पांच दिनों में दिखी योगिनी के विभिन्न स्वरूप
सामाजिक संस्कृति की बहुस्तरीय भावना को दर्शाती एकल चित्र प्रदर्शनी
श्याम शर्मा ,मिलन दास ,अनिल बिहारी अजय पाण्डेय चंद्रभूषण श्रीवास्तव ,मजहलाई ने आयोजन को सराहा




राजधानी पटना में पांच दिनों अनीता कुमारी की चित्र श्रृंखला योगिनी को दर्शकों को खूब प्रशंसा मिली. चित्रकला में अपना स्थान ख़ास बनाने वाली अनीता कुमारी की एकल चित्र प्रदर्शनी में पौराणिक महत्ता की योगिनी को प्रस्तुत किया है. ललित कला अकादमी में आयोजित इस एकल चित्रकला प्रदर्शनी का में अब तक कई चित्रकार शिरकत कर चुके हैं. प्रसिद्ध कलाकार मिलन दास अनिल बिहारी दर्शक के रूप में आए इनके साथ-साथ पटना आर्ट कॉलेज के प्राचार्य अजय पाण्डेय ,सहायक प्रोफेसर चंद्रभूषण श्रीवास्तव और मजहलाई एवं कलाकार संजय सिंह अमित कुमार,और कॉलेज के छात्र छात्राएं भी शामिल हुए. मिलन दास एवं अन्य बिहारी ने प्रदर्शित चित्रों को सराहा और उसकी बारीकियों पर भी चर्चा की.

वहीँ मिलन दास ने कहा कि इनकी पेंटिंग में जो सबसे ख़ास बात है वह है संयोजन जो किसी भी चित्रकार को अपनी ओर आकर्षित करता है. वहीँ आर्ट कॉलेज प्रोफेसर चंद्रभूषण श्रीवास्तव ने कहा कि समकालीन समाज की झलक इन चित्रों में दिखती है. अमरेश कुमार,रश्मि सिंह,जितेंद्र मोहन,रामू कुमार संजय कुमार,प्रमोद रजक समेत तारकेश्वर और संगीता सिन्हा  चित्रकारों ने अनीता की पेंटिंग को सराहा.  

अनीता ने बताया कि योगिनी एक प्रतीकात्मक चिन्ह है जिस पर काम करते हुए मैं अपने कामों में आनंद की प्राप्ति करती हूँ. नारी समाज की पवित्र प्रतीक है क्योंकि पूरा समाज नारी के इर्द-गिर्द घूमती है. मेरी कला 21वीं सदी के समाज की महिलाओं की व्याख्या है जो महिलाओं और समाज के बीच अतीत से लेकर वर्तमान तक का संवाद व्यक्त करती है. एक महिला होने के नाते मैं समाज के सुचारू संचालन में मेरी कला का स्रोत प्रकृति और वह वस्तुएं हैं जिनमें हम रहते हैं और जिनके साथ हम रहते हैं. मैं अपनी संस्कृति के स्वदेशी तत्व का दर्शकों को अनुभूति कराती हूं.

तथ्यों और अनुभव में विश्वास करते हुए मैं दुनिया को अपने कैनवास पर समेटना चाहती हूं. प्रकृति और समाज के संयोजन के माध्यम से विभिन्न प्रकार के अनुभव व्यक्त करने का प्रयास करती हूं. मेरा विषय सामाजिक संस्कृति की बहुस्तरीय भावना को दर्शाता है जो समय के साथ विकसित हो रही है और सामाजिक संस्कृति की एक प्रमुख भूमिका रहती है कि कैसे चीजें बदल रही है और हमारे अतीत के भविष्य से जोड़ता है. एक महिला होने के नाते मैं समाज के सुचारू संचालन में महिलाओं की भूमिका और महत्व को समझती हूं. प्रदर्शनी 20 दिसंबर तक आयोजित की गई है.

वहीँ चित्र प्रदर्शनी के पांचवे दिन भी लोगों की भीड़ जुटी जिनमें कई स्कूलों के छात्र छात्राओं ने शिरकत किया. देश दुनिया के प्रख्यात चित्रकार पद्मश्री श्याम शर्मा कहा कि अनीता कुमारी के चित्र ने सृजन से लेकर कई अवस्थाओं का चित्रण किया है जिसमें कला के प्रति उनका नजरिया स्पष्ट दिखता है. योगिनी एक योग है मतलब जोड़ना मतलब योगी. षोडशमातृकाएं या 64 योगिनियों की कल्पना है. ये सभी भारतीय चित्र परंपरा के अनुसार है. इनके चित्रों में कथात्मक का गुण है जो अपनी कहानी कहती है. योगिनी को आज के संदर्भ में प्रस्तुत करना ही कलात्मकता है. 

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By pnc

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