सबसे ताकतवर नौकरशाह लेकिन व्यवहार आम आदमी से भी सरल और सहज

पटना, 25 जून(ओ पी पांडेय). कहा जाता है कि पावर और पैसा इंसान के अंदर घमंड पैदा करता है. लोग पंचायत के किसी पद का चुनाव जीतते हैं तो स्कॉर्पियो और चार लोगों के बगैर नही चलते हैं. फिर मुखिया और अन्य पदों पर आसीन होने के बाद उनके तेवर और थाट की तो बात ही छोड़ दीजिए. लेकिन कुछ इंसान ऐसे भी होते हैं जिन्हें पावर या पैसा कभी उनके विचार, व्यवहार या उनके जीवन शैली को रत्ती भर डिगा भी नही पाती है. हम बात कर रहे हैं ऐसे ही एक ऐसे शख्स की जो पावर और पैसे के उस ओहदे पर हैं कि जो चाहें एक इशारे मात्र पर कर सकते हैं लेकिन वे इतनी ऊँचाई पर होने के बाद भी जितने सरल हैं कि आम इंसान भी उन्हें देखकर उनकी मुरीद हो जाए. क्यों चक्कर खा गए या फिर सिर खुजलाने लगे? चलिए आपके दिमागी कुश्ती को इस गर्मी में शांत करते हुए इस शख्स से रु-ब-रुकरा ही देते हैं.




हम बात कर रहे हैं बिहार के सबसे ताकतवर नौकरशाह एस सिद्धार्थ की जो मुख्यमंत्री बिहार सरकार मुख्य सचिव एवम बिहार के गृह सचिव के पद पर तैनात हैं.अब आप इस पद पर आसीन व्यक्ति के पावर का अंदाज खुद लगा सकते हैं. एस सिद्धार्थ के पास हर संभव सुरक्षा का लाभ उठाने का अधिकार है,पर वह इसके बिना बड़े सहज और सादगी से घूमते हैं. सादगी ही उनका गुण है. वे एक आम नागरिक की तरह पैदल चलकर बाजार जाते हैं और बाजार से सब्जियां और फल सड़क किनारे बेचने वाले किसानों और छोटे व्यापारियों से खरीदते ताकि इन छोटे लोगों तक लाभ किसी बड़े व्यापारी या मॉल से न आकर डायरेक्ट उनको मिले.

उनको जानने वाले जब सड़कों पर अनायास उन्हें एक आम इंसान के रूप में देखते हैं तो सभी लोग आवाक रह जाते हैं, उनकी आंखे खुली रह जाती है. उनकी यह सरलता उन सब पर भी भारी पड़ जाती है जो गाड़ियों पर सवारी को ही अपनी शान समझते हैं. इतना ही नही वे सभी समकालीन और युवा नौकरशाहों के लिए एक सीख दे सबके आइकॉन बन जाते हैं.

एस सिद्धार्थ मूल रूप से तमिल हैं बावजूद इसके वे मूल निवासी की तुलना में बेहतर स्थानीय बोलियाँ बोलते हैं. उनसे मिलने के बाद उन्हें कोई भी नही कह सकता कि वे बिहार के नही हैं.

ये तो हो गया उनका व्यवहारिक ज्ञान लेकिन उनकी शिक्षा की भी बात करे तो वे ऊँच शिक्षा में भी सर्वोच्च शिखर पर विराजमान हैं. IIT दिल्ली, IIM अहमदाबाद से पास आउट, डबल PHD के साथ ही उनके पास पायलट लाइसेंस भी है. अब आप ही सोचिए इतनी डिग्रियां और तकनीकी ज्ञान के बाद भी एस सिद्धार्थ की सरलता लोगों को कायल कर जाती है. आम तौर पर लोगों को अधिकारियों तक पहुंचने में पसीने छूट जाते हैं और कई पापड़ बेलने पड़ते हैं लेकिन इनके साथ अलग ही कहानी है लोग इन तक पहुँचे इससे पहले ये खुद ही लोगों तक पहुंच उनकी तकलीफों को कम कर देते हैं. ऐसा नही हैं कि ये पहले ऐसे अधिकारी हैं जो लोगों तक पहुंच कर चुनौतियों को समझते हैं लेकिन ऐसे व्यक्तित्व विरले ही मिलते हैं.

Related Post