भोजपुरी फिल्मों की बेहतरी के लिए ठोस कदम जरूरी- जीतेन्द्र सुमन 

जनमानस के हृदय को झकझोरने वाली फ़िल्म की कथाएं चाहिए

मराठी को लेकर महाराष्ट्र सरकार सख्त और बेहतर सोचती है




भोजपुरी के लिए भी बिहार और यूपी सरकार को सोचना चाहिए 

राज्य की हजारों प्रतिभाएं इन्तजार कर रही हैं 

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भोजपुरी फिल्मों में स्तरीय भाषा की फिल्मों के विकास के लिए राज्य सरकार को ही आगे आना होगा जैसे महाराष्ट्र सरकार ने मराठी फिल्मों के विकास के लिए किया है. बगैर सरकारी प्रयास के फिल्में तो बनेगी और बनती आई है और उसका हश्र भी हम सब के सामने है.ये बातें प्रख्यात सिने निर्देशक और लेखक जीतेन्द्र सुमन  ने एक मुलाक़ात में कही. उन्होंने ने कहा कि आज हमें जनमानस के हृदय को झकझोरने वाली फ़िल्म की कथाएं चाहिए. अच्छे सिनेमा हॉल बने जहां लोग परिवार के साथ जा कर अच्छी मूवी देख सके.

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जीतेन्द्र सुमन ने कहा की बिहार में कला संस्कृति का विकास ठहर सा गया है और जब बहसे होंगी तो कुछ अच्छा हो पायेगा. जिस प्रकार मराठी को लेकर महाराष्ट्र सरकार सख्त और बेहतर सोचती है जिसके कारण आज मराठी फिल्मों का दौर चल पड़ा है. कलाकारों को रोजगार मिला है और आज दुनिया उनके प्रतिभा को देख रही है. उन्होंने कहा कि कला संस्कृति का विकास राज्य के विकास का एक बड़ा पहलु है. राज्य सरकार भी कुछ ऐसा ही करे जिससे बिहार में भोजपुरी ,मैथली और मगही या फिर हिंदी की फिल्में बने.उनके लिए वितरण और प्रदर्शन की वयवस्था हो तब देखिए यहाँ की फिल्में पूरी दुनिया में बिहार का डंका बजा देंगी.

जीतेन्द्र सुमन  ने कहा कि  एक दौर था जब बैलगाड़ी और ट्रैक्टर में बैठ कर गांव की महिलाएं शहर आती थी भोजपुरी फ़िल्म देखने के लिए. आज वही महिलाएं  और बड़े बुजुर्ग दूर हो गए है. युवा वर्ग ज्यादा देख रहा है.उनके लिए पारिवारिक और सामाजिक घटनाओं पर अच्छी फिल्में  बनाकर दिखाई जानी चाहिए. इस पर हमे ध्यान देना होगा. अच्छी कहानी जो समाज में सही सन्देश दें लोग तभी फ़िल्म देखने आएंगे और तभी बिहार में फिल्मों का विकास सम्भव हो पाएगा. उन्होंने कहा की राज्य सरकार फिल्मों के निर्माण में सब्सिडी देने पर भी विचार करे.

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फिल्म निगम की स्थापना और फिल्म सिटी के निर्माण की पहल स्वागत योग्य है लेकिन हमे इस बात पर ध्यान देना होगा कि फ़िल्में जयादा बनेगी तो ज्यादा रोजगार के अवसर मिलेंगे. इसके लिए फिल्म की पढ़ाई भी शुरू हो जिससे लाखों की संख्या में लोगों को रोजगार के साथ साथ अवसर भी मिले जिसमें वे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर देश विदेश में अपने प्रदेश का नाम रौशन कर सके. उन्होंने कहा कि भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में अब सरकार को जल्द शामिल कर उसका हक देना चाहिए जिससे आज 30 करोड़ लोगों से अधिक बोली जाने वाली भोजपुरी खुद को सम्मानित महसूस करे और लोग भी.

-रवीन्द्र भारती