आरा,19 मार्च. वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ आई सी कुमार के आकस्मिक निधन हो गया. वे 86 वर्ष के थे. उनके निधन के शोक से शिक्षा जगत में एक सन्नाटा पसर गया. उनके निधन की खबर के बाद से वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय परिवार अत्यंत दुखी हैं. VKSU से उनका जुड़ाव बहुत ही गहरा था. उनके प्रति यह गहरी जुड़ाव VKSU में काम करने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों के बीच ही नही बल्कि छात्रों और पूरे शाहबाद क्षेत्र की जनता का भी था.
आई सी कुमार के प्रयास की वजह से ही VKSU को जमीन मिली थी और यूजीसी 12 b की मान्यता भी. वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय को मजबूत बनाने में उनका योगदान अद्वितीय था.

उनके निधन की खबर से दुखित फुटाब के अध्यक्ष प्रो कन्हैया बहादुर सिन्हा ने कहा कि वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय परिवार अत्यंत दुखी हैं. उन्होंने उन्हें याद करते हुए कहा कि आई सी कुमार ने अपने कार्यकाल में विश्वविद्यालय की शैक्षणिक एवं आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करने में महती योगदान दिया. विश्वविद्यालय के वर्तमान स्वरूप, नूतन परिसर की भूमि व्यवस्था के लिए विश्वविद्यालय उनका आभारी है. महाराजा विधि महाविद्यालय को मान्यता दिलाने के लिए कुलपति के स्तर से हीं नहीं वल्कि व्यक्तिगत स्तर से भी अथक प्रयास किया. वे एक मिलनसार एवं कुशल प्रशासक थे. उन्होंने शिक्षकों की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी आत्मा की शान्ति की प्रार्थना की.




वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा के सीनेट सदस्य डॉ विनोद कुमार सिंह ने वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ईश्वर चंद्र कुमार के निधन से मैं काफी मर्माहत हूं, उनके निधन से शिक्षा एवं प्रशासनिक जगत में अपूर्णीय क्षति हुई है. उन्हें शत्-शत् नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि💐

वही VKSU के हिंदी और भोजपुरी के पूर्व विभगाध्यक्ष प्रो. नीरज सिंह ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर शेयर बीबी किया कि लगभग नौ दशक की सक्रिय और सार्थक जीवन – यात्रा के बाद आज बिहार के अत्यंत कुशल और लोकप्रिय प्रशासक , बहुचर्चित शिक्षाविद , वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के पूर्व कुलपति एवं समर्पित समाजसेवी डा आई.सी. कुमार हमेशा के लिए चिर निद्रा में चले गए . उनके जैसे सुयोग्य प्रशासक बिहार में बहुत ज्यादा नहीं हुए . अत्यंत गंभीर अध्येता और दर्जनों स्तरीय पुस्तकों के रचनाकार डा कुमार विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. उनकी स्मरणशक्ति तो बेजोड़ थी ही ,उनमें जन्मजात नेतृत्व क्षमता भी थी. वे अपने सहकर्मियों से उनकी क्षमता से अधिक काम लेना जानते थे और उनके हितों का ध्यान भी रखते थे. वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय को यूजीसी की 12 बी सूची में शामिल कराने के अभियान का जिस तरह से उन्होंने नेतृत्व किया था , विश्वविद्यालय के बुनियादी ढांचे के विकास की प्रक्रिया को जिस तरह से आगे बढ़ाया था , उसके लिए शाहाबाद जनपद के लोग उन्हें हमेशा याद रखेंगे.
आज अपने कई जरूरी कार्यों से पटना गया था. वहीं डा साहब के निधन की दुखद सूचना मिली . फिर मैंने अपने सारे कार्यक्रम स्थगित कर दिए और सर के श्रीकृष्णापुरी स्थित आवास पर जाकर भरे हृदय से उनके पार्थिव शरीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए. सर की स्मृति को बार – बार नमन और श्रद्धांजलि .

शिक्षा के लिए अपने योगदान से स्वर्णिम इसिहास लिखने वाले शिक्षा के गौरव को उनके अंतिम यात्रा पर शाहबाद के प्रत्येक नागरिकों के साथ पटना नाउ परिवार की ओर से भी विनम्र श्रद्धांजलि. ईश्वर उनकी आत्मा को चीर स्थायित्व प्रदान करें.

PNCB

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