सात समुंदर पार गया तू हमको जिन्दा मार गया तू…

खून के रिश्ते तोड़ गया तू… आँख में आंसू छोड़ गया तू अपनी बेहतरीन ग़ज़लों से सबको दीवाना बनाने वाले पंकज उधास नहीं रहे. 72 साल की उम्र में उनका निधन हो गया है वह कुछ समय से बीमार चल रहे थे. उनके परिवार ने इस बात की पुष्टि की है. मुख्यमंत्री ने मशहूर गजल गायक पंकज उधास के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है. मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा है कि स्व पंकज उधास ने एक कुशल गजल गायक के रूप में पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनायी. उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था. स्व पंकज उधास ने कई फिल्मों में भी गायक के रूप में अपनी आवाज दी. उनकी आवाज लोगों के दिलों पर राज करती रहेगी. स्व पंकज उधास के निधन से भारतीय संगीत एवं फिल्म जगत को अपूरणीय क्षति हुयी है. मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर-शान्ति तथा उनके परिजनों एवं प्रशंसकों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है. जीतन राम मांझी ने भी जताया शोक

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कवि जिसमें यथार्थ को बदलने की है छटपटाहट

सुधीर सुमन की कविताओं में यथार्थ को बदलने की छटपटाहट है : सुरेश कांटक प्रलोभन व झूठ के बाजार का प्रतिकार है ‘सपना और सच’ : कथाकार नीरज सिंह आरा : 20 फरवरी 2024. पिछले दिनों बाल हिन्दी पुस्तकालय आरा में जन संस्कृति मंच की ओर से सुधीर सुमन के कविता-संग्रह ‘सपना और सच ‘ का लोकार्पण और उस पर बातचीत हुई, जिसकी अध्यक्षता कथाकार नीरज सिंह, कथाकार सुरेश काँटक, आलोचक रवींद्रनाथ राय और कवि-आलोचक जितेंद्र कुमार ने की. संचालन कवि सुमन कुमार सिंह ने किया. पहले सुधीर सुमन ने अपनी कविताओं का पाठ किया. नीरज सिंह ने कहा कि सुधीर सुमन की कविताओं में वैश्विक और स्थानीय चिंताएँ घुली-मिली हुई हैं. इनमें आज के समय की व्यवस्था का आतंककारी स्वरूप नजर आता है. चारों तरफ प्रलोभन और झूठ का जो बाजार है, ये कविताएँ उसका प्रतिकार है. रवींद्रनाथ राय ने कहा कि कवि यथा स्थितिवाद, मध्यवर्गीय संस्कार और आज के अर्थतंत्र से टकराता है. उनकी कविता जीवन को बेहतर बनाने के सपने की कविता है. जितेंद कुमार ने ‘फुटपाथ पर सोया बूढ़ा’ कविता की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें गांधी, एमएफ हुसैन और कबीर के चेहरे दिखते हैं. सुधीर सुमन की काव्य-पंक्तियों और काव्य-भाषा पर गंभीरता से विचार होना चाहिए. कथाकार सुरेश कांटक ने कहा कि इन कविताओं में यथार्थ को बदलने की छटपटाहट है. इनमें स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का सपना है. सुनील श्रीवास्तव ने कहा कि सुधीर सुमन अपनी कविताओं में यथार्थ के छोटे-छोटे टुकड़ों और दृश्यों के जरिए हमारे समय के पूरे सच को व्यक्त

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विश्व पुस्तक मेला में डॉ हरेराम पाठक एवं डॉ चंद्रेश्वर को सम्मान

चौधरी कन्हैया प्रसाद स्मृति संस्थान, आरा द्वारा सम्मान समारोह नई दिल्ली, 19 फरवरी.’ विश्व पुस्तक मेला , नई दिल्ली के आखिरी दिन ‘सर्वभाषा ट्रस्ट, नई दिल्ली’ और चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह स्मृति संस्थान, आरा द्वारा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया जिसमें हिंदी – भोजपुरी के प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ हरेराम पाठक को हिंदी आलोचना कोश’ के लिए एवं डॉ चंद्रेश्वर को भोजपुरी कथेतर साहित्य’ के लिए को देश के सम्मानित शती साहित्यकार रामदरश मिश्र जी के हाथों सम्मानित किया गया. निश्चित राशि, उत्तरीय और सम्मान-पत्र द्वारा उक्त दोनों साहित्यकारों को सम्मानित किया गया. डॉ चंद्रेश्वर की हाल ही में आरा और अपने गाँव पर पुस्तकों की काफी चर्चा रही है. सम्मान समारोह में हिंदी और भोजपुरी के कई साहित्यकार और पाठक उपस्थित थे. दिल्ली से रवि प्रकाश सूरज की रिपोर्ट

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पद्मश्री उषा किरण खान का निधन

पटना।। सुप्रसिद्ध लेखिका प्रो. डाॅ. उषाकिरण खान का पटना की एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. वे 82 साल की थीं. हिंदी और मैथिली साहित्य में लंबे समय से उपन्यासों-कथाओं-नाटकों के जरिए उल्लेखनीय योगदान करती आ रहीं उषाकिरण खान को पद्मश्री समेत कई सम्मान/पुरस्कार मिले. मुख्यमंत्री ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ० उषा किरण खान के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है. मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि स्व. डॉ उषा किरण खान प्रसिद्ध साहित्यकार एवं लेखिका थीं. उन्होंने हिन्दी एवं मैथिली साहित्य में कई उपन्यासों, कथाओं की रचना की थी. डॉ उषा किरण खान को पद्मश्री तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. डॉ उषा किरण खान के निधन से हिन्दी एवं मैथिली साहित्य जगत् को अपूरणीय क्षति हुयी है. मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शांति तथा उनके परिजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है. pncb

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भारंगम के लिए आरा से टीम रवाना

9 फ़रवरी को होगी डिब्रूगढ़ में प्रस्तुति आरा,7 फरवरी(ओ पी पांडेय). राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (National School of Drama) नई दिल्ली द्वारा आयोजित 1 फरवरी से शुरू हुए भारत रंग महोत्सव में भाग लेने प्रभाव क्रिएटिव सोसाइटी,भोजपुर की टीम युवा निर्देशक मनोज कुमार सिंह के नेतृत्व में मंगलवार को आरा से रवाना हुई. आरा के ये कलाकार 9 फरवरी को असम के डिब्रुगढ़ में लोक कलाकार भिखारी ठाकुर लिखित “गंगा स्नान” की प्रस्तुति देंगे. नाटक युवा निर्देशक मनोज कुमार सिंह द्वारा निर्देशित किया गया है, जिसकी अबतक दर्जन भर प्रस्तुति बिहार और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हो चुकी है. इस मौके पर शहर के प्रसिद्ध समाजसेवी विष्णु सिंह, युवा नेता अभय विश्वास भट्ट, रंगकर्मी अनिल कुमार तिवारी ‘दीपू’ संगीतज्ञ लक्ष्मण दुबे व रंगकर्मी व शिक्षक सुधीर शर्मा ने आरा रेलवे स्टेशन पर कलाकारों को फुल माला पहना व मिठाई खिला कर रवाना किया. बताते चलें कि भारत रंग महोत्सव इस वर्ष अपना रजत जयंती समारोह मना रहा है. जिसमें अपनी प्रस्तुतियों के लिए देश-विदेश से कुल मिलाकर लगभग 850 आवेदन प्राप्त हुए थे जिनमें 62 नाटकों का चयन भारत रंग महोत्सव में प्रदर्शन के लिए किया गया है,जिसमें एक नाटक भोजपुर से भी है जो जिले के लिए सौभाग्य का बात है. इस चयन से न सिर्फ रंगकर्मियों व रंग दर्शकों के बीच एक खुशी की लहर है बल्कि छात्र-छात्राओं, युवाओं और बुद्धिजीवियों से लेकर हर ओर इसकी चर्चा है और लोग इसके लिए आरा के कलाकारों को साधुवाद देते देखे जा रहे हैं. चाय की दुकानों से लेकर

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38वां पाटलिपुत्र नाट्य महोत्सव आज से

देशभर से जुटेंगे लगभग 400 कलाकार पटना, 2 फरवरी. बहुचर्चित सांस्कृतिक संस्था प्रांगण द्वारा पांच दिवसीय 38 वां पाटलिपुत्र नाट्य महोत्सव 2024 का आयोजन आज (2 फरवरी) से प्रारम्भ हो रहा है जो 6 फरवरी 2024 तक स्थानीय कालिदास रंगालय में चलेगा. इस महोत्सव में बिहार के अतिरिक्त 9 राज्यों की से 17 नाट्य दल शामिल होंगे. लगभग देश भर से इस दौरान 300-400 कलाकारों के जुटने की संभावना है जो अपनी कला से बिहार वासियों का दिल जीतेंगे. महोत्सव के दौरान6 फरवरी तक हर दिन शाम 4 बजे से नुक्कड़ नाटक तथा संध्या 6 बजे से मंचीय नाटकों का प्रदर्शन देशभर से जुटे कलाकार करेंगे. आज से प्रारंभ हो रहे महोत्सव का उद्घाटन संध्या 6 बजे से होगा जिसमें बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव,हरजोत कौर उ‌द्घाटनकर्त्ता के रूप में और मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी, विशिष्ठ अतिथि के रूप में रूबी, निदेशक, सांस्कृतिक कार्य, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार उपस्थित रहेंगे. उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता माननीय पूर्व मंत्री बिहार सरकार, सह महोत्सव के अध्यक्ष श्याम रजक करेंगे. pncb

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बिहार के इन कलाकारों को मिला पद्मश्री अवार्ड

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने पद्मश्री अवार्ड पाने वाले लोगों की सूची जारी की है इस सूची में बिहार के कलाकारों का भी नाम शामिल है. मधुबनी पेंटिंग से जुड़े पति पत्नी शांति और शिवन पासवान को गोदना आर्ट के लिए पद्मश्री पुरस्कार मिला है जबकि विलुप्त हो रही टिकुली कला को पुनर्जीवित करने वाले अशोक कुमार विश्वास को भी पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है. बिहार के इन दो कलाकारों के अलावा पश्चिम बंगाल तेलंगाना समेत कई अन्य राज्यों से जुड़े समाज सुधारक और विभिन्न कल से जुड़े कलाकारों को भी पद्मश्री अवार्ड देने की घोषणा की गई है. pncb

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सुपर हिट: 15 दिन में 11 लाख लोगों ने कर ली 16 करोड़ की खरीदारी

पटना।। 15 दिसंबर से जारी बिहार सरस मेला का शुक्रवार को समापन हो गया. समापन कार्यक्रम में जीविका के सीईओ राहुल कुमार ने कहा कि योजनाओं का लाभ आखिरी व्यक्ति तक पहुँचाने की कवायद जीविका कर रही है. बिहार सरस मेला उसी की एक कड़ी है. उन्होंने कहा कि बिहार सरस मेला प्रतिवर्ष प्रगति की ओर अग्रसर है और उम्मीद है अगले वर्ष और बेहतर सरस मेला का आयोजन होगा. जीविका की कार्यक्रम समन्वयक महुआ रॉय चौधरी ने कहा कि प्रोत्साहन के लिए सभी अतिथियों एवं स्टॉल धारकों का सरस मेला में अभिन्दन है. समापन समारोह के अवसर पर बेहतर खरीद-बिक्री एवं साज-सज्जा करने वाली स्टॉल धारकों , आगंतुकों को विभिन्न योजनाओं से रूबरू एवं लाभान्वित कराने वाले विभाग एवं बैंको के साथ ही जीविका एवं इवेंट प्रबंधन टीम को सम्मानित किया गया. सम्मानित होने वालों में श्यामला विश्वनाथन –केरला, अफरोज बेगम- बिहार , चरणजीत कौर-पंजाब, दीदी की रसोई – भोजपुर, असिना खातून-बिहार, जानकी जीविका महिला सिलाई उत्पादक समूह- बिहार, मरियम अख्तर –असम, कृष्णा देवी एवं खैरुन निशा –लेह-लद्दाख रही. महिला एवं बाल विकास निगम, स्वास्थ्य विभाग, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, पटना नगर निगम और इवेंट टीम पिरामिड फैबिकोंन को भी प्रसस्ति पत्र देकर राहुल कुमार ने सम्मानित किया. इस दौरान मंच पर राजेश कुमार, विशेष कार्य पदाधिकारी, जीविका, नजिस बानो – राज्य परियिजना प्रबंधक, जीविका एवं सूर्यकांत, जीविका भी मौजूद रहे . अंत में मंचासीन अधिकारियों को जीविका दीदियों ने स्मृति चिन्ह प्रदान किया. धन्यवाद ज्ञापन समीर कुमार , राज्य परियोजना प्रबंधक, गैर कृषि, जीविका

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आज होगा सरस मेला का समापन- कलाकारों को मिला सम्मान और प्रोत्साहन

पटना- वर्ष 2023 समाप्ति पर है और इसके साथ ही पिछले 15 दिनों से चल रहा बिहार का सबसे चर्चित और लोकप्रिय सरस मेला भी आजज्ञसमाप्त हो जाएगा. बिहार सरस मेला के माध्यम से बिहार की लोक संस्कृति ने भी नई अंगड़ाई ली है. सरस मेला परिसर में हस्तशिल्प को प्रोत्साहन के साथ ही बिहार के लोक गीत-लोक नृत्य एवं संस्कृति को भी उत्कृष्ट मंच मिला है. जहाँ से जट-जटीन, बिदेशिया, छउ, बारहमसिया और सोहर समेत कई लोक गीत एवं नृत्य को सम्मान एवं नया आयाम मिला है. इसके साथ ही युवा पीढ़ी भी अपनी सदियों पूरानी संस्कृति एवं परंपरा से परिचित हुई है. सरस मेला परिसर में हस्तशिल्प के साथ ही लोक गीत एवं संस्कृति के प्रति आगंतुकों का आकर्षण देखते ही बना. खरीददारी और व्यंजनों का लुत्फ़ उठाने के बाद आगंतुक बतौर दर्शक अपनी लोक संस्कृति एवं परंपरा से रूबरू हुए और गीत-संगीत से सराबोर हुए. इस बार अब तक मेला में लगभग 13 करोड़ 77 लाख 19 हजार रुपये के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद – बिक्री हुई है. बिहार सरस मेला के आयोजन के 13 वें दिन 27 दिसंबर बुधवार को 1 करोड़ 29 लाख 47 हजार रुपये के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई है.गुरुवार की शाम सरस मेला के मुख्य सांस्कृतिक मंच पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया . इस कार्यक्रम में जीविका से जुड़े अधिकारीयों एवं कर्मियों एवं उनके परिजनों ने गीत-संगीत का कार्यक्रम पेश किया . सुरीले एवं सधे अंदाज में गीत-संगीत की महफ़िल सजी. कार्यक्रम की शुरुआत सामूहिक रूप से

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प्रांगण पटना की प्रस्तुति फूल नौटंकी विलास का मंचन

इजेडसीसी,कोलकाता द्वारा इंद्रधनुष कार्यक्रम के दूसरे दिन कई कार्यक्रम आयोजित बिहार की लोक कथाओं तथा किवदंतियों पर आधारित यह लोक नाटक नौटंकी शैली का नाटक है. कथा सूत्र एवम् प्रसंग नट तथा नटी संवहन करते हैं. फूल सिंह निम्न जाति का पेशेवर योद्धा हैं. उसकी दो भाभियाँ उसी के साथ रहती हैं. दो बड़े भाई भी पेशेवर योद्धा है. नट और नटी से प्रेम नगर की राजकुमारी नौटंकी की प्रसंशा सुनकर वह नौटंकी को देखने को व्याकुल हो जाता है. नौटंकी राजा हरिसिंह की इकलौती संतान है. राजा बहुत कूर प्रकृति का हैं. वह अपनी प्रजा पर तरह-तरह के जुल्म करता हैं. स्वयंवर के बहाने वह युवकों को तरह-तरह से सजा देती है. जब उसकी सवारी निकलती है, तो राजमार्ग के दोनों ओर ब्याह के इच्छुक युवकों की कतार लग जाती है. परन्तु सबकी नजरें नीचे झुकी हुई. राजकुमारी को आँख उठाकर देखना मृत्यु को बुलाना है. राजकुमारी अपने रथ पर रखी विभिन्न वस्तुओं को फेंक – फेंक कर युवकों को उपहार देती है. परन्तु यह भी राजकुमारी की एक चाल है. अक्सर उपहार के रूप में ईट-पत्थरों के टुकड़े होते हैं. अगर कोई युवक उनसे बचने की कोशिश करता, तो नौटंकी समझ जाती है कि वह युवक चोरी चुपके उसे देख रहा है और उसी रथ से कुचल कर उसे मृत्युदंड दिया जाता है. फूल सिंह चोरी चुपके नौटंकी को देख लेता है. परन्तु पत्थर की मार से परहेज नहीं करता. वह लहुलुहान हो जाता है. नौटंकी की सुंदरता पर वह फिदा हो जाता है. फूल सिंह उग्र स्वभाव

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