भोजपुरी पेंटिंग के लिए आज हो सकता है गोल्डन दिन, रेलवे की ओर से आज वार्ता

38 दिनों से चल रहे कलाकरों का आन्दोलन आज हो सकता है समाप्त

आरा, 9 जुलाई. भोजपुरवासियों के लिए आज का दिन गोल्डन दिन साबित हो सकता है. कारण है आज रेलवे द्वारा पेश की भोजपुरी पेंटिंग को लेकर आंदोलनकारियों के साथ अहम बैठक जो दोपहर होने वाली है. बैठक में भोजपुरी पेंटिंग को लेकर रेलवे द्वारा क्या स्वीकारोक्ति होती है यह तो बैठक के बाद ही पता चलेगा. लेकिन एक बात तो साफ है कि भोजपुरी पेंटिंग को उचित सम्मान दिलाने के लिए संघर्षरत भोजपुरी कला संरक्षण मोर्चा द्वारा 38 दिनों से लगातार आन्दोलन इस बार आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. रेलवे द्वारा दो बार पहले भी बैठक हो चुका है लेकिन कलाकारों की मांगों पर अबतक रेलवे द्वारा कोई लिखित आदेश न मिलने का कारण कलाकार लगातार लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगों के लिए रेलवे परिसर में ही अड़े हुए हैं. जिन्हें अब न सिर्फ विभिन्न दलों का समर्थन मिल रहा है बल्कि आम जनता का भी भरपूर समर्थन मिल रहा है.




आन्दोलनकारियों ने गुरुवार को 38वें दिन भी आरा रेलवे स्टेशन पर जनता से संवाद करते हुए पूर्व मध्य रेलवे प्रशासन को जगाने के लिए शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन किया. मनोवैज्ञानिक अरविंद राय ने कहा कि भोजपुरी संस्कृति प्रत्येक भोजपुरिया लोगों के रोम-रोम में बसी हुई है. वह लोकगायन हो या लोक चित्रांकन. मोर्चा के कोषाध्यक्ष सह चित्रकार कमलेश कुंदन ने आक्रोश के साथ कहा कि असली संघर्ष तो सच को ही करना होता है. झूठ तो हर कदम पर बिक जाता है. मंच संचालन करते हुए चित्रकार रौशन राय ने कहा कि हमारी लोक चित्रकला में पीड़िया और कोहबर का स्वरुप निर्विवाद रूप से उच्च स्तरीय है. इसमें लोगों को आकर्षित करने की पर्याप्त क्षमता है. रंगकर्मी आकांक्षा प्रियदर्शिनी ने कहा कि रेलवे प्रशासन द्वारा अवसर दिए जाने के बाद हमारी उच्च स्तरीय प्रस्तुति भोजपुरी पेंटिंग को राष्ट्रीय क्षितिज पर स्थापित कर देगी.

रेल प्रशासन द्वारा शुक्रवार को 12 .30 बजे दिन में रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी का आंदोलन स्थल पर आने की सूचना मिलने की खबर के बाद वरिष्ठ रंगकर्मी अशोक मानव ने कहा कि लगता है रेलवे प्रशासन तक हमारी आवाज पहुंच गई है. रेलवे द्वारा वार्ता का यह सकारात्मक कदम भोजपुरी पेंटिंग के लिए मील का पत्थर साबित होगा. मोर्चा के संयोजक भास्कर मिश्र ने कहा कि भोजपुरी पेंटिंग के लिए संचालित इस आंदोलन को सफल होने के बाद इस मोर्चे द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक मुद्दों पर प्रभावी कार्य सम्पादित होंगे जो न केवल जिले के बल्कि देश के कलाकारों के लिए पथ प्रदर्शक का कार्य करेंगे. वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ अनिल सिंह ने कहा कि हम कलाकारों की आवाज कमजोर नहीं बल्कि तीक्ष्ण होती है. हम शोर नहीं मचाते बल्कि लक्ष्य को केंद्रित कर सटीक चोट करते हैं.
रंगकर्मी रविंद्र भारती ने कहा कि भोजपुरी पेंटिंग भोजपुरिया लोगों की वो पहचान है जो देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी एक अलग महत्व प्रदान कराएगी. सामाजिक कार्यकर्ता अनिल राज ने लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि हमें अपनी लोकसंस्कृति के लिए संवेदनशील होना होगा. रंगकर्मी मनोज कुमार सिंह ने कहा कि सदियों बाद इतिहास हमें हमारी लोकसंस्कृति की उपस्थिति से ही जानेगा. धन्यवाद ज्ञापन करते हुए रंगकर्मी किशन सिंह ने कहा कि भोजपुरी भाषी लोगों के लिए यह गर्व की बात है कि जिले के विभिन्न विधाओं के कलाकारों के साथ सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवियों का समूह उनकी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध होकर संघर्ष कर रहा है. कार्यक्रम को सफल बनाने में मनीष कुमार महाराणा, राकेश कुमार पांडेय, पल्लवी प्रियदर्शिनी महत्वपूर्ण थे.

आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

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