92 सालों की परंपरा होगी खत्म

By pnc Sep 21, 2016

केंद्रीय कैबिनेट का अहम फैसला

अब अलग से नहीं पेश होगा रेल बजट




आम बजट के साथ ही पेश होगा रेल बजट

कैबिनेट की बैठक में दी गयी मंजूरी

अगले साल से अब रेल बजट अलग से पेश नहीं होगा. केंद्रीय कैबिनेट ने आज हुई बैठक में ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अलग से रेल बजट पेश करने की व्यवस्था समाप्त करने और इसे आम बजट में मिलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार के इस फ़ैसले की जानकारी दी.प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई मोदी कैबिनेट की मीटिंग से सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद रेल बजट को आम बजट में मिलाने के प्रस्ताव को पास किया गया जिसके तहत अब अगले साल से एक ही बजट पेश होगा जिसमें रेल बजट भी शामिल होगा. अब संसद की मंजूरी के बाद रेल बजट के सभी प्रस्ताव आम बजट में शामिल कर दिए जाएंगे. हालांकि इसके बावजूद रेलवे एक अलग इकाई के तौर पर ही कामकाज करती रहेगी और इसका रुतबा कायम रहेगा. इतना ही नहीं रेलवे की कामकाज में स्वतंत्रता बनी रहेगी और रेलवे के वित्तीय अधिकार भी बने रहेंगे.

92 सालों की परंपरा होगी खत्म

1924 से अब तक यानी 92 सालों से आम बजट से पहले रेल बजट पेश होता आया है. लेकिन अब अगले साल 2017 से सिर्फ आम बजट ही संसद में पेश होगा. आम बजट में रेल बजट के मर्जर की सिफारिश नीति आयोग ने की थी जिसे सैद्धांतिक रूप से मंजूर कर लिया गया. नीति आयोग के प्रस्ताव पर रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने अपनी मंजूरी पहले ही दे दी थी. रेल मंत्रालय का वित्तीय लेखा जोखा भी आम बजट का उसी तरह से हिस्सा होगा, जैसे दूसरे मंत्रालय के लिए होता है. हालांकि अभी भी इसके लिए क्या प्रक्रिया होगी इसको भी तय किया जाना बाकी है और दोनो मंत्रालयों के अधिकारों का बटंवारा बाकी है. वित्त मंत्रालय ही अब रेल मंत्रालय का बजट तय करेगा. हालांकि वित्त मंत्रालय और रेल मंत्रालय के बीच पेंशन की देनदारी, डिविडेंड, रेलवे को वित्त मंत्रालय से मिलने वाले ग्रॉस बजटीय सहायता और किराया तय करने का अधिकार जैसे मसलों पर अभी अंतिम फैसला होना बाकी है.

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किराया और माल भाड़ा तय करने का अधिकार चाहता है रेल मंत्रालय

रेल मंत्रालय किराया और माल भाड़ा तय करने के अधिकार अपने पास रखना चाहता है. इसके अलावा रेल मंत्रालय बाजार से पैसा उठाने के अधिकार को भी वित्त मंत्रालय को नहीं देना चाहता. हालांकि एक बड़े फैसले के तहत वित्त मंत्रालय और रेल मंत्रालय के बीच किराया तय करने के अधिकार को लेकर ये सहमति बनी है कि आगे चलकर रेलवे के किराए में कमी और बढ़ोतरी के लिए रेल टैरिफ अथॉरिटी बनाई जाएगी.

भारतीय रेलवे को मिलेगी वित्तीय तौर पर आजादी

आम बजट में रेल बजट के विलय से भारतीय रेलवे को वित्तीय तौर पर आजादी मिल पाएगी. माना जा रहा है कि भारतीय रेलवे को डिविडेंड देने से मुक्ति मिल जाएगी. माना जा सकता है कि वित्त मंत्रालय सातवें वेतन आयोग की वजह से रेल मंत्रालय पर पड़ रहे भारी भरकम बोझ को साझा करने में भी सहयोग करेगा.

बदल सकती है बजट सत्र और बजट पेश करने की तारीखें

आज केंद्रीय कैबिनेट के सामने आम बजट पेश करने की तिथि भी पीछे करने का प्रस्ताव रखा गया..अगर बजट पेश करने का समय बदलता है तो सरकार अगला बजट सत्र 25 जनवरी 2017 से पहले बुला सकती है. 1 फरवरी से आम बजट पेश होने की संभावना है और इससे पहले आर्थिक समीक्षा पेश की जा सकती है.

रिपोर्ट- पटना से यू के मिश्र

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