हिंदी रंगमंच दिवस पर “प्रकृति से हैं हम ” नुक्कड नाटक की हुई प्रस्तुति
आज रंग है लेकिन मंच नहीं है”- नवाब आलम “आज ज्वलन्त मुद्दे बेरोजगारी, भुखमरी, कुपोषण ,प्रदूषण, जल संकट पर नाटक लिखने की जरूरत है”-प्रसिद्ध यादव खगौल , 6 अप्रैल(अजीत). खगौल के मोती चौक पर चर्चित नाट्य संस्था सूत्रधार, खगौल के बैनर तले संस्था के महासचिव नवाब आलम लिखित ,नीरज कुमार द्वारा निर्देशित “प्रकृति से हैं हम ” नुक्कड नाटक की दिल छू लेने वाली प्रस्तुति हुई. सबसे पहले ” कस्बाई रंगमंच के संकट और चुनोतियाँ बिषय पर संगोष्ठी हुई. लेखक प्रसिद्ध यादव ने हिंदी रंगमंच के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ” हिंदी रंगमंच ने न केवल समाज को आईना दिखाया, बल्कि एक नई राह दिखाया. नाटकों में गुलामी ,शोषण,जुर्म, अत्याचार ढोंग,अंधविश्वास, पाखंड के खिलाफ भी आवाज बुलंद हुआ. भारतेंदु हरिश्चंद्र जैसे महान नाटककार, कवि,रंगकर्मी का उदय प्रथम नाटक मंचन करने से हुआ था. हिंदी रंगमंच दिवस हर साल तीन अप्रैल को मनाया जाता है. 3 अप्रैल 1868 को बनारस में पहली बार शीतला प्रसाद त्रिपाठी कृत हिन्दी नाटक जानकी मंगल का मंचन हुआ था. आज ज्वलन्त मुद्दे बेरोजगारी, भुखमरी, कुपोषण ,प्रदूषण, जल संकट पर नाटक लिखने की जरूरत है.” संस्था के महासचिव नवाब आलम ने खगौल के लंबे रंगमंच के इतिहास को विस्तार से बताते हुए फिल्म संगीतकार श्याम सागर, हरिदेव विश्वकर्मा, समी खान,आर एन चतुर्वेदी, , मो सलाम, मो सरूर अली अंसारी, व्ही वासुदेव, चित्रकार सुबोध गुप्ता, कहानीकार अवधेश प्रीत, आर एन प्रसाद, प्रमोद कुमार त्रिपाठी,आर पी वर्मा तरुण आदि वरिष्ठ लोगों की जमात थी उनमें से आज भी कुछ लोग सक्रिय हैं. जो खगौल रंगमंच
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