दिव्यांग महिलाओं को उनका वाजिब हक दिलाना मेरी प्राथमिकता– रितु चौबे
मिसेज ग्लोबल बिहार प्रतियोगिता में हुई थी शामिल
जीता MOST CONFIDENT AWARD
घर की पूरी जिम्मेवारी भी उठाती हैं रितु
सात दिव्यांग जोड़ियों की करवा चुकी है शादी
अच्छे कामों में परेशानियां तो आती ही हैं
एक औरत घर और घर से बाहर की जिम्मेवारियों को उठाती है तो उसके सामने समस्याएं पहाड़ बन कर खड़ी होती है लेकिन हिम्मत और साहस के सामने उसे मिलती है तो सफलता. खुशियां छोटी हो या बड़ी वो इसकी परवाह नहीं करती बस चाहती है की कैसे समाज में भी महिलाओं को सम्मान और खुशियाँ हासिल हो .कुछ ऐसा ही जज्बा लिए काम कर रही है पटना की रितु चौबे. इन दिनों महिलाओं की बेहतरी के लिए उन्होंने ने सोशल साईट पर जंग छेड़ रखी है. क्या सोचती है रितु, उनकी जबानी उनके विचार …रवीन्द्र भारती के साथ बातचीत
मैंने जब बाहरी दुनियाँ में कदम रखा तब देखा क्या-क्या झेलना पड़ता है महिलाओं को और जब वो अपाहिज हो तब. तभी मैंने सोचा जितना भी संभव हो सके मैं उनकी मदद करुँगी.इसके लिए मुझे बहुत सी मुसीबतों का सामना करना पड़ा मैं घबराई नहीं. मैंने सम्बंधित लोगों से संपर्क कर के उसका निवारण करने का प्रयास आज भी करती हूँ.
घर परिवार देखना,बच्चों और दिव्यांग पति का ख्याल रखना मेरे लिए चैलेन्ज होता है पर मेरा जो काम है उसमें मुझे कोई रोकता नहीं है जो बहुत बड़ा सहयोग है मेरे लिए. ऑफिस और घर दोनों को देखते हुए काम करना बहुत मुश्किल होता है पर कर रही हूँ. बेटा और बेटी दोनों की पढ़ाई और परवरिश की पूरी ज़िम्मेदारी भी मेरी ही है.फैमिली बैकग्राउंड का सहयोग हौसला अफजाई का है बस मुझमें हिम्मत आई और मैं निकल पड़ी हूँ महिलाओं और लड़कियों की भलाई के लिए.
अभी हमारा सोशल स्इट्स पे अभियान चल रहा है लोगों को जागरूक करने का.समय-समय पर हम पब्लिक प्लेस में जाकर लोगों को समझाते है क्या है ज़िम्मेदारी उनकी समाज के प्रति. अभी हम विकलांग अधिकार मंच और वैष्णो स्वाबलंबन के साथ 7 दिव्यांग जोड़ियों की शादी कराई है. जिसमें बिहार के 5 जिलों से लोग है और पूरी धूम-धाम के साथ उनकी शादी करवाई गई है. 2017 में भी 7 जोड़ों की शादी करने की तैयारियां चल रही है.इस अभियान में लोग भी हमारा पूरी तरह साथ दे रहे है,पर अच्छे कामों में परेशानियां तो आती रहती है. मेरा बाहर निकल कर दूसरे शहर में नौकरी करना बिलकुल भी पसंद नहीं लोगों को बावजूद इसके काम करना पड़ता है.
हम लोगों ने whatapps ग्रूप बनाकर ने पटना डाकबंगला चौराहा पर कैंप लगाकर चेन्नई बाढ़ पीड़ितों के लिए पैसे इकट्ठे किए और मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा भी किया.आगे के लिए भी बहुत कुछ सोचा है हमने. सोशल मीडिया पर लोगों के सहयोग से बहुत कुछ करना है. महिलाओं को सिर उठा कर आज़ादी से जीने का अधिकार मिले और खासकर दिव्यांगों महिलाओं के लिए जिन्हें आज भी हीन भावना से समाज में देखा जाता है वो सिर उठा कर जी सके.
पटना में आयोजित मिसेज ग्लोबल बिहार प्रतियोगिता में मैंने भाग लिया सिर्फ इसलिए ताकि मैं खुद को साबित कर सकूं और दुनिया की नज़र में एक मिशाल बन पाऊं.कोई भी महिला किसी से कम नहीं. इस प्रतियोगिता मुझे MOST CONFIDENT AWARD से सम्मानित किया गया.जिससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है और पहले से ज्यादा मैं अपने आप को सेवा में लगा सकती हूँ. मुझे बहुत कुछ करना है अपने समाज के लिए. एक मिशाल बनना है समाज में. दिव्यांग शरीर हो सकता है दिमाग नहीं. ज़रूरत है एक मौके की ऐसे उड़ान की जो सबको खुशियाँ दे सके.सफलता के उस आसमान को हर कोई छू सकता है बशर्ते लगन और परिश्रम का खुद के अन्दर जज्बा हो.