दिव्य प्रेम मीरा फिल्म कुछ यूं बनी -राजकमल

By pnc Sep 29, 2016

हेमा मालिनी मेरी आदर्श उन पर भी बनाऊंगा एक  यादगार फिल्म 

जब किसी को सपने आते हो और वो सपने देख कर फिल्म बनाने की ठान ले और फिल्म बना भी ले तो इसमें व्यक्ति की लगन और कड़ी मेहनत साफ़ दिखती है. झारखंड के डाल्टेनगंज के रहने वाले निर्माता निर्देशक राजकमल की कहानी कुछ ऐसी ही है. बचपन से ही चितौड़गढ़ के मीराबाई मंदिर, मेढ़ता के मीराबाई महल और सिनेमा के कई दृश्य उनके सपने में आते थें. बस पढ़ाई के साथ-साथ युवा निर्देशक राजकमल ने मीरा पर ही शोध करना शुरू कर दिया और आज वह फिल्म भी बन कर तैयार हो गई. राजकमल का मानना है कि सपने देखने का संकेत यह था कि मुझे मीरा के लिए कुछ करना है और मैंने किया. अब फिल्म रिलीज के लिए तैयार है. इस सिनेमा को अभी से ही राजस्थान एवं गुजरात सरकार ने कर मुक्त करने का आश्वासन दिया है.




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निर्माता निर्देशक राजकमल कहते हैं कि मैं सिनेमा की ओर कतई नहीं जाता अगर मीरा के सपने मुझे नहीं दिखते. फिल्म बनानी थी इस लिए 2002 में संजय लीला भंसाली जी के साथ देवदास कुछ समय काम किया. उसके बाद कई धारावाहिकों में काम करते हुए अपने रिसर्च को पूरा करता रहा. इस दौरान हम दिल दे चुके सनम में भी सहायक निर्देशक के रूप में काम किया. फिल्मों के अलावा मैंने कलर्स के लिए बालिका वधु में क्रिएटिव टीम और आर्ट निर्देशक के रूप में काम किया. सारे काम करते हुए केंद्र में ये था कि मुझे अपनी फिल्म बनानी है और इसके लिए ही मैं मुंबई आया हूँ. जब भी खाली समय मिलता तो मीरा से जुडी जानकारियाँ लेने के लिए मैं उनके मंदिरों और लोगों से मिलने चला जाता.

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मीराबाई का निर्माण करना शुरू किया और फिल्म बननी शुरू हो गई और बन कर तैयार ही गई इस दौरान मुझे जैसे मैं सिर्फ माध्यम था भगवान् श्रीकृष्ण एवं मीराबाई की हीं इच्छा थी कि ये फिल्म बने. मीराबाई से जुड़े सभी जगहों पर आसानी से शुटिंग की अनुमति मिल गई और लगभग 2009 से 2016 तक इसकी शूटिंग चली.फिल्म कैमजूम मीडिया के बैनर तले बनी है. इस फिल्म में साधना सरगम ,मधुश्री भट्टाचार्य,श्रेया घोषाल और पं श्यामदास मिश्रा ने मीरा के भजनों को स्वर दिया है इस फिल्म का संगीत निर्देशन पं श्यामदास मिश्रा,ललित भूषण मिश्रा और मैंने खुद किया है.फिल्म में कृष्ण पं विशाल कृष्ण,मीरा- मीनाक्षी, मौतुसी रॉय- ललिता, तृष्णा बरेसा- गुलाब, रूपम –मंगला और बंधू खन्ना राजपुरोहित की भूमिका में हैं.कुड़की राजस्थान रियायत के युवराज एवं दिव्य प्रेम मीरा सिनेमा में मीराबाई के भाई जयमल जी का किरदार निभाने वाले विश्वनाथ प्रताप सिंह ने बहुत उम्दा काम किया है.

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बच्चों के लिए भावनात्मक सिनेमा की ज़रूरत

अब मैं बच्चों की भावना पर भी सिनेमा बनाने की योजना बना रहा हूं क्योंकि बच्चे आज कार्टून की दुनिया में ज्यादा रच बस गए है उनको उनके भावनाओं के अनुसार फिल्म बनाने का विचार है. उनकी भावनाओं का कदर नहीं होता इस कारण वे अपनी दूसरी दुनिया कार्टून में खोजते हैं. आज के दौर में नए फिल्मकारों को फाइनेंस ने काफी मुसीबतें आती है सरकार को चाहिए कि वे ऐसे लोगों की मदद करे और उन्हें फाइनेंस मुहैया कराये. मैंने हमेशा से नए लोगों के साथ काम किया है पर आज कल के निर्देशक नए कलाकार को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते. जो बाजार में है उसे ही मौका देने की कोशिश करना नये कलाकार के लिए दुखद है. सकारात्मक सोच होने चाहिए जिससे वे अपने को सही तरीके से प्रस्तुत कर सकें. शुरुआत में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा मुझे पर मैं नये कलाकारों को ज्यादा महत्व देना चाहता हूं.फिल्म की मार्केटिंग पर काम हो रहा  है. 2017 में पूरी संभावना है कि ये रिलीज हो. लगभग एक करोड़ की बजट में फिल्म तैयार हुई है जो दर्शकों को जरूर पसंद आएगी. निर्देशक राजकमल हेमा मालिनी को अपना आदर्श मानते है कहते हैं कि उनके लिए एक यादगार  सिनेमा बनाने की योजना है.

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