तंबाकू के कारण बढ़ रहा है प्लास्टिक अपशिष्ट कचरा

तंबाकू के कारण बिहार में हर साल बढ़ रहा 5844.63 टन प्लास्टिक अपशिष्ट कचरा
विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर पर्यावरण की रक्षा विषय पर परिचर्चा का आयोजन

आल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज जोधपुर ने जारी की सर्वे की रिपोर्ट
पटना,31 मई. तंबाकू उत्पाद पदार्थ सिर्फ हमारे स्वास्थ्य को ही नहीं बल्कि पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचा रहा है.

सिगरेट, गुटका समेत तमाम तंबाकू खाद्य पदार्थ प्लास्टिक में पैक होते हैं, जिसे रिसाइकल नहीं किया जा सकता है. पर्यावरण पर हर रोज हजारों टन तंबाकू उत्पाद प्लास्टिक अपशिष्ट कचरा पर्यावरण पर बोझ बढ़ता जा रहा है. बिहार में हर साल सिगरेट से 35.02 टन, बीड़ी से 310.04 टन, धुआं रहित तंबाकू से 5492. 07 टन समेत अन्य तंबाकू से कुल 5844.63 टन प्लास्टिक अपशिष्ट कचरा का बोझ बढ़ रहा है. इसे देखकर विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2022 का थीम तंबाकू: हमारे पर्यावरण के लिए खतरा ‘ है
तंबाकू उत्पादन के कचरे से पर्यावरण को हो रहा है भारी नुकसान:
उक्त बातें विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2022 के अवसर पर एलायंस फ़ॉर टोबैको फ्री बिहार (एएफ़टीबी) के तत्वाधान में सोमवार को बिहार आर्थिक अध्ययन संस्थान के सभागार में ‘ पर्यावरण की रक्षा’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में सोशियो इकोनॉमिक एंड एजुकेशनल डेवलपमेंट सोसाइटी (सीड्स) के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा ने कही. उन्होंने कहा कि उक्त रिपोर्ट आल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज जोधपुर द्वारा दी यूनियन की तकनीकी सहयोग से 17 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 33 जिलों में अध्ययन करने के बाद जारी की गई. रिपोर्ट में बताया गया कि विश्व में 84 मेगावाट कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर सालाना ग्रीनहाउस गैस उत्पादन के साथ तंबाकू उद्योग, जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचता है. विश्व में हर साल तंबाकू उगाने की वजह से 3. 5 मिलियन हेक्टेयर भूमि नष्ट हो जाती है और मिट्टी का क्षरण तथा फसलों को नुकसान होता है.


बच्चों एवं युवाओं पर अधिक दुष्प्रभाव:
इस मौके पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के पूर्व वरीय सलाहकार सह एएफ़टीबी के संयोजक डॉ धीरेंद्र नारायण सिन्हा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते कहा कि तंबाकू का सबसे अधिक दुष्प्रभाव स्कूली बच्चों और युवाओं पर पड़ रहा है. बिहार में तंबाकू का प्रयोग करने वाले 25.9 प्रतिशत, धुआं रहित तंबाकू यानी पान मसाला, जर्दा, खैनी का प्रयोग करने वाले 23.5 प्रतिशत, बीड़ी पीने वाले 4.2 प्रतिशत और सिगरेट पीने वाले 0.9 प्रतिशत लोग हैं. तंबाकू सेवन के कारण कैंसर, ह्रदय रोग जैसी बीमारियों की समस्या बढ़ती जा रही है. उन्होंने कहा कि तंबाकू- सिगरेट व्यवसाय जैसे शक्तिशाली व्यावसायिक समूह से मुकाबला के लिए सामाजिक चेतना आवश्यक है.
इस अवसर पर कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ वी पी सिंह, बी एन पटनायक, योगेंद्र कुमार गौतम, सपन मजूमदार, अमर कुमार सिंह, शेखर, सुधीर कुमार, मनोज कुमार झा, सुनील चौधरी, नरेंद्र कुमार शाही, राहुल घोष, सुदीप पांडे, कैलाश चन्द्र साहू, स्वर्ण विजय पांडे आदि ने विचार व्यक्त किया. एएफ़टीबी के सह संयोजक राम शंकर ने धन्यवाद ज्ञापित किया.




PNCB

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