पटना, 7 नवंबर (ओ पी पांडेय) . इस साल 8 नवंबर को साल का अंतिम चंद्र ग्रहण है जो शाम 5:35 से 6:19 तक रहेगा. चन्द्रग्रहण के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नही और क्या प्रभाव पड़ेगा किन जातकों पर बता रहे हैं काल भैरव, वाराणसी के वरिष्ठ पुजारी योगी योगेश्वर नाथ.

योगी योगेश्वर नाथ के अनुसार ग्रहण का मोक्ष काल 7:27 तक रहेगा. सूतक काल 9 घंटे पहले ही आरंभ हो जाएगा. इस सूतक काल में गर्भवती महिलाएं अत्यंत ही सावधानी बरतें नारियल रखें अपने पास और हनुमान जी का जाप करें. जितना संभव हो सके और अपने लिए और पूरे परिवार के मंगल हेतु गुड़ काला तिल का दान करें. चंद्र ग्रहण में मेष राशि,वृष राशि, कन्या राशि, मकर राशि, विशेष सावधानी बरतें. खास तौर से अपने बोलने में और अपने व्यवहार में और भोजन में भी विशेष सावधानी रखें. यह चंद्रग्रहण मिथुन कर्क वृश्चिक, कुंभ के लिए मंगलकारी होगा. इस ग्रहण काल में समस्त भोजन में या पेय पदार्थ में तुलसी के पत्ते डाल देंगे. तुलसी के पत्ते सूतक काल से पहले ही अपने पास एकत्रित कर लें. देव मूर्तियों को कोई भी स्पर्श ना करें और सूतक काल में भगवान का नाम जपे. ग्रहण काल के मोक्ष के पश्चात श्रीहरि का नाम जपते हुए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करते हुए स्नान करने के पश्चात देव मूर्तियों के माला फूल इत्यादि को बदलेंगे. उन पर जल चेक कर उन्हें नए माला,फूल,फल इत्यादि चढ़ाकर उनका आशीर्वाद लेंगे और अपने स्नान करने के उपरांत अपने धागे जनेऊ मौली इत्यादि बदल देंगे. दान अवश्य करेंगे पुराने वस्त्र यदि आप दान कर रहे हैं तो इसमें अवश्य सावधानी रखें कि यह साफ-सुथरे एवं प्रेस की भी होने चाहिए. इसमें आपके पसीने की गंध नहीं होनी चाहिए अन्यथा लक्ष्मी हानि का योग बनता है और गुड़ और तिल के दान करने से कई प्रकार के ग्रह दोषों का शमन होता है. पैसा यदि आप रखना चाहे ₹40 ही रखें. यह सब सामग्री किसी गरीब को दान देना है. सभी सामग्रियों पर पूरे परिवार के सदस्यों का हाथ अवश्य स्पष्ट करा लेना चाहिए और अंत में रात्रि में विश्राम के वक्त भगवान श्री विष्णु का ध्यान करते हुए हनुमान जी का स्मरण करते हुए रात्रि में विश्राम करना चाहिए.




सूतक काल में प्रयास करें कि ना सोए हो सके तो पूरे घर में गूगल और धसान की सुगंध पूरे घर में सुगंधित वातावरण को बनाने के लिए करना चाहिए. ऐसा करने से चंद्र ग्रहण के दौरान जो नकारात्मक ऊर्जा घर में एकत्रित हो जाती है वह सब नष्ट होकर सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है.

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