‘रिद्म ऑफ बिहार’ से मेरी नई पहचान बनी-अर्जुन चौधरी

By pnc Oct 25, 2016

बिहार में आए अकाल ने जिन्दगी बदल दी -अर्जुन चौधरी 

बिहार के लोगों में सुनने की समझ है 




सांकृतिक आयोजनों से बहुत कुछ सीखा 

प्रदर्ष कला में कला दिवस पर बिहार का प्रतिष्ठित पुरस्कार विस्मिल्ला खां  वरिष्ठ पुरस्कार से सम्मानित

बौद्ध महोत्सव में अमेरिकी कलाकार हेरोल्ड ईस्मिथ के साथ जुगलबंदी आकर्षण का केन्द्र

मैथिली मंचों पर नाल के अनेक विरोधों के बावजूद मैं नाल को लोक गीत में बजाने में सफल रहा

संगीतकार रवींद्र जैन,प्रसिद्ध सूफी गायक वडाली बंधु,प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद साबिर खान,पद्मश्री विंध्यवासिनी देवी,पद्मश्री शारदा सिन्हा …

कला साधना में पूरा एक जन्म भी कम पड़ता है. कला की साधना में जो रम गया उसने पूरी दुनिया को कुछ रचनात्मक प्रस्तुति से सबको मंत्रमुग्ध किया है.पटना के अर्जुन कुमार चौधरी ने कई वाध्ययंत्रो के साथ ताल का फ्यूजन तैयार किया और उसे कॉमनवेल्थ गेम के कार्यक्रम में बिहार ही नहीं पूरी दुनिया के लोगों ने सामने प्रस्तुत किया,तो सुनने वाले आश्चर्यचकित रह गए.उनके कार्य की सराहना उनके ग्रुप की सराहना लोगों ने की.बिहार के कई महत्वपूर्ण पुरस्कार प्राप्त कलाकार अर्जुन ने बिहार की राजधानी में रहते हुए एक लम्बी साधना की है और उनकी इसी साधना  ने इस वर्ष उन्हें प्रदर्ष कला में बिहार का प्रतिष्ठित पुरस्कार विस्मिल्ला खां  वरिष्ठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया.अर्जुन चौधरी बाल्यकाल घर में उपस्थित कई वाद्य यंत्रों के बीच बीता और आज फिल्म,टीवी,राष्ट्रीय अंतर राष्ट्रीय आयोजनों में उनके ताल वाद्य के फ्यूजन संगीत का दर्शकों को इंतज़ार रहता है .श्रोता  उनसे पारंपरिक लोक जीवन में रचे बसे लोक संगीत को सुनने की अक्सर मांग कर बैठते है. रवीन्द्र भारती के साथ अर्जुन की ख़ास बातचीत ..जो आपको गुद्गुदायेगी ,हंसाएगी ,रुलायेगी ..और आप कह उठेंगे ..वाह .

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aa0ced11-579c-49f7-ad13-ceaf329dff84मेरा जन्म 04-02-1970को समस्तीपुर जिला के परवाना गाँव में हुआ .मेरे पिता पं.लक्ष्मी कान्त चौधरी अपने जिला के एक अच्छे कलाकार थे. वे शौकिया कलाकार थे और अनेक तरह के वाद्य रखने का उन्हे बड़ा ही शौक था.जिसके कारण मेरे घर में हारमोनियम ,ढोलक ,तबला ,नाल ,बँजो ,बाँसुरी इत्यादि अनेक तरह के वाद्य थे. मैं चार भाई हूँ और चारों भाई भाई बचपन से ही इन वाद्यों से खेलते थे और पिता जी सिखाते भी थे.

जब मेरी उम्र लगभग सात वर्ष की थी तो मेरे तरफ अकाल की स्थिति बन गई थी. वैसे तो मेरे घर का मुख्य व्यवसाय कृषि था और मेरे पिता जी के पास घर चलाने योग्य ज़मीन भी थी लेकिन उन्हे खेती में मन नहीं लगता था जिसके कारण अकाल में मेरे पिता जी की आर्थिक स्थिति खराब हो गई .

मेरे तरफ नाटक और रामलीला की अनेकों पार्टियाँ वाले लोग थे, उनमें से कुछ मेरे पिता जी के मित्र भी थे. उस अकाल की स्थिति में उनके एक मित्र ने उन्हे सलाह दिया की क्यों न आप मेरे रामलीला में चलें जिसको पिता जी ने स्वीकार कर लिया.फिर एक दिन मेरे पिता जी मेरे बरे भाई विरेंद्र चौधरी जिनकी आयु उस समय लगभग 13वर्ष थी को साथ लेकर रामलीला पार्टी में जाने लगे.मेरे पिता जी मुझे बहुत प्यार करते थे .और यही पिता का प्यार मुझे संगीत में खींच लाया.जिस दिन वो भैया के साथ रामलीला में जा रहे थे उस दिन मैं उनका ऊँगली पकड़कर चल रहा था और वो मुझसे बात भी करते जा रहे थे.चूँकि मेरे घर से नज़दीकी रेलवे स्टेशन (रोसरा )18किलोमीटर है अत: सबों को पैदल ही वहाँ जाना था इसलिए मैं पिता जी से बात कूछ दूर चला गया वहाँ से मुझे लौटाकर घर लाने वाला कोई नहीं था इसलिए मैं भी रामलीला में चला गया.वहाँ मंच पर मैं बजाता था और लोग बच्चे को बजाते देख खूब इनाम देते थे.इस तरह मेरा बजाना जारी रहा .लगभग तीन वर्ष बाद मैने पढाई सुरू की रामलीला छोड़कर.चौथे क्लास से और साथ में कार्यक्रम भी कुछ गायकों के साथ करता था. रामलीला में रहने के कारण मैं लगभग सभी वाद्यों को बजाना सीखा.लेकिन नाल को मुख्य वाद्य के रूप में चुनने का खास कारण है जो लम्बा हो जाने के कारण नहीं बत पा रहा हूँ पर बताऊंगा किसी दिन.

पटना में रहने खाने का कोई प्रबंध नहीं था 

सन 1985 में गाँव से ही मैट्रिक प्रथम श्रेणी से उतीर्ण मैं घर के मर्जी के बगैर पटना आ गया चूंकी बचपन से ही आकाशवाणी में बजाने की मेरी प्रबल इच्छा थी लेकिन पटना में रहने खाने का कोई प्रबंध नहीं होने के कारण पिता जी मुझे पटना आने से रोक रहे थे.फिर भी येन केन प्रकारेण मैं पटना आ गया .यहाँ टयूशन पढाकर मैं अपना एडमिशन कॉलेज में कराया.यहाँ आकाशवाणी में नाल का ओउडिशन ही नहीं होता था.फिर ईश्वर की इच्छा हुई और मेरा परिश्रम रंग लाया 1995में मैं नाल को आकाशवाणी में स्थापित करने में कामयाब हो गया और नाल वादन में आकाशवाणी का  पहला B High Grade कलाकार होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ .फिर तो अनेकों आकाशवाणी के केन्द्रों पर अनेकों कलाकार ने ग्रेडेशन लिया.

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नाल जो मुख्य रूप से ऑर्केस्ट्रा में बजाया जाता था लेकिन मैं गाँव से आया था और ऑर्केस्ट्रा क्षेत्र में मेरा कोई पहचान नहीं था.मैं मिथिला से था अत: मैथिली मंचों पर नाल के अनेक विरोधों के बावजूद मैं नाल को लोक गीत में बजाने में सफल रहा.धीरे- धीरे लोगों ने मुझे और नाल को लोक गीत में स्वीकार कर लिया. अब मैं टयूशन को छोड़कर प्रोग्राम पर ज्यादा आश्रित होने लगा.फिर इसे मेरा सौभाग्य समझे की मैथिली मंचों पर बिहार से बाहर भी मेरी मांग होने लगी. फिर पटना में दूरदर्शन केन्द्र की स्थापना हुई. मुझे एक भोजपुरी गायक के साथ पहली बार 1990में दूरदर्शन में बजाने का मौका मिला. मैने लोगों से भोजपुरी का वादन सीखा और खूब परिश्रम किया. लोगों को मेरा वादन पसंद आया.फिर तो दूसरे भाषा के गायक भी मुझे अपने साथ मंचों पर और दूरदर्शन पर मौका देने लगे.मैं सस्ते पारिश्रमिक पर उपलब्ध था. लोग जो दे देते मैं रख लेता.इस तरह लोक नृत्य में भी खूब वादन किया.फिर बिहार के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पं.श्याम दास मिश्रा जी की नज़र मुझ पर पड़ी.पता नहीं उन्होंने मुझ में क्या देखा कि मुझे अपने साथ बजाने का मौका दिया.फिर तो अपने साथ लगातार मुझे मौका दिया और जुगलबंदी कराया.दिल्ली में उनके और मेरे जुगलबंदी कि बहुत माँग थी.इधर मातृ उद्बोधन आश्रम यारपुर में गुरुदेव बलराम जी के यहाँ गुरु पूर्णिमा में देश के बरे बरे शास्त्रीय संगीत के कलाकार आते थे मुझे वहाँ बजाने का अवसर मिला और पता नहीं मुझमें उनलोगों ने क्या देखा कि मुझे देश बड़े नामचीन कलाकारों के साथ जुगलबंदी करने का अवसर मिला .

दू7f774d58-4cda-45b9-9c73-ee72b1de76e7सरी तरफ 1995में ही पद्मश्री शारदा सिंहा जी के साथ मौका मिला जो अबतक जारी है.कत्थक  नृत्य में मधुकर आनंद जी के साथ शुरुआत की और देश के अनेक कत्थक नर्तक नर्तकियों के साथ वादन किया. इस तरह नाल को ऑर्केस्ट्रा से निकालकर विभिन्न आयाम दिया जिसका श्रेय मुझे जाता है. इसी क्रम में देश के बड़े बड़े कलाकारों के साथ वादन का मौका मिला.जैसे -संगीतकार रवींद्र जैन ,प्रसिद्ध सूफी गायक वडाली बंधु ,प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद साबिर खान ,पद्मश्री विंध्यवासिनी देवी कितनों का नाम लूँ .

 

2010में कॉमनवेल्थ गेम्स दिल्ली में हो रहा था.तो मैने अपने वर्षों के सपने और अनुभव को साकार रूप दिया और एक वाद्य वादन पर आधारित कार्यक्रम बनाया ‘रिदम ऑफ बिहार ‘तथा बिहार सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग से आग्रह किया कि मुझे इस कार्यक्रम को प्रस्तुति का अवसर दें .उन्होने मुझे कॉमनवेल्थ गेम्स के अवसर पर दिल्ली में “रिदम ऑफ बिहार “की प्रस्तुति का मौका दिया और ये मेरे जीवन का ही नहीं बिहार का एक सफलतम कार्यक्रम साबित हुआ. 2010से अभी तक “रिदम ऑफ बिहार “की देश के विभिन्न भागों में लगभग 31प्रस्तुतियां  हो चुकी है और हर प्रस्तुति अपने आप में मील का पत्थर साबित हुआ है

c2756acd-ff1d-4988-8ee9-552230907172.63d88e14-139f-47df-a9d0-27c57cc50f201990से ही बिहार सांस्कृतिक दल के साथ अंतरराज्यीय सांस्कृतिक आदान- प्रदान के तहत देश के विभिन्न राज्यों में जाने ,कार्यक्रम करने और उनकी संस्कृति को समझने का अच्छा अवसर प्राप्त हुआ और विगत 30 वर्षों से देश के लगभग सभी राज्यों में अनेकों बार जाने कार्यक्रम करने के साथ बहुत कुछ सीखने का अवसर प्राप्त हुआ.

प्रसिद्ध हिन्दी फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर ‘में मैने अपना नाल वादन किया है.इसके साथ ही एक आने वाली हिंदी फिल्म ‘हमजमी ‘में एक गाने में वादन और निर्देशन भी किया है.

पुरस्कार जो मुझे मिले –

1-“कला श्री “—कला श्री पुरस्कार परिषद,पटना .

2-“ताल सम्राट “–मिथिला विकास परिषद,कोलकता .

3-“ताल शिरोमणि “—मातृ उद्बोधन आश्रम,पटना .

4-“लोक नायक सम्मान “—जय प्रकाश स्मृति मंच,वरोडरा (गुजरात )

5-” केसरिया सम्मान “–केसरिया,चम्पारन .

6–“बिस्मिल्ला खान वरिष्ठ कलाकार सम्मान “वाद्य वादन का 18-10-2016माननीय मुख्य मंत्री बिहार नीतीश कुमार के कर कमलों द्वारा.

मैनें अपना कार्यक्रम बिहार के लगभग सारे महोत्सवो में जैसे -राजगीर महोत्सव ,नालंदा महोत्सव,बौद्ध महोत्सव,अंग महोत्सव,देव महोत्सव,कोशी महोत्सव,वैशाली महोत्सव,बिहार महोत्सव,बिहार दिवस,थावे महोत्सव,वाल्मीकि महोत्सव,केसरिया महोत्सव,चम्पारण महोत्सव ,विद्यापति महोत्सव,मिथिला महोत्सव,मंदार महोत्सव,पटना साहिब महोत्सव. इनके अलावा ताज महोत्सव (आगरा ),झाँसी महोत्सव( झाँसी ),लखनऊ महोत्सव(लखनऊ ),विरासत (देहरादून ),चल मन गंगा जमुना तीर (इलाहाबाद ),छठ के बाद (भोपाल ),दशहरा महोत्सव (कुल्लू मनाली ),बीच महोत्सव (बालासोर ),इत्यादि देश के विभिन्न भागों में एक एक महोत्सव में कई कई बार भाग लिया.

जीवन के विशेष आयोजन

बौद्ध महोत्सव में अमेरिकी कलाकार हेरोल्ड ई स्मिथ के साथ जुगलबंदी आकर्षण का केन्द्र रहा. बी बी सी लंदन के लिए वादन के लिए भी वादन कर चूका हूँ. पटना आकाशवाणी में बनने वाले सॉफ्ट वेअर संगीत के लिए 13 एपिसोड में वादन का काम किया.दूरदर्शन पटना में अनेकों सांस्कृतिक कार्यक्रम का संगीत निर्देशन भी कर चूका हूँ .अनेकों ऑडियो सी डी एवं कैसेट में संगीत निर्देशन भी कर चूका हूँ. मानव संसाधन विकास विभाग बिहार सरकार के सहयोग से लुप्त प्राय वाद्यों पर आधारित लघु फिल्म “पंचबजना “में बिहार का लगभग 55 वाद्यों की खोज एवं संयोजन किया.फिलहाल कुछ नया कर रहा हूँ और आनेवाले दिनों में पता चल जाएगा.

By pnc

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