेष टोपियों से ढका जाता है, सही आकृति और मिठास वाले इसके फलों को ही बिक्री में नीलामी के लिए चयनित किया जाता है. बाकी को बेकार समझा जाता है.रूबी रोमन अंगूर भी सबसे महंगे फलों में से एक माना जाता है. इसे जापान के इशिकावा में उगाया जाता है. आकार में ये अन्य अंगूरों की तुलना में 4 गुना बड़ा होता है. साथ ही ये अन्य अंगूरों की तुलना में ज्यादा मीठा

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