इनके दर्शन के बिना अधूरी है गुप्तेश्वर नाथ की यात्रा

गुप्ता-धाम पार्ट-2

दुर्लभ है प्रगट नाथ महादेव का दर्शन
और बिना दर्शन यात्रा है अधूरी




गुप्ता धाम में बाबा गुप्तेश्वर नाथ के दर्शन साथ-साथ महादेव के दो और रूप विद्यमान हैं जिनका दर्शन बहुत ही शुभ माना जाता है. ये भी कहा जाता है कि बिना महादेव की इच्छा इन्हें देखना भी संभव नहीं है. प्रगट नाथ महादेव वह जगह है जहाँ महादेव का साक्षात् प्रमाण आप देख सकते हैं.

यहाँ पत्थर से शिवलिंग का निकलना और हर साल उसके आकार का बढ़ना एक अद्भुत चमत्कार की तरह है. 20 सालों से लगातार आने वाले आरा के एक शिव भक्त विक्की और सरदार की मानें तो उन्होंने प्रगट नाथ महादेव का शिवलिंग 1-1.5 किलोग्राम का बचपन में देखा था जो अब 50 किलोग्राम से भी ज्यादा का हो गया है.

कहाँ है प्रगट नाथ?
पन्यारी घाट से पहाड़ी पर चढ़ाई के बाद सुगवा घाटी उतरने से पहले दो रास्ते हैं. एक बायीं ओर सुगवा घाट उतर जाता है और सीधे जाने वाला रास्ता प्रगट नाथ महादेव मंदिर चला जाता है. सुगिया नदी से पहले दो रास्ते शिव जी की गुफा तक ले जाते हैं. एक रास्ते मे सुगिया नदी तो दूसरे में दुर्गावती नदी पड़ती है. दुर्गावती नदी वाले रास्ते मे ही प्रगटनाथ महादेव का मंदिर है.

एक नजर नदी पार करते श्रद्धालुओं पर भी-

मंदिर के दर्शन के बाद आप इस रास्ते से भी दुर्गावती नदी पार कर गुप्ता-धाम स्तिथ गुप्तेश्वर नाथ महादेव की गुफा तक जा सकते हैं, लेकिन ये नदी सुगिया नदी से दुगनी चौड़ी है और यहाँ नदी पार करने के लिए रस्सी ही एकमात्र सहारा है. ऐसी मान्यता है कि भस्मासुर से लड़ाई के बाद जब शिवजी अलौकिक रूप में थे तब पहली बार यहीं प्रगट हुए. फिर इसी स्थान पर विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था. कहा जाता है कि गुप्ताधाम जाने वाले श्रद्धालुओं को प्रगट नाथ का दर्शन नहीं करने पर यात्रा अधूरी रह जाती है.

यहाँ 5 बार होते हैं भंडारे के आयोजन

प्रगट नाथ महादेव मंदिर घने जंगल के बीच स्थित एक छोटा सा मंदिर है. मंदिर के नाम पर बस यूँ समझिये कि शिवलिंग को ढकने मात्र तक चहारदीवारी है लेकिन साल में यहाँ 5 बार भक्तों के सहयोग से आनेवाले शिवभक्तों के लिए यहाँ भंडारों का आयोजन होता है जहाँ हर आने जाने वालों को मुफ्त में भोजन कराया जाता है. भंडारों का समय-
* माघ के अँजोरिया से चालू होने वाले फाल्गुन के शिवरात्रि तक 1 माह चलने वाले मेले के दौरान
* चैत्र में कृष्ण पक्ष के अष्टमी से आमावस्या तक 8 दिन तक चलने वाले मेले के दौरान
* बैशाख के कृष्णपक्ष के अष्टमी से आमावस्या तक मेले के दौरान
* सावन के एकम से पूर्णिमा तक 1 माह तक चलने वाले मेले के दौरान
* दीपावली के दिन से 2 दिन तक चलने वाले मेले के दौरान

दरबा नाथ महादेव जिसे देखना है मुश्किल

अमवा चुंआ से सुगवा घाट के रास्ते की ओर थोड़ा आगे बढ़ने पर छोटा सा पड़ाव है जहाँ इक्के-दुक्के दुकानदार मिलेंगे.बायीं तरफ गहरी खाईं और बादलों के नजारों से मनमोहक दृश्य मिलेंगे तो दूसरी ओर चट्टान पर हरे घास. इन्ही चट्टानों पर नीचे की ओर अगर आप नजर दौड़ाएंगे तो शिवलिंग के आकार का एक ऐसा गड्ढा मिलेगा जो जमीन के अंदर धंसा हुआ है.ऐसा लगता है किसी ने चट्टान से शिवलिंग काट वह हिस्सा वहां से हटा दिया हो. लेकिन स्थानीय दुकानदारों के अनुसार जमींन के अंदर होने की वजह से इनका दर्शन कोई नहीं कर पाता है. बहुत कम शिवभक्त शिव के इस अलौकिक रूप को देख पाते हैं.

किवदंतियों के अनुसार एक गरीब शिवभक्त को शिव ने जमीन खोदने का स्वप्न दिया. जब उस शिवभक्त ने वहाँ खुदाई की तो उसे वहाँ सोने चांदी मिले और तब से दरबा नाथ महाराज की चर्चा होने लगी और लोग इनके दर्शन कर अपने ख्वाब सजाने लगे. ऐसा कहा जाता है कि स्वच्छ हृदय वाले ब्यक्ति ही इनका दर्शन कर पाता है क्योंकि जंगल और पत्थरों के बीच इन्हें खोजना ही मुश्किल काम है. क्योंकि यहाँ कोई मंदिर नहीं है.

 

गुप्ता धाम से ओपी पांडे और ऋतुराज

क्रमश:…
कल पढ़िए संगीनों के साये में होती है शिव की सुरक्षा

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