न्याय के लिए दर-दर भटक रही है ममता

By pnc Jan 19, 2017

महिला हेल्पलाइन भी नहीं दिला पाया ममता को न्याय 




पटना के अधिकारियों से भी लगा चुकी है गुहार 

बहन ने दिया भाई को दवा के बदले धीमा जहर 

पति के साथ मिल कर कब्ज़ा किया भाई के घर पर 

न्याय के लिए दर दर भटकना और अपनी नियति पर रोना बिहार की महिलाओं के नसीब में है . इन्ही में से एक है  ममता गुप्ता. उनके  पति एक कलाकार थे.पटना के रंगमंच पर जो काम किया उसे सारे रंगकर्मी जानते हैं .वे एक ऐसे शख्स थे जिन्होंने पटना में रहने वाले कलाकारों की सूचि भी प्रकाशित किया था अब वो इस दुनिया में नहीं .उनके जाने के बाद ममता के जीवन से रंगमच तो गायब हो ही गया साथ ही गायब हो गया उसके जीवन से मूलभूत सुविधाओं का हर वो चीज जिसे एक इंसान की जरूरत जीने के लिए होती है .रंगमंच में पति काम कर रहे थे तो लोगों का साथ भी था .उनके जाने के बाद अपनों ने ही ममता के जीवन में अब अँधेरा कर दिया है ,उसे बेघर कर दिया गया . वो कोई और नहीं उसके अपने ही है .आज ममता को देख किसी की आँखों में आंसू नहीं आते और ममता रात या दिन बस इसी इन्तजार में लगी रहती है कि कब कोई उसकी सुनने वाला आ जाए .

रंगकर्मी स्व दीपक  कुमार गुप्ता की पत्नी ममता गुप्ता को उनके ही बहन और बहनोई के द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है. उन्हें घर से बेघर कर दिया गया है. इंसाफ के लिए गुहार लगाती फिर रही ममता गुप्ता को कहीं भी  से आशा की किरण नहीं दिख रहा है.पटना के जिलाधिकारी से लेकर सभी से अपनी फ़रियाद सुना कर अब थक गई है . ममता कहती है कि पता नहीं मेरे नसीब में क्या लिखा है .अब वो एक बार फिर सबसे  मदद की गुहार लगा रही हैं.

 

ममता गुप्ता की शादी दिनांक 23 जनवरी 2011 को उमा देवी के इकलौते बेटे दीपक कुमार गुप्ता के साथ हुई. इस शादी में मुख्य भूमिका दीपक की बहन का ही था. शादी के कुछ दिनों तक सब कुछ ठीक चलता रहा पर यह स्थिति ज्यादा दिन तक न चल पाया. ममता गुप्ता की ननद आरती गुप्ता एवं उनके पति (डॉ0 शैलेंद्र विभूति) दोनों मिलकर दीपक कुमार गुप्ता को और ममता को सताने लगे.

दीपक इसी डिप्रेशन में बहुत बीमार रहने लगा.बीमारी के नाम पर आरती गुप्ता जो उसकी बहन है अपने पति के कहने पर गैर जरुरी  दवा देने लगी. दीपक की सेहत लगातार गिरने लगीऔर एक दिन ठीक आरती और डॉ0 शैलेंद्र अपने मकसद (हनुमान भवन, दलदली रोड स्थित घर को हथियाने) में कामयाब होने की सबसे बड़ी बाधा से मुक्ति मिल गई.यानि दीपक कुमार गुप्ता का निधन दिनांक 21 अक्टूबर 2015 को हो गया.

दलदली रोड, हनुमान भवन स्थित घर को हथियाने के कड़ी में एक मात्र बाधा दीपक की विधवा ममता गुप्ता को जलील करना, प्रताड़ित करना, उन्हें छेड़ने की भी कोशिश करने लगा. उसके साथ अभद्र बर्ताव करने लगा .खाना पानी बंद कर दिया गया .ममता उसके दुर्व्यवहार से तंग आ कर महिला थाना, महिला हेल्प लाइन और जिलाधिकारी के कार्यालय का चक्कर लगाने लगी .ममता के पास आज न तो घर है न ही खाने पीने के पैसे लिहाजा उसके सामने जीवन जीने के संकट उत्पन्न हो गए हैं , ममता कहती है जहाँ भी शिकायत लेकर जाती हूँ वहां पैसे  की मांग होती है अब उसके पास अपने काम के लिए पैसे नहीं है .वहीं  उसके नंदोई ने पैसे देकर सब जगह से उसके खिलाफ कार्रवाई करवाने की बात कर रहा है .ममता कहती है कि इतनी भागदौड़  के बाद भी कुछ नहीं हो रहा है.उसकी दर्द भरी आँखें सारा सच बयान करती है . पटना में महिलाओं की मदद के लिए न जाने कितनी संस्थाएं काम कर रही है  वावजूद एक विधवा को उसका अपना हक़ दिलाने में कोई आगे नहीं आ रहा है .

By pnc

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