राजनीति का अनुशासन : टिकट के लिए सिर फूटउअल

राजनीति का अनुशासन तार-तार: आरा कांग्रेस कार्यालय के बाहर टिकट को लेकर भिड़े दो गुट, कार्यकर्ता का सिर फूटा


कांग्रेसियों ने पलड़ा झाड़ा, बोले हम सभी अनुशासनप्रिय

आरा। भोजपुर जिला कांग्रेस कार्यालय गुरुवार को रणक्षेत्र बन गया । जब विधानसभा टिकट को लेकर दावेदारों के दो गुट आमने-सामने आ गए। बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सह प्रभारी देवेंद्र यादव की मौजूदगी में कार्यकर्ताओं के बीच जमकर धक्का-मुक्की और हाथापाई हुई, जिसमें एक कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हो गया। सिर पर गहरी चोट लगने से वह खून से लथपथ हो गया। इस अप्रिय घटना ने कांग्रेस की आंतरिक गुटबाज़ी और अनुशासनहीनता को उजागर कर दिया।




घटना को लेकर बयानबाज़ी भी तेज हो गई है। सह प्रभारी देवेंद्र यादव ने दावा किया कि मारपीट करने वाले कांग्रेस कार्यकर्ता नहीं थे, बल्कि कुछ बाहरी तत्वों ने कार्यक्रम को बिगाड़ने की कोशिश की। उन्होंने प्रशासन पर सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया।

जिला कांग्रेस अध्यक्ष अशोक राम ने माना कि टिकट की दौड़ में कुछ दावेदार अपने बाहरी समर्थकों को लेकर कार्यालय आए थे, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया।

उन्होंने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

कांग्रेस प्रवक्ता अमित द्विवेदी ने घटना को बेहद दुखद

बताया और कहा कि पार्टी अनुशासनहीनता को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि झड़प कार्यालय परिसर के बाहर हुई और इसमें शामिल लोगों की पहचान वीडियो फुटेज के जरिए की जा रही है।

युवा कांग्रेस नेता अभिषेक द्विवेदी ने भी यही दोहराया कि

घटना में शामिल लोग कांग्रेसी नहीं थे। उनका कहना था कि कांग्रेस का कार्यकर्ता पढ़ा-लिखा होता है और वह हिंसा का समर्थन नहीं करता।

सूत्रों की मानें तो यह विवाद विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर पहले से चल रही खींचतान का नतीजा है। कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे देवेंद्र यादव के स्वागत के लिए जब जिला कांग्रेस कार्यालय में भारी भीड़ उमड़ी, उसी दौरान दो गुटों में तीखी बहस के बाद झड़प हो गई।

घायल युवक की पहचान वरिष्ठ कांग्रेस नेता शिवकुमार सिंह के पुत्र अनिल कुमार सिंह के रूप में हुई है, जो पूर्व एमएलसी डॉ. अजय सिंह के समर्थक बताए जा रहे हैं। वहीं, पूर्व में अलीपुर के पूर्व मुखिया उपेंद्र सिंह से भी हाथापाई की घटना हुई थी, जिसके बाद मामला थाने तक पहुंच गया है।

राजनीतिक मर्यादा और अनुशासन पर सवाल

इस घटना ने न सिर्फ कांग्रेस संगठन की आंतरिक कलह को उजागर किया है, बल्कि यह भी दर्शाया कि टिकट की चाह में किस तरह राजनीतिक मर्यादा और अनुशासन को ताक पर रखा जा रहा है।

पार्टी नेतृत्व भले ही इसे बाहरी साज़िश बता रहा हो, लेकिन यह स्पष्ट है कि चुनावी मौसम में अनुशासन की डोर ढीली पड़ती जा रही है। अब देखना यह होगा कि कांग्रेस इस अनुशासनहीनता पर कितनी सख्ती से कार्रवाई करती है।

आरा से ओ पी पाण्डेय की रिपोर्ट

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