सरस मेला में महज दो दिनों में लगभग 33 लाख की खरीद -बिक्री

शिल्प, परिधान एवं स्वाद के अनुरूप व्यंजनों की खरीदारी जमकर हो रही पटना:राजधानी के ज्ञान भवन, पटना में सरस मेला लगा हुआ है .बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति ,जीविका के तत्वाधान में बिहार सरस मेला चल रहा है .सरस मेला में घर के सजावट से लेकर देशी व्यंजन और देशी परिधान हर उम्र और हर तबके के लिए उपलब्ध है .लिहाजा यहाँ आकर अपने पसंद के शिल्प, परिधान एवं स्वाद के अनुरूप व्यंजनों की खरीददारी कर रहे हैं .बिहार सरस मेला में बिहार समेत 22 राज्यों की स्वयं सहायता समूह से जुडी ग्रामीण महिला शिल्पकार अपने- अपने क्षेत्र के शिल्प, संस्कृति, स्वाद और परंपरा को लेकर उपस्थित हैं .131 स्टॉल पर हमारे देश का हुनर, शिल्प, स्वाद, संस्कृति और परंपरा परिलक्षित है .बिहार के सभी जिलों से जीविका दीदियों का ग्रामीण शिल्प और हुनर विभिन्न स्टॉल पर प्रदर्शनी सह बिक्री के लिए सुसज्जित हैं .इन स्टॉल्स से उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद –बिक्री बड़े पैमाने पर हो रही है. महज दो दिनों में लगभग 33 लाख के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद – बिक्री हुई है .बिहार सरस मेला के दुसरेदिन 21 सितम्बर को साढ़े उन्नीस लाख के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई है .आयोजन के दुसरे दिन लगभग 9 हजार 600 लोग आये .बिहार सरस मेला के दुसरे दिन बिहार के बांका जिला के अमरपुर स्थित बभनगावा की बानो खातून ने 90 हजार से ज्यादा के परिधानों की बिक्री की हैं .बानो खातून नसीब जीविका महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं .उनके द्वारा उत्पादित परिधानों में हैण्डलूम , प्योर सिल्क की साडी, दुपट्टा, सूट आदि हैं .बानो खातून पिछले 7 सालों से सरस मेला में अपने स्टॉल से परिधानों की बिक्री सह प्रदर्शनी करती आ रही हैं. बारिश के बीच सरस मेला से

Read more

इंडियन आइडल मेरे लिए एक जज़्बात हैं : विशाल ददलानी

‘एक आवाज़, लाखों एहसास’ नया सीजन शुरू इंडियन आइडल के नए  प्रोमो ने देश के अगले सिंगिंग सेंसेशन के लिए सजा दिया मंच  सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन के बहुचर्चित सिंगिंग रियलिटी शो ‘इंडियन आइडल’ ने नई आवाज़ों और महत्वाकांक्षी गायकों के लिए एक लॉन्चपैड के रूप में काम किया है जो संगीत जगत में बड़ा नाम कमाना चाहते हैं। शो के नवीनतम सीज़न में जाने-माने संगीतकार और गायक विशाल ददलानी राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता श्रेया घोषाल और बॉलीवुड के मेलोडी किंग कुमार सानू जज की भूमिका निभाते हुए नज़र आएंगे. एक आवाज़, लाखों एहसास – इस सीज़न का अभियान उस जादुई आवाज़ पर प्रकाश डालता है जो आपको कई भावनाओं का अनुभव करने के लिए मजबूर कर देगी. शो का नया प्रोमो देश की अगली गायन सनसनी के लिए मंच तैयार करता है, और सीज़न 14 दर्शकों के लिए “संगीत का सबसे बड़ा त्यौहार” लाने का वादा करता है.एक बार फिर अपनी भूमिका को दोहराने के बारे में बात करते हुए, विशाल ददलानी कहते हैं कि मैंने हमेशा कहा है कि इंडियन आइडल मेरे लिए एक “जज़्बात” है. संगीत ऐसी भाषा है, जिसे सारी दुनिया समझती है और यह भाषासरहदों से परे है, और यह शो हमारे अविश्वसनीय देश के हर कोने से सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को सामने लाने का एक अनूठा तरीका है. मैं एक बार फिर इस उल्लेखनीय सफर का हिस्सा बनने और सीज़न 14 के साथ बेमिसाल सिंगिंग टैलेंट के खजाने की खोज करने के लिए उत्साहित हूं. PNCDESK

Read more

चंद्रेश्वर : जैसा मैंने समझा : पवन बख़्शी

 उन्होंने सुख-दुख, सपनों, चिंताओं, संघर्षों और आकांक्षाओं को रेखांकित किया चंद्रेश्वर महारानी लाल कुँवरि स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलरामपुर में  प्रोफ़ेसर, हिन्दी रह चुके हैं . एम. एल.के,पी.जी. कालेज के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जो दिनांक 1 नवम्बर 2021 को हिन्दी के  एसोसिएट प्रोफ़ेसर से प्रोफ़ेसर बने तथा सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु, सिद्धार्थ नगर, उत्तर प्रदेश के कुलपति प्रोफ़ेसर सुरेन्द्र दुबे के आदेश पर आपको 11 जनवरी 2019 को विभागाध्यक्ष, हिन्दी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ .  यहाँ से आपने 30 जून 2022 को अवकाश ग्रहण किया है . हिन्दी की लगभग सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में सन् 1982-83 से कविताओं और आलोचनात्मक लेखों का लगातार प्रकाशन जारी है. आपकी अब तक सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं . आपके तीन कविता संग्रह -‘अब भी'( 2010 ), ‘सामने से मेरे’  (2017) एवं ‘डुमराँव नज़र आयेगा’ ( 2021) प्रकाशित हो चुके हैं . एक शोधालोचना की पुस्तक ‘भारत में जन नाट्य आंदोलन’ (1994 में) प्रकाशित  होकर बहुचर्चित-प्रशंसित ; एक साक्षात्कार की पुस्तिका ‘इप्टा-आंदोलनःकुछ साक्षात्कार’ (1998) का भी प्रकाशन हो चुका है . अभी जल्दी ही उन की दो पुस्तकें  ‘मेरा बलरामपुर’ (स्मृति आख्यान), (2021) तथा भोजपुरी गद्य की पुस्तक–‘हमार गाँव’ (स्मृति आख्यान) (2020) प्रकाशित हुई हैं . चंद्रेश्वर जी ने बलरामपुर के प्रसिद्ध महारानी लाल कुँवरि डिग्री कॉलेज में वर्षों तक अध्यापन किया है . वहाँ रहते हुए, पढ़ाते हुए, जीते हुए, लोगों से मिलते हुए उन्होंने जो महसूस किया, जो घटनाएं उनके साथ घटीं, उन्होंने जो देखा, उसे साहस व ईमानदारी के साथ लिखा है. इस कृति (मेरा बलरामपुर) से गुज़रना एक शहर को

Read more

रंगमंच की अभिनेत्री लीलावती पाण्डेय का आरा में निधन

पत्रकार ओपी पाण्डेय की मां का निधन कई नाटक और कार्यशालाओं में लिया था भाग हालिया नाटक चौपट नरेश मिसिंग में किया था अभिनय अभिनव और एक्ट की थी संरक्षिका दुनिया एक रंगमंच है और हम रंगमंच की कठपुतलियाँ…. सब की डोर ऊपर वाले के हाथ में हैं.. सब अपना किरदार निभा कर रंगमंच से परे हो जाते हैं…यहां तक कि कुछ इस तरह के बोल भी कर्णपटल से अवश्य टकराये होंगे ……जीवन की डोर बड़ी कमजोर… ना जाने कौन सा साथी छूट जाए…..आरा रंगमंच की महिला अभिनेत्री लीला पाण्डेय (पति जीतन पांडेय ) का रविवार को अहले सुबह निधन हो गया .इस सूचना के बाद रंगकर्मियों में शोक की लहर दौड़ गई . वे अपने पीछे तीन बेटों को छोड़ गई है, कलाकार बताते है कि उन्हें नाटक से जितना प्रेम था उतना ही कलाकारों से भी . उन्होंने ने मनोज सिंह निर्देशित नाटक का चौपट नरेश मिसिंग में अपने बड़े पुत्र ओपी पाण्डेय के साथ नाटक में काम किया था. इस नाटक और लीलावती पांडेय के बारें में वरिष्ठ नाटक निर्देशक/अभिनेता चंद्रभूषण पाण्डेय ने बताया कि यूँ तो इस नाटक में बहुत से किरदार थे लेकिन मां बेटे की जोड़ी ओमप्रकाश पाण्डेय और लीलावती पाण्डेय ने बेजोड़ अभिनय किया था . इस पात्रों के प्रसंग में मैं बताना चाहता हूँ कि….नाटक में भी एक दृश्य में एक  माँ अपने कई दिनों से भूखे पुत्र को डांट फटकार कर भोजन करानें की जुग्गत में है.जो किसी भी पा अभिनेताओं – अभिनेत्रियों के लिए आत्मसात करनें का क्षण है. इस

Read more

‘सर्कस’ एक फैमिली एंटरटेनर है, जिसमें कॉमेडी और बेमिसाल धमाल का ऑक्सीजन है : जॉनी लीवर

एंड फिल्म के ‘सर्कस’ के प्रीमियर पर जॉनी लीवर से एक खास बातचीत ‘सर्कस’ में काम करने की एकमात्र वजह रोहित शेट्टी • फिल्म सर्कस में अपने किरदार के बारे में बताइए? किस खूबी ने आपको इस रोल के प्रति आकर्षित किया? ‘सर्कस’ में काम करने की एकमात्र वजह रोहित शेट्टी हैं. हमारे रिश्ते बहुत लंबे समय से हैं और मैं उन पर आंख बंद करके विश्वास करता हूं. इसलिए मैं उनके द्वारा ऑफर किए गए हर प्रोजेक्ट में काम करूंगा. इस फिल्म को चुनने की दूसरी वजह थी इसकी दो जुड़वा लोगों की अनोखी कहानी, जो आपस में बदल जाते हैं. यह फिल्म गुलज़ार की फिल्म ‘अंगूर’ से प्रेरित है. • रोहित शेट्टी के साथ काम करना हमेशा एक रोमांचक अनुभव होता है. इस बार उनके साथ जुड़कर कैसा लगा? रोहित शेट्टी के साथ काम करना हमेशा एक खुशनुमा अनुभव रहता है. निजी तौर पर मैं उनके साथ काम करने के लिए एक पैर पर तैयार रहता हूं क्योंकि सेट पर बड़ी मजेदार चीजें होती हैं और मुझे एक एक्टर के रूप में खुद को एक्सप्रेस करने की पूरी आज़ादी मिलती है. • रणवीर सिंह, जैकलीन फर्नांडिस, पूजा हेगड़े और वरुण शर्मा जैसे नए ज़माने के कलाकारों के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा? आपने उनमें और इंडस्ट्री के बाकी सीनियर एक्टर्स के बीच क्या फर्क देखा? निजी तौर पर मुझे तो कोई फर्क महसूस नहीं होता. उनके साथ रोज काम करते हुए हमारे बीच साथ काम करने का एक अनोखा और दोस्ताना तालमेल बन गया. असल में

Read more

एंड पिक्चर्स पर ‘सर्कस’ के प्रीमियर के साथ देखिए कॉमेडी का महासर्कस

तो लेकर अपना पॉपकॉर्न, सर्कस के रोमांच में खो जाने के लिए हो जाइए तैयार 16 सितंबर को रात 8 बजे सिर्फ एंड पिक्चर्स पर हंसी के सैलाब में खो जाने के लिए हो तैयार हो जाइए क्योंकि एंड पिक्चर्स पर फिल्म ‘सर्कस’ के प्रीमियर के साथ बेतहाशा कॉमेडी की जोरदार बरसात होने वाली है. ये फिल्म सबको हंसा-हंसाकर लोटपोट कर देगी और अपने दिलचस्प किरदारों, चुटीले वन-लाइनर्स और हंसी के धमाल के साथ दर्शकों को गुदगुदी की मजेदार सवारी कराएगी. जहां एंड पिक्चर्स लगातार बॉलीवुड की सबसे बेहतरीन फिल्में दिखा रहा है, वहीं 16 सितंबर को रात 8 बजे फिल्म सर्कस का प्रीमियर होने वाला है जो ढेर सारे मनोरंजन और हंसी-मजाक से सराबोर एक शाम के साथ दर्शकों को रोज के रूटीन से अलग पागलपन की अजीबोगरीब दुनिया के दीदार कराएगी.   सर्कस में शानदार सितारों की बारात आपका मनोरंजन करेगी, जिनमें जोश से भरे रणवीर सिंह, जैकलीन फर्नांडिस, पूजा हेगड़े, वरुण शर्मा, सिद्धार्थ जाधव, जॉनी लीवर और व्रजेश हिरजी जैसे इंडस्ट्री के शानदार कलाकार हैं. ये सभी कलाकार एक ऐसा सिनेमाई अनुभव लेकर आ रहे हैं कि आप हंस-हंसकर लोटपोट हो जाएंगे. ऑल-टाइम एंटरटेनर रोहित शेट्टी ने इस फिल्म का निर्देशन किया है, जो जोरदार हंसी से भरा एंटरटेनमेंट परोसने के लिए जाने जाते हैं. इन सबके बीच इस फिल्म का गाना ‘करंट लगा रे’ जबर्दस्त तड़का लगाएगा, जिसे 87 मिलियन व्यूज़ हासिल हो चुके हैं. इसमें दीपिका पादुकोण और उनकी मस्त अदाएं आपको झूमने पर मजबूर कर देंगी. हंसी की पृष्ठभूमि से सजी फिल्म सर्कस में दो

Read more

जहां कहीं भी रामलीला का मंचन हो बच्चों को अवश्य ले जायें: डॉ सुभाष  कृष्णा

धूम मचा रहा  है अमेजन पर  संक्षिप्त रामलीला संवाद में हिंदी के साथ-साथ उर्दू के शब्द भी गाँव-शहर,नाट्य दल,समितियों द्वारा इसका सरलता से मंचन हो सके इस प्रकाशन के लिए मैं आभार प्रकट करता हूँ,माता-पिता,गुरुजन,पत्नी श्वेता,अपनी संस्था बिहार आर्ट थिएटर, उत्पल पाठक,आर.जे.शशि, आर.जे.उमंग, डॉ. निहोरा प्रसाद यादव, कुमार अभिषेक रंजन, उज्ज्वला गांगुली,श्री दशहरा कमिटी ट्रस्ट पटना एवं एमिटी विश्वविद्यालय पटना के कुलपति डॉ. विवेकानंद पांडेय का विशेष आभारी हूँ. लेखक की कलम से……… प्रिये पाठकों एवं रंगकर्मियों, वर्ष 2013 में जब मैंने पटना में रामलीला करने का मन बनाया,तब हम यह तय नहीं कर पा रहे थे कि इसे 10 दिन करें या फिर एक-दो दिन.फिर कुछ वरिष्ठ रंगकर्मियों  से बात कर लगा कि अब समय के अनुसार हमें रामलीला को 3 घंटे में मंचित करना चाहिए. कारण था कि दर्शक प्रतिदिन आकर सभी प्रसंग देख नहीं पाते थे, इसलिए कुछ ऐसा किया जाये कि श्रीराम के जन्म से लेकर रावण वध तक उन्हें हम एक ही दिन में दिखा सके। फिर मैंने स्क्रिप्ट के लिए अपने रंगकर्मी मित्रों को देश भर में संपर्क किया,लेकिन ज्यादातर जगह 10 दिन की स्क्रिप्ट उपलब्ध थी। तब गुरु स्वर्गीय अजित गाँगुली और अरुण कुमार सिन्हा जी तथा हनुमान जी एवं तुलसीदास जी के आशीर्वाद व रेडियो मिर्ची के तत्कालीन कार्यक्रम प्रमुख उत्पल पाठक जी के उत्साहवर्धन पर मैंने खुद ही लिखने का मन बना लिया। उत्पल पाठक जो मूल रूप से बनारस निवासी और लीला प्रेमी हैं, उन्होंने काफी जानकारी दी. फिर स्क्रिप्ट तैयार हुई और 2013 एवं 2014 में रेडियो मिर्ची के

Read more

जश्न-ए-बचपन में झुग्गी झोपड़ी बस्तियों के बच्चों ने दिखाएं हूनर

‘जश्न-ए-बचपन’ का आयोजन समर चैरिटेबल ट्रस्ट ने किया अपने बच्चों का हौसला बढ़ाने बड़ी संख्या में झुग्गी बस्तियों के लोग शामिल हुए ‘जश्न-ए-बचपन’ में पटना के बच्चों ने अलग-अलग नाटकों की प्रस्तुति कर कालिदास रंगालय में दर्शकों को अपनी प्रतिभा से रूबरू कराया. झुग्गी बस्तियों के इन बच्चों ने आज पहली बार मंचीय प्रस्तुति दी जिसमें कमला नेहरू नगर, चैली ताल और मंगल अखाड़ा के बच्चों ने क्रमशः तू छुपी है कहाँ (लेखक- इश्तियाक अहमद), छुट्टी का दिन (लेखक -उत्तम कुमार) और अंधेर नगरी (लेखक – भारतेंदु हतिश्चंद्र) नाटकों में शानदार अभिनय कर दर्शकों का दिल जीत लिया. ‘जश्न-ए-बचपन’ नामक आयोजन समर चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किया गया. इन नाटकों का निर्देशन उदय प्रताप सिंह और उत्तम कुमार ने किया और परिकल्पना भी उन्हीं की थी. आज के आयोजन का संचालन राहुल यादुका ने किया. यह आयोजन समर ट्रस्ट के सामुदायिक शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा है. समर ट्रस्ट के सचिव सरफ़राज़ ने कहा, “थिएटर के माध्यम से झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों बच्चों को अपनी गरिमा और अस्मिता के प्रति सजग बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है.” उन्होंने आगे बताया कि ‘समर’ ने भी यह पाया कि बच्चे पारंपरिक तरीके से पढ़ना ज्यादा पसंद नहीं करते हैं. ऐसे में बच्चों को न सिर्फ पढ़ाने बल्कि उनके समग्र और सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास के लिए ‘थिएटर इन एजुकेशन’ की रोचक पद्धति का इस्तेमाल किया गया. इसके तहत न सिर्फ बच्चों को अभिनय सिखाया गया बल्कि उन्हें पेंटिंग, गीत-संगीत और कविता एवं कहानी पाठ करने संबंधी प्रशिक्षण भी दिए गए. इस प्रक्रिया का

Read more

रवि कुमार की एकल प्रस्तुति ने रंगप्रेमियों को कराया सुखद एहसास

पटना के प्रेमचंद रंगशाला में प्रयोगशाला नवादा की प्रस्तुति नदी का तीसरा किनारा का मंचन (द थर्ड बैंक ऑफ द रिवर) जोआओ गुइमारेस रोजा द्वारा, 1962 में रचित निदेशक एवं परिकल्पना: राजीव रंजन श्रीवास्तव पटना: जोआओ गुइमारेस रोजा को आम तौर पर आधुनिक ब्राजीलियाई कथा साहित्य के विकास में सबसे महत्वपूर्ण लेखक माना जाता है. वह बीसवीं सदी के शुरुआती भाग की यथार्थवादी क्षेत्रवादी परंपरा से आधुनिक जादुई यथार्थवाद की ओर संक्रमण का संकेत देते हैं, जिसमें जॉर्ज लुइस बोर्गेस और गेब्रियल गार्सिया मार्केज जैसे प्रसिद्ध लैटिन अमेरिकी लेखकों के काम की विशेषता है. नदी का तीसरा किनारा गुइमारेस रोजा की सबसे प्रसिद्ध कहानियों में से एक है. हालाँकि कहानी वास्तविक जगह पर आधारित है और इसमें यथार्थवादी पात्र हैं, कहानी की केंद्रीय घटना इसे अत्यधिक काल्पनिक बनाती है. यह कहानी एक बेटे द्वारा एक पिता को समझने के प्रयासों पर केंद्रित है, जो बिना किसी स्पष्टीकरण के. एक छोटी सी नाव में अपने घर के पास नदी में चला जाता है और वहां एक ही स्थान पर टेढ़े-मेढ़े होकर अपना जीवन व्यतीत करता है. पिता इतना विशिष्ट व्यक्ति नहीं है जितना वह उस भूमिका का प्रतीक है जो वह निभाता है, जो जादुई यथार्थवाद की परंपराओं के लिए विशिष्ट है. चूँकि हम उसके बारे में केवल इतना जानते हैं कि वह एक पिता है, नदी पर उसकी यात्रा इस तथ्य के साथ कि कहानी का केंद्रीय फोकस घटना पर बेटे की प्रतिक्रिया है, केवल उसकी पैतृक स्थिति से ही समझाया जा सकता है. पिता के व्यवहार के लिए कोई

Read more

हर कहानी के पीछे एक कहानी होती है: राजीव रंजन

तहक़ीक़ात : एक खोज राजीव रंजन की नई पुस्तक आकाश के सूरज ने धरती पर दस्तक दे दी है. लेकिन, अम्बा की प्रमिला को अब भी घर के दरवाज़े पर सूरज के आहट का इंतज़ार है. सूरज प्रमिला का बेटा है. और, अम्बा उसका गांव है. वह पलामू में ड्राइवर का काम करता है. अमूमन सप्ताह में एक बार अपने गांव आ जाने वाला सूरज जब दो सप्ताह बाद भी गांव नहीं आता है. तब उसका परिवार परेशान हो जाता है. उनके माथे पर चिंता की लकीरें छह महीने में काफी बड़ी हो जाती है. परिवार के पास पलामू में सूरज के ठौर ठिकाने का पता नहीं होने से वे थाने की शरण लेते हैं. थाने में गुमशुदगी की रपट तो दर्ज़ हो जाती है. पर उसकी तलाश के नाम पर थाने से उन्हें कोरे आश्वासन के सिवा कुछा नहीं मिलता. बेबस और कमजोर परिवार किसी की सलाह पर बड़ी आस से सीबीआई को एक पत्र लिखता है. सीबीआई निदेशक डी एन गौतम पत्र पढ़कर मामले को गंभीरता से लेते हैं. वे अपने एक खास अधिकारी तथागत को अनौपचारिक रूप से इस मामले की जांच करने को कहते हैं. जिस समय तथागत को यह केस दिया जाता है, उस समय वह हैदराबाद में वर्धा चिट फंड घोटाले की जांच कर रहा होता है. वह सूरज की खोज शुरू करता है. शुरुआती दिनों में उसका हाथ खाली रहता है. एक दिन एक सुराग उसके हाथ लगता है. उस सुराग के आधार पर वह अपनी तफ़्तीश को आगे बढ़ाता है. उस दरमियान

Read more