साहित्य जगत में शोक की लहर
अंतिम संस्कार में जुटेंगे कई साहित्यकार -पत्रकार
चर्चित कार्टूनिस्ट पवन के पिता थे
नई कहानी आन्दोलन से जुड़े साहित्यकार के निधन पर लोगों ने जताया दुःख
लेखन की कई विधाओं में थे माहिर
देश के चर्चित साहित्यकार भूपेन्द्र अबोध का शुक्रवार की रात निधन हो गया.साहित्यकार भूपेन्द्र अबोध ने नई कहानी आन्दोलन से जुड़ी कहानियों ने उन्हें लोगों के बीच में एक नया मुकाम दिया .उन्होंने अपने जीवन में कविताएं,कथा रिपोर्ताज भी खूब लिखे .उन्होंने साप्ताहिक हिन्दुस्तान के लिए बहुत कुछ लिखा.उनके निधन से बिहार के साहित्यकारों में एक स्तम्भ समान साहित्कार के चले जाने का दुःख है .सच्ची कहानियों पर उनकी जितनी पकड़ थी उतनी ही पकड़ साहित्य की अन्य विधाओं में भी थी .पत्रकार हिमांशु जोशी की कुछ पुस्तकों का भी उन्होंने सम्पादन किया .फिल्मों में भी उनकी रूचि थी लेकिन वे इसमें अपना करियर नहीं बनाया.उनका जुड़ाव फणीश्वर नाथ रेणु और राज कमल चौधरी के साथ भी रहा. मनोहर श्याम जोशी के साथ भी उन्होंने कई विधाओं पर काम किया . वे देश-विदेश में चर्चित कार्टूनिस्ट पवन के पिता थे. वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. शनिवार को 12 बजे सोनपुर में गंडक किनारे कोनहरा घाट पर उनका अंतिम संस्कार होगा.भूपेंद्र का जन्म महुआ के गद्दोपुर में 1 नवंबर 1944 को हुआ था. 1965 से 1970 के दौरान अबोध ने हिन्दी कहानीकार के रूप में कई उपलब्धियां हासिल की जिसे सदैव याद रखा जाएगा .