संसद के शीतकालीन सत्र में मिल सकता है भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा !

जंतर मंतर पर भोजपुरी के लिए जोरदार प्रदर्शन 

कई राज्यों से पहुंचे लोगों ने की शिरकत 




केंद्र सरकार से भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में यथाशीघ्र शामिल करने की मांग

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भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए भोजपुरी जनजागरण अभियान की ओर से एक दिवसीय धरना सम्पन्न हुआ. इस धरना के बाद दिल्ली की सड़कों पर जन्तर मंतर के पास जमकर प्रदर्शन भी किया गया. धरना में कोने  कार्यक्रम में देश के कोने-कोने से आये लोगों ने शिरकत किया. जिन नारों ने 5 सितम्बर को भोजपुरी भाषा की पढ़ाई बंद होने पर बिहार सरकार की चूल खड़ी कर दी थी वहीँ नारे आज जंतर-मंतर पर अपना जादू दिखा रहे थे. जिस ठसक और बुलन्दी के लिए भोजपुरी जानी जाती है, भोजपुरी नारों “ना भीख न करजा चाहीं भोजपुरी के दरजा चाही, जाग भोजपुरिया जाग, भाषा के सेवा में लाग जैसे कई नारों में वो ठसक दिखने को मिला. इस मौके पर कई वक्ताओं ने उपस्थित जनसैलाब को संबोधित करते हुए भोजपुरी भाषा को उसका हक़ दिलाने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में ही आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग केंद्र सरकार से की . एक दिवसीय धरना का आयोजन की अध्यक्षता बिहार विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभागाध्यक्ष डा० जयकान्त सिंह ‘जय’ ने किया. इस धरना में देश भर से भोजपुरी प्रेमी शामिल हुए.

 

भोजपुरिया हुँकार से हिला जंतर-मंतर

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धरना के बाद जब भोजपुरिया जनसैलाब ने जंतर-मंतर के पास सड़कों  पर भोजपुरी नारों के साथ प्रर्दशन किया तो दिल्ली की सड़कें भोजपुरिया हुँकार से हिल उठी. जोश, जूनून और आक्रोश ने भोजपुरी की ताकत दिल्ली वालों को दिखा दी. हालांकि गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बयान के बाद लोगों की मिश्रित प्रतिक्रिया मिली. लोगों ने इस शुभ सन्देश के बाद सकारात्मक पहल की अपील की है. लेकिन बावजूद इसके सरकार पर भोजपुरिया लोग भरोसा नहीं कर रहे है क्योंकि इस तरह की कई दफा उद्घोषणा पहले भी हो चुकी है. जो चुनावी जुमले साबित हुए हैं. यूपी में पुनः चुनाव है और ऐसे में गृह मंत्री और प्रधानमन्त्री द्वारा भोजपुरी पर पुनः जारी बयान ने देशवासियों के लिए एक कौतूहल पैदा कर दिया है.

अपनी ही घर में बेगानी है भोजपुरी

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बताते चलें कि भोजपुरी भाषा बोलने वालों की संख्या लगभग पच्चीस करोड़ है. इस भाषा को सिर्फ बिहार  यूपी झारखंड छत्तीसगढ़ आदि राज्यों मे ही नहीं बल्कि भारत के बाहर भी लगभग चौदह देशों मे बोली जाती है. साथ ही इस समृद्धशाली भाषा को मारीशस एवं नेपाल में भाषा का दर्जा प्राप्त है. भोजपुर की धरती से निकली यह भाषा विदेश में भाषा का दर्जा ले लिया. हमारे पुरखो ने इस भाषा को गिरमिटिया मजदुर बन वतन नहीं लौटने के बाद भी ऐसा बनाया कि ऐसे महादीपों और देशों में भोजपुरी ही उसकी भाषा बन गयी लेकिन दुर्भाग्य कि आजादी के बाद भी देश में किसी को भोजपुरी की नहीं सूझी. भोजपुरी आज अपने ही देश में बेगानी हो गयी है, इसीलिए भोजपुरी के लिए हंगामा आये दिन कहानी हो गयी है.

बताते चलें कि भोजपुरी भाषा की मान्यता के लिए आंदोलन के जरिये कई सालों से “भोजपुरी जन जागरण अभियान”, देश भर में भोजपुरी भाषा एवं साहित्य को लोगों तक पहुँचा रहा है तथा भोजपुरी के वास्तविक पहचान को लोगों के बीच लाने का काम कर रहा है. साथ ही भोजपुरी भाषा को भारत के संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए लगातार जागरुकता अभियान एवं धरना प्रदर्शन कर रहा है. इस क्रम में अब तक दिल्ली के जंतर मंतर पर चार बार धरना इस मंच ने दिया है और पाँचवाँ धरना आज सम्पन्न हुआ. इस धरना में देश भर से भोजपुरी प्रेमी, कवि साहित्यकार, लेखक, अभिनेता, लोकगायक/गायिका, विद्यार्थी एवं बुद्धिजीवियों ने भाग लिया तथा आवाज बुलन्द किया. इस धरना में बिहार से महामंत्री अभिषेक भोजपुरिया, विश्वनाथ शर्मा, मुजफ्फरपुर से डा० जयकान्त सिंह जय, सिवान से कृष्ण कुमार सिंह, झारखंड से राजेश भोजपुरिया,  चम्पारण से तैयब हसन ताज, आरा से भोजपुरी बचाओ अभियान की और से  फिल्म अभिनेता सत्यकाम आनन्द, रंगकर्मी-निर्देशक ओ पी पाण्डेय, मंगलेश तिवारी , राकेश राजपूत(अम्बा जिलाध्यक्ष), डॉ एस पी राय, गाजियाबाद यूपी से जे पी द्विवेदी, प्रकाश पटेल , दिल्ली से रंगश्री के हेड रंगकर्मी महेन्द्र प्रसाद सिंह, प्रमेन्द्र सिंह, लालबिहारी लाल जी, डा० मनोज कुमार सिंह, धनन्जय सिंह, देवेन्द्र कुमार, रंगकर्मी संजय ऋतुराज, अभिषेक कुमार, राजीव रंजन राय, दीपक ज्योति, उपासना समय के सम्पादक पी एन श्रीवास्तव, आकाश न्यूज से बी आर मौर्या, छात्र संसद के संपादक रितु श्रीवास्तव आदि ने अपनी बात रखी.

रिपोर्ट -जंतर मंतर से ओ पी पांडेय