खवासपुर के लोगों ने की रामबाबू से मुलाकात
बोले बड़हरा में बाढ़ के दर्द को समझने वाला चाहिए


खवासपुर ने भरी हुंकार: “बाढ़ के दर्द को समझने वाला चाहिए, वोट रामबाबू सिंह को मिलेगा”

आरा, भोजपुर ,6 जुलाई। चुनाव का समय आते ही⁰ नेता जनता के द्वार का चक्कर काटने लगते हैं वो भी हर तबके में ताकि उनका वोट न कटे। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो चुनाव का मौसम नहीं बल्कि अपने काम से जनता के बीच हर दिन विद्यमान रहते हैं चाहे सुख हो या दुःख। तभी तो ऐसे शख्स के घर जनता खुद पहुंचकर उनके समर्थन का ऐलान करती है। भले ही टिकट अभी न बंटा हो लेकिन जनता ने उन्हें अपना नेता मान लिया है। हम बात कर रहे हैं बड़हरा के युवा राजद नेता राम बाबू सिंह का, जिनके घर आज ऐसा वाक्या हुआ। अपने अरमानों के साथ पहुंचे लोगों ने उन्हें बड़हरा क्षेत्र का उम्मीदवार घोषित कर दिया

बड़हरा विधानसभा क्षेत्र के खवासपुर पंचायत के सैकड़ों लोगों ने पूर्व मुखिया डी. एन. चौधरी उर्फ डी. एन. निषाद के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीणों ने राजद के युवा नेता रामबाबू सिंह को खुला समर्थन देने का ऐलान किया। उन्होंने यह ऐलान उन्हें आरा स्थित निवास पर खुद पहुंचकर किया।






मीडिया को संबोधित करते हुए डी. एन. निषाद ने कहा कि “हम बाढ़ग्रस्त इलाके के लोग हैं, वर्षों से गंगा मैया की मार झेलते आ रहे हैं। लेकिन हमारा हौसला कभी नहीं टूटा।

अब हमें ऐसा जनप्रतिनिधि चाहिए जो सिर्फ भाषण नहीं, हमारे दुख-दर्द में खड़ा हो। रामबाबू सिंह हमारे जैसे लोगों के बेटे की तरह हैं, और हम उनका साथ ताउम्र निभाएंगे।”

जनसमर्थन जताते हुए ग्रामीणों ने साफ़ कहा कि “खवासपुर जब भी खड़ा हुआ है, इतिहास बना है।” लोगों ने भरोसा जताया कि इस बार बड़हरा की लड़ाई रामबाबू सिंह जैसे जुझारू और कर्मठ नेता के साथ ही लड़ी जाएगी।

इस मौके पर दुर्गा पासवान, प्रधान महासचिव (SC-ST प्रकोष्ठ, बड़हरा) ने कहा “रामबाबू सिंह ने सिर्फ चुनाव के

वक्त नहीं, सालों तक जनता के बीच रहकर काम किया है। यही सच्चा नेतृत्व होता है।”

वार्ड अध्यक्ष सुभाष सिंह ने पार्टी नेतृत्व को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि “अगर पार्टी किसी और को टिकट देती है

तो यह सीट हाथ से निकल जाएगी। बड़हरा की जनता अब सिर्फ दिखावे नहीं, जनसेवा करने वालों के साथ है।”

ग्रामीणों की आवाज़, नारों और समर्थन ने माहौल को पूरी तरह चुनावी रंग दे दिया। अब निगाहें राजद नेतृत्व पर टिकी हैं कि कब रामबाबू सिंह के नाम पर मोहर लगती है।

आरा से ओ पी पाण्डेय की रिपोर्ट

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