भोजपुरी पेंटिंग के सम्मान के लिए 22 दिनों से लगातार जारी था आन्दोलन

आरा 23 जून. 22 दिनों से भोजपुरी पेंटिंग को सम्मान दिलाने के लिए चित्रों के जरिये शान्तिपूर्ण आन्दोलन के बाद भी रेलवे प्रशासन व सरकार के उदासीन रवैये से क्षुब्ध कलाकारों ने विवश हो 23 वें दिन भूख हड़ताल का रास्ता चुना जो 24 जून को भी जारी रहेगा. भोजपुरी कला संरक्षण मोर्चा द्वारा भोजपुरी चित्रकला को सम्मान दिलाने के लिए बुधवार को 8 लोगों ने आरा रेलवे स्टेशन के पूछताछ केंद्र के पास उपवास रखा. उपवास का यह कार्यक्रम सुबह 9.30 बजे से दोपहर 2 बजे तक रहा. उपवास करने वालों में अशोक मानव,भास्कर मिश्र, विजय मेहता, कमलेश कुंदन, रौशन राय, डॉ जितेन्द्र शुक्ल, काजल सिन्हा एवं अनिल राज थे. आज के कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ रंगकर्मी कृष्णेन्दु ने कहा कि चित्र की महत्ता जीवन के हर अवसर पर है. कलाकारों के साथ-साथ आम जनों व स्थानीय राजनीतिक दलों के नेताओं में भी भोजपुरी के साथ इस सौतेलेपन व्यवहार के प्रति गुस्सा भरा है जो आने वाले दिनों में आक्रोश का रूप ले सकता है.




सोशल मीडिया की खबर सुन भूख हड़ताल में शामिल हुई भोजपुरी अभिनेत्री
दो दिवसीय उपवास के इस कार्यक्रम के पहले दिन 8 उपवास करने वालों में सोशल मीडिया और अखबार में खबरों को पJढ़ने के बाद भूख हड़ताल में एक लड़की काजल सिन्हा शामिल हुई. काजल बेबी काजल के नाम से एक सिंगर के रूप में जानी जाती हैं और विष्णु शंकर बेलू के निर्देशन में बनी भोजपुरी फिल्म “अनाथों के नाथ भोले नाथ” में मुख्य भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री है. काजल अपने पिताजी बबलू सिन्हा के साथ बड़े ही साधारण तरीके से आयी थी. उसके जाने के बाद पता चला कि वह भोजपुरी फ़िल्म से एक अभिनेत्री के रूप में डेब्यू कर रही है. यह भोजपुरी भाषा और उसकी संस्कृति से लगाव ही था कि एक फ़िल्म की अभिनेत्री बिना किसी आमंत्रण और नखरे के अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए भूख हड़ताल पर बैठी और अपना समर्थन देकर चलते बनी.

22वें दिन हुई वृहत बैठक,जिसमे उपवास का लिया गया निर्णय
भोजपुरी कला संरक्षण मोर्चा द्वारा भोजपुरी चित्रकला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने के लिए 22वें दिन मंगलवार को देर शाम वीर कुँवर सिंह स्टेडियम,आरा में बैठक संपन्न हुआ. इस बैठक में स्थानीय कलाकारों के अलावा विभिन्न राजनीतिक और सांस्कृतिक संघटनों के 50 से ज्यादा सक्रिय सदस्य उपस्थित हुए. बैठक की अध्यक्षता और विषय प्रवेश करते हुए मोर्चा के संयोजक भास्कर मिश्र ने कहा कि हमारा विरोध किसी भी अन्य संस्कृति या कला से नहीं बल्कि अपनी संस्कृति के लिए सम्मान की रक्षा के लिए है. मंच संचालन करते हुए वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और रंगकर्मी अशोक मानव ने कहा कि यह आंदोलन समस्त भोजपुरी भाषी लोगों का है. एक बार सफलता मिलने के बाद पीढ़ियों तक इसका लाभ मिलेगा.

चित्रकार रौशन राय ने कहा कि भोजपुरी चित्रकला के अंतर्गत हमारे घरों में शुभ अवसर पर बनने वाला कोहबर एवं पीड़िया मुख्य रूप से आता है. पूर्व वार्ड पार्षद डॉ जितेंद्र शुक्ल ने कहा कि चरणबद्ध तरीके से चल रहे इस आंदोलन को और तीव्र करने की आवश्यकता है इसके लिए स्थानीय सांसद सह मंत्री और विधायक सह मंत्री का सहयोग अपेक्षित है. वरिष्ठ भाजपा नेता अखिलानंद ओझा ने कहा कि इस कार्य को सफल बनाने के लिए पूर्व मध्य रेलवे के जी एम या डी आर एम महोदय से व्यक्तिगत तौर पर मिलने से बात बन सकती है.

रंगकर्मी संजय कुमार पॉल ने कहा कि आंदोलन को तीव्र और समाज के हर तबके के लोग को जागरूक करने के लिए मशाल जुलूस निकाला जाए. रंगकर्मी सुधीर शर्मा ने कहा कि जी एम या डी आर एम महोदय को रंगारंग प्रदर्शन करते हुए आरा भ्रमण के दौरान भोजपुरी चित्रकला उपहार स्वरूप दिया जाए. रंगकर्मी बम ओझा ने कहा कि समाज के प्रबुद्ध साहित्यकारों, चित्रकारों, कलाकारों एवं पत्रकारों को भी इस आंदोलन से जोड़ा जाए. रंगकर्मी श्याम शर्मीला ने कहा कि वरीय अधिकारियों से मिलने के बाद अगर सकारात्मक परिणाम नहीं आये तभी हमलोग कठोर पहल करें. रंगकर्मी किशन सिंह ने कहा कि बिना कठोर और सक्रिय आंदोलन के रेल प्रशासन हमारी बात नहीं सुनेगा. रंगकर्मी मनोज सिंह ने कहा कि हमें गाँधी जी के अहिंसात्मक आंदोलन के स्वरूप से ही निश्चित विजय प्राप्त होगी. प्रदर्शन के दौरान अभियान गीत की भी प्रस्तुति कलात्मक ढंग से की जाएगी.

जदयू के अभय विश्वास भट्ट ने कहा कि स्थानीय सांसद और विधायक महोदय द्वारा इस मुद्दे पर मौन धारण करना अत्यंत दुखद है. मोर्चा के कोषाध्यक्ष कमलेश कुंदन ने कहा कि हर भोजपुरिया के घर में भोजपुरी चित्रकला का चित्रांकन होना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका महत्व समझ सकें. सामाजिक कार्यकर्ता अनिल राज ने कहा कि रेल प्रशासन द्वारा सकारात्मक आश्वासन नहीं मिलने पर पूरे शहर में रंग जुलूस निकालकर लोगों को और संवेदनशील बनाने की जरूरत है.

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए मोर्चा के उप संयोजक विजय मेहता ने कहा कि अब आर-पार की लड़ाई की स्थिति में यह आंदोलन आ गया है. 22 दिनों से चल रहे इस आंदोलन पर अबतक कोई भी निर्णय नहीं लिया जाना यह साबित करता है कि रेलवे प्रशासन कान में तेल डाल कर सोया है.

सर्वसम्मति से बुधवार से आरा रेलवे स्टेशन पर दो दिवसीय उपवास का निर्णय लिया गया. वरिष्ठ रंगकर्मी रवींद्र भारती ने कहा कि वरीय अधिकारियों की उदासीनता हमारे कलाकारों के उत्साह को आक्रोश में परिणत होने पर मजबूर कर देगा. बैठक को सफल बनाने में वरिष्ठ रंगकर्मी कृष्णेन्दु,संजय कुमार सिंह, किशन सिंह,संजय सिंह, के पी शास्त्री, भरत आर्य,शालिनी श्रीवास्तव, प्रशंसा पटेल, राजू कुमार मिश्र, मो महबूब आलम,सुनील पाठक, हरिश्चंद्र शाह,रतन देवा, कमलदीप कुमार संजय राय,संस्कार कृष्ण,मनोज श्रीवास्तव आदि प्रमुख थें.

आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

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