‘खुलेपन और कपड़ों से चरित्र का निर्धारण बंद हो’

By pnc Dec 31, 2016

मिसेज ग्लोबल बिहार प्रतियोगिता अपना स्वार्थ साधने की प्रतियोगिता मात्र– प्रिया सौरभ

मेरे पापा मेरे लिए आदर्श हैं




आँख और किडनी दान देने का किया है निश्चय

पुरुष खुद के सोंच को बदलें  समाज बदलेगा 

बच्चों तथा बृद्धाश्रम में जाकर उनकी मदद करना मेरा पैशन

लड़कियां भी देश और समाज के लिए उपयोगी हैं

महिलाओं के आत्म सम्मान की सुरक्षा उनके गौरव के बगैर एक स्वस्थ सभ्य समाज की कल्पना बेमानी है. महिलाओं को सम्मान देंगे और उन्हें प्रोत्साहित करेंगे तो हम सही दिशा में समाज देश को ले जा सकेंगे. महिलाओं के विरुद्ध अपराध कम हों, वे सुरक्षित रहें, यह जिम्मेदारी सभी की है. एक औरत घर और घर से बाहर की जिम्मेवारियों को उठाती है तो उसके सामने समस्याएं पहाड़ बन कर खड़ी होती है लेकिन हिम्मत और साहस के सामने उसे मिलती है तो सफलता. खुशियां छोटी हो या बड़ी वो इसकी परवाह नहीं करती बस चाहती है की कैसे समाज में भी महिलाओं को सम्मान और खुशियाँ हासिल हो .कुछ ऐसा ही जज्बा लिए काम कर रही है . इन दिनों महिलाओं,बच्चों और बुजुर्गों की बेहतरी के लिए काम कर रही है.उन्होंने अपनी आँखे और किडनी भी दान कर देने का फैसला लिया है. किस बेबाकी से क्या सोचती है प्रिया सौरभ , उनकी जबानी उनके विचार …रवीन्द्र भारती के साथ बातचीत

 

बचपन से मैंने अक्सर महसूस किया है आज भी हमारे समाज में महिलाओं की अपनी कोई पहचान नहीं है,उन्हें या तो अपने पिता के नाम से जाना जाता है या अपने पति के नाम से. मैं जिस परिवार में पली बढ़ी हूँ उस परिवार में तो बहुत रोक टोक महसूस नहीं किया, क्योंकि मेरे पापा काफी उच्च विचार के है तथा मर्यादित आज़ादी के पक्षधर रहें है. मैं खुशनसीब थी जहाँ लड़कियों को बाइक चलाना,बाहर जाना सिर्फ मर्दों का काम नहीं था. वरना हमारें समाज में तो महिलाओं को अपना जीवन साथी या वे क्या पहने के चयन तक की आज़ादी नहीं है. यह सच है की कुछ महिलाएं चाँद पर भी जा रहीं है, लेकिन यह कुछ महिलाओं तक ही सीमित है.सच्चाई यह है कि भारत और ऐसे कई देश हैं जहाँ महिलाओं को स्कूल तक जाने की आज़ादी तक नहीं है. मैं मानती हूँ अगर आपको इंसान के रूप में जन्म लेने का मौका मिला है तो आपको इसे कभी बर्बाद नहीं करना चाहिए. इससे क्या फर्क पड़ता है आप महिला हैं या पुरुष. हम तो महिला जरूर हैं पर कमज़ोर नहीं हैं . धर्मों और इतिहासों पर भी नज़र डालें तो नारी हमेशा से शक्ति के रूप में ही जानी जाती रहीं है.हमें इसे आज भी साबित करना होगा. जिंदगी के आखिरी दिनों में आपके पास बताने के लिए कितनी कहानियाँ होगी यह आपके लिए बहुत जरुरी है.

मैं बचपन से ही पढ़ाई के अलावा एनसीसी और स्पोर्टस में काफी रूचि रखती थी. अक्सर प्रतिस्पर्धा में आगे से हिस्सा लेती थी तथा उसको लीड करती थी. मेरे पूरा परिवार तथा मेरे पापा भी मुझे हमेशा से प्रोत्साहित करते रहते थे.मेरे लिए इसी खुलेपन तथा आज़ादी की वजह से मेरे पापा मेरे लिए आदर्श हैं. मैं हमेशा चुनौतियों को सकारात्मक रूप से लेती हूँ तथा कुछ रचनात्मकता कुछ नया करने के लिए खुद को प्रोत्साहित करती रहती हूँ.

 

 

मैं हमेशा से समाज से जुड़ी रहकर उनके लिए कुछ करना चाहती हूँ. अभी मेरे पास बहुत बड़ा मुकाम तो नहीं है फिर भी कुछ समय निकाल कर मैं अक्सर अनाथ बच्चों तथा वृद्धाश्रम में जाकर उनकी मदद  करती हूँ. मैं उन सभी वर्गों के लिए मदद करना चाहती हूँ जो चाहे किसी धर्म/जाती/समुदाय/या लिंग से हों, लेकिन ज़रूरतमंद हो. आज भी हमारे समाज में ऐसे कई लोग हैं जो बहुत प्रतिभावान हैं किन्तु किसी गंभीर बीमारी या किसी अंग के ख़राब हो जाने की वजह से अपनी प्रतिभा को ख़त्म करते जा रहें है. मैं इन सभी लोगों से प्रेरित होकर मैं अपने आँख और किडनी को दान देने का निश्चय किया है और सभी लोगों से चाहूँगी की वे भी मेरी इस मुहिम में मेरा साथ दें.  

 

 

 

 

 

 

मिसेज ग्लोबल बिहार  में मैं इसी वजह से भाग ली जहाँ से एक मुकाम/मंच  हासिल कर सकूँ.जिसका प्रयोग करके महिलाओं को सशक्त करने की मुहिम  को एक मजबूत आवाज़ दे सकूँ. हालाँकि मुझे बहुत खेद भी हुआ की इस मंच पर प्रतिभा को निखारने के बजाय कुछ स्वार्थ निकलने की भावना छुपी दिखी. शायद मैं कुछ फैसलों से दुखी हूँ.

  

भविष्य में कुछ मेरी योजना है की मैं अनाथ बच्चों तथा वृद्धाश्रम से जुड़कर उनकी छुपी प्रतिभा को निखारने का कार्य कर सकूँ . मैं एक अनाथ लड़की को गोद भी लुंगी जिससे यह सन्देश दे सकूँ कि लड़कियां भी देश और समाज के लिए कितनी उपयोगी हैं. आखिरी में समाज के पुरुषों को यह सन्देश देना चाहती हूँ की महिलाओं को उनके खुलेपन तथा उनके कपड़ों से उनके चरित्र का निर्धारण नहीं करें. महिलाओं के सशक्तिकरण का कार्य तब तक अधूरा रह जाएगा जब तक अपने घर के ही पुरुषों की सोंच न बदल जाएँ, फिर समाज के पुरुषों की बात कौन करे.

By pnc

Related Post