बच्चे अब कठपुतलियों से करेंगे पढ़ाई
भोजपुर की महिला शिक्षिकाओं ने राष्ट्रीय मंच पर रचा शिक्षण का नया प्रयोग

आरा, 19 जुलाई(ओपी पांडेय)। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत बच्चों को पढ़ाने का तरीका अब बदल रहा है. अब किताबों के साथ-साथ कठपुतलियों की मदद से भी बच्चे गणित, विज्ञान और पर्यावरण जैसे विषय सीखेंगे. यह कोई मंचीय प्रयोग नहीं, बल्कि एक सुनियोजित पहल है, जिसमें परंपरागत कठपुतली कला को शिक्षण का माध्यम बनाया जा रहा है.




नई दिल्ली स्थित सीसीआरटी (सांस्कृतिक स्रोत और प्रशिक्षण केंद्र) द्वारा हाल ही में एक राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें देशभर से चुने गए शिक्षकों को कठपुतली के जरिए पढ़ाने का प्रशिक्षण दिया गया. इस कार्यशाला में बिहार के 11 शिक्षक शामिल हुए, जिनमें भोजपुर जिले की तीन महिला शिक्षिकाओं पूजा कुमारी (उत्क्रमित मध्य विद्यालय, इसाढ़ी), याशिका (एनपीएस, नयका टोला) और सुनैना कुमारी (बुढ़वल, जगदीशपुर) ने भाग लिया.

शिक्षा और कला का संगम

कार्यशाला में शिक्षकों को पुतली निर्माण, संवाद लेखन, कहानी प्रस्तुति और विभिन्न शैक्षणिक विषयों को नाटकीय शैली में प्रस्तुत करने की विधियाँ सिखाई गईं. उन्हें बताया गया कि किस तरह कठपुतलियों के माध्यम से बच्चों की जिज्ञासा को जगाया जा सकता है और विषयों को अधिक प्रभावी और यादगार बनाया जा सकता है.

प्रशिक्षण पूरा करने पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी प्रदान किया गया.

बच्चों के साथ संवाद का नया जरिया

पूजा कुमारी ने बताया कि यह तरीका बच्चों से संवाद स्थापित करने का अनोखा और सजीव माध्यम है.“अब हम सिर्फ शिक्षक नहीं रहेंगे, बल्कि बच्चों के सहयात्री बनेंगे. उन्हें रटाने की बजाय समझने और महसूस करने की ओर ले जाएंगे,”उन्होंने कहा. पूजा का हाल ही में प्रधान शिक्षक के पद पर चयन हुआ है और वे जल्द ही भोजपुर में योगदान देंगी.

नई शिक्षा नीति के भीतर रचनात्मकता की राह

यह पहली बार है जब कठपुतली कला को औपचारिक रूप से शिक्षा प्रणाली का हिस्सा बनाया गया है। पहले यह कला लोककथाओं और मंचीय प्रस्तुतियों तक सीमित थी, लेकिन अब यह कक्षा की चौखट लांघ चुकी है. नई शिक्षा नीति का मूल उद्देश्य है. समझ आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना, और इसमें यह प्रयोग एक अहम कदम साबित हो सकता है.

भोजपुर की इन तीन शिक्षिकाओं की भागीदारी यह दिखाती है कि शिक्षा में बदलाव सिर्फ कागज़ पर नहीं हो रहा, बल्कि ज़मीन पर भी कुछ नया आकार ले रहा है और इसमें ग्रामीण शिक्षक भी बराबरी की भूमिका निभा रहे हैं.

राष्ट्रीय प्रशिक्षण के बाद प्रमाणपत्र के साथ शिक्षिका पूजा कुमारी

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