डांडिया आयोजन में फूहड़ता ने आयोजक को चौतरफा घेरा, VKSU
AVBP ने किया था कार्यक्रम का आयोजन
आरा, 27 सितम्बर। भोजपुर मुख्यालय आर में पिछले कई सालों से डांडिया का क्रेज़ लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। हर गली–गली, मोहल्ले–मोहल्ले डांडिया के नाम पर आयोजन हो रहा है। ऐसे में भला वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय कैसे पीछे रह जाता? इस बार VKSU कैंपस में भी डांडिया नाइट आयोजित हुई जिसे आयोजित किया AVBP ने। लेकिन इस आयोजन ने वो कर दिखाया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। जी हां, शिक्षा के मंदिर में डांडिया के बहाने परोसी गई फूहड़ता ने पूरे परिसर को लिपिस्टिक से“लाल” कर दिया…


वीडियो वायरल है, और अब सवाल उठ रहे हैं—
क्या यूनिवर्सिटी अब पढ़ाई का अड्डा है या मनोरंजन का मेला?


कहा जाता है कि हर जीव में शिव है… लेकिन जब सांस और संस्कार दोनों ही गायब हो जाएँ, तो जीव से शव बनने में देर नहीं लगती। शायद यही“संस्कार” AVBP ने वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं में अपने डांडिया आयोजन के वक्त डालने का प्रयास किया होगा।
डांडिया आयोजन के इस कार्यक्रम में शिक्षा के इस मंदिर में लगा था नृत्य-मंडप और मंच पर बज रहा था -“लागवेलु जब लिपस्टिक, हिलेला आरा डिस्टिक… कमरिया करे लपालप”…!

अब जरा सोचिए…
जहाँ कभी रिसर्च पेपर पलटे जाते थे, वहाँ कमरिया पलट रही थी। जहाँ पढ़ाई-लिखाई की चर्चा होती थी, वहाँ “लिपस्टिक” रिसर्च का नया सब्जेक्ट बन गया।
ज्ञान शील और एकता का मूलमंत्र के साथ कम करने वाली AVBP के इस आयोजन के वायरल वीडियो के बाद ऐसा लग रहा है जैसे ज्ञान का हाल ये कि रिसर्च अब ‘लिपस्टिक’ पर हो रहा है, शील इतना कि कमरिया लपालप कर रहा है… और एकता ऐसी कि पूरा विश्वविद्यालय एक साथ ठुमके में जुड़ गया!”ज्ञान की जगह गाना, शील की जगह ठुमका और एकता की जगह मस्ती – यही है नया पाठ्यक्रम VKSU का।”

स्टेज पर ठुमकों की बारिश और ग्राउंड में तालियों की गड़गड़ाहट…लोग मज़े ले रहे थे, लेकिन यूनिवर्सिटी की दीवारें शायद रो रही थीं। वीर कुंवर सिंह की आत्मा सोच रही होगी- “क्या इसी दिन के लिए अंग्रेजों से लड़ा था कि आज मेरी धरती पर ‘कमरिया’ इतिहास रचे?

कहते हैं ‘शिक्षा संस्कार देती है’पर यहाँ तो संस्कार और साउंड सिस्टम दोनों ही फुल वॉल्यूम में बज रहे थे। अब हाल ये है कि शाहाबाद का गौरव, वीरता की पहचान और विश्वविद्यालय की गरिमा…सबको “लागवेलु लिपस्टिक” के बोलों ने ऐसे ढक दिया कि इतिहास का पन्ना भी शर्मा गया।
आयोजन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है जहाँ कमेंटों की भरमार है लोग तरह तरह की बाते कर रहे हैं। लेकिन फिलहाल इसपर विश्विद्यालय की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। सभी चुप्पी साधे हुए हैं। सोशल मीडिया पर भी आयोजक पक्ष से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है।
छात्र-छात्राओं को नाचने के लिए मजबूर करने वाली इस संस्कारिक संस्थ ने बता दिया कि अब ज्ञान नहीं, बल्कि गानों और ठुमकों से भी “एकता” लाई जा सकती है। सवाल यही है क्या यूनिवर्सिटी आगे भी “लिपस्टिक रिसर्च सेंटर” बनी रहेगी या संस्कारों की पढ़ाई फिर शुरू होगी?
Pncb
