शारीरिक और मानसिक अभ्यास नाटक के लिए सबसे जरुरी

By pnc Sep 16, 2016

 सुना है पेड़ के नीचे ज्ञान मिलता है

अभ्यास का 26वां दिन उर्फ़ when I was a King.
प्रेमचंद रंगशाला में इन दिनों रंगमंच  के लिए जरुरी शारीरिक और मानसिक अभ्यास पर कार्यशाला चल रही है जिसे प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक पूंज प्रकाश संचालित कर रहे है .पटना के विभिन्न रंग संस्थाओं के कलाकार अहले सुबह से अभ्यास प्रारंभ कर देते है . इस मौके पर पूंज ने कहा कि कोई भी कलाकार जब अपनी पीढ़ी की दुहाई देते हुए दूसरी पीढ़ी के लगन, मेहनत और ईमानदारी पर सवाल उठाने लगता है तो उसे When I was a King कलाकार कहा जाता है. जबकि सच्चाई यह कि कोई भी वर्तमान पीढ़ी अपनी पिछली पीढ़ी से बहुत सारे मामलों में आगे भी होती है. जहाँ तक सवाल वर्तमान रंगकर्म का है तो कोई भी नया कलाकार बड़ी ही मासूमियत के साथ इस क्षेत्र में आता है; ठीक वैसे ही जैसे कोई बच्चा इस दुनियां के क़दम रखता है. उसका जैसे लालन-पालन, परिवेश, समाज, स्थिति-परिस्थिति से वास्ता पड़ता है अमूमन वैसा ही उसका व्यक्तित्व बनता है. सारे छल-प्रपंच और नींद-रस-पान वह यहाँ आकर सीखता है. कहने का तात्पर्य यह कि पीढ़ियां गढ़ी जाती है; गढ़ी गढ़ाई किसी को नहीं मिलती. आइए, गढ़ा जाय क्योंकि “जो रचेगा, वही बचेगा.” बाकी सब हवा-हवाई है.  शारीरिक के साथ ही साथ मानसिक एवं बौद्धिक तैयारी भी एक अत्यंत ही ज़रूरी तथ्य हो जाता है शारीरिक अभ्यास के साथ ही साथ, पढ़ना लिखना, ऑब्ज़र्ब करना और उसे अपने में समाहित कर एक्सप्रेस करना भी ज़रूरी है. कार्यशाला अब उपरोक्त दिशा में करवट ले रही है. विभिन्न अभ्यासों और खेलों के माध्यम से अब हम अभिनेता के तन, मन और ज्ञान को अर्जित करना और उसे एक साथ रिएक्ट/एक्ट कराने की कोशिश जारी है. साथ ही अलग – अलग अभिनेता-अभिनेत्रियों की स्पीच, बॉडी, माइंड की अलग-अलग समस्या भी है. सारी समस्याओं का निवारण एक ही वर्कशॉप और चंद दिनों में कोई एक व्यक्ति/प्रशिक्षक कर देगा, ऐसा भ्रम तो नहीं ही पाला जा सकता. क्योंकि सीखना-सिखाना तो एक सतत और निरंतर प्रक्रिया है.
बहरहाल, जितना हो पा रहा है और जीतनी मुझे सही-सही जानकारी है उसी के हिसाब से सबको थोड़ा मोटिवेट करने कोशिश है. माहौल बन जाए, बाकी चीजें होती रहेंगीं. यह प्रयास क्या रंग लाएगा यह तो आनेवाला समय ही बताएगा. सच्चे मन से किया जानेवाला सार्थक और सामूहिक प्रयास एक न एक दिन रंग तो लाएगा ही. हमारे प्रयासों से दूसरे लोग भी मोटिवेट हो रहे हैं यह बात जितनी ख़ुशी देती है, वह कोई अन्य बात नहीं. बढ़े चलो, होश के साथ जोश और जूनून कायम रहे, किसी ने क्या खूब कहा है – “मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।”अभ्यास जारी है –




 

 

 

 

 

 

अब बात प्रेमचन्द रंगशाल के पूर्वाभ्यास स्थल की जो इस तस्वीर में दिख रही है . कैसा हो पूर्वाभ्यास स्थल अपनी प्रतिक्रिया हमें लिख भेजें –[email protected]

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