हाथ के हुनर से रौशन होगी दीपावली और गिफ्ट देंगे खुशियों की डबल डोज

आरा,22 अक्टुबर. आज का जमाना हाईटेक हो जाने से हर चीजें बाजारवाद की दौर में शामिल हो गयी हैं और ऐसे में हैंड मेड वस्तुओं में कमी आयी है. कारण हाथ के हुनर का कम होना और इसकी लागत का बढ़ना भी है. अब हुनर का जगह तकनीक ने लिया है लेकिन आज भी इस हुनर को जिंदा रख आगे की पीढ़ियों के लिए सहेजने का काम कई लोग कर रहे हैं इसमें एक स्कूल भी है, जिसका नाम है सम्भावना विद्यालय. संभावना ने अपने नाम के अनुरूप पढ़ाई के साथ हर क्षेत्र में बच्चों के लिए संभावना बरकरार रखी है.




“शारदा -स्मृति “संभावना पब्लिक स्कूल ऐसे ही हुनर को सिखाने के लिए पिछले 3 दिनों से एक कार्यशाला अपने मौलाबाग स्थित विद्यालय की शाखा में आयोजित किया था. दीपोत्सव नामक इस कार्यशाला का उद्घाटन मंगलवार को विद्यालय की प्रशासिका डॉ0 अर्चना सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया था. इस कार्यशाला में 300 स्कूली बच्चों ने प्रशिक्षण लिया जिनमें वर्ग एक से लेकर वर्ग पंचम तक के ही बच्चे शामिल थे. बच्चों ने कार्यशाला में अपने हाथों से आकाश दीप , घरौंदे,वॉल हैंगिंग, ग्रीटिंग कार्ड, वंदन वार, कैंडल स्टैंड और लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों को बनाने की कला सिख अपने अंदर हुनर विकसित किया. तीन दिनों तक प्रशिक्षण के बाद6E, बच्चों ने अपने हाथों से बनाई वस्तुओं को शुक्रवार को विद्यालय में प्रदर्शित किया.

शुक्रवार को तीन दिनों तक चले इस दीपोत्सव कार्यशाला का समापन प्रदर्शनी के साथ हो गया. प्रदर्शनी का शुभारंभ विद्यालय के निदेशक डॉ कुमार द्विजेंद्र एवं प्रशासिका डॉक्टर अर्चना सिंह ने रिबन खोलकर किया.

इस मौके पर विद्यालय के प्रबंध निदेशक व कार्यक्रम के अध्यक्ष कुमार द्विजेंद्र ने कहा कि बच्चों ने जितनी सफाई से प्रदर्शनी में प्रदर्शित वस्तुओं को बनाया है उसे देख कर ऐसा नहीं लगता है यह सभी छोटे बच्चों की कृति है. उन्होंने इसके लिए विद्यालय के कला शिक्षक संजीव सिन्हा, विष्णु शंकर, स्वाति सिंह एवं ममता सिंह को धन्यवाद दिया और कहा कि इस तरह का प्रशिक्षण विद्यालय भविष्य में भी करता रहेगा.

वही विद्यालय की प्रशासिका डॉक्टर अर्चना सिंह ने विद्यालय के बच्चों एवं उनके अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा कि छात्र-छात्राओं में रचनात्मकता शैली का विकास बहुत ही आवश्यक है. हमारे पर्व त्योहारों में जिन चीजों की आवश्यकता होती है वह बाजार में भी उपलब्ध होते हैं परंतु जब हम उन चीजों को स्वयं अपने हाथों से निर्मित कर अपने घरों में सजाते हैं या किसी को उपहार स्वरूप देते हैं तो खुशी दुगनी हो जाती है. दीपावली दीपों का त्योहार है. दीप खुशियों का प्रतीक है और इसके लिए विद्यालय के बच्चों द्वारा इस प्रदर्शनी के माध्यम से दीपावली में अपने प्रियजनों को उपहार स्वयं के हाथों से बनाकर देने के लिए प्रेरित किया गया है. इससे एक ओर जहां बच्चों में हुनर सीखने का अवसर मिला, वही लोकल को वोकल बनाने की प्रेरणा भी. उन्होंने कहा कि दीपावली में दीए जलाएं ताकि लोकल कलाकारों व शिल्पकार, आदि को प्रोत्साहन मिल सके. इसके साथ ही उन्होंने बच्चों को बताया कि दीपावली में पटाखे सावधानी के साथ जलाएं. अपने अभिभावकों की निगरानी में ही कम पटाखे जलाएं. उन्होंने स्वनिर्मित और स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग पर जोर देते हुए उसे जीवन में अपनाने के लिए कहा.

विद्यालय के प्रदर्शनी में प्रदर्शित वस्तुओं को मुख्य अतिथियों ने अवलोकन किया अवलोकन के उपरांत नन्हे बच्चों द्वारा बनाई गई आकाश दीप ,घरौंदे,वॉल हैंगिंग, ग्रीटिंग कार्ड, वंदन वार, कैंडल स्टैंड और लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों को देखकर वे अभिभूत हो गए. इन सभी कलाकृतियों में से सर्वश्रेष्ठ कलाकृतियों का चयन भी किया गया जिसके बाद चयनित बच्चों को विद्यालय की ओर से पुरस्कृत भी किया गया

विद्यालय के प्रबंध निदेशक और प्रशासिका द्वारा बच्चों को पुरस्कृत किया गया. चयनित पुरस्कार पाने वाले बच्चों में आकाश दीप के लिए पंचम वर्ग के छात्रों में प्रथम अंकुश कुमार, द्वितीय उन्नति उपाध्याय और तृतीय पुरस्कार अंशिका शाश्वत को दिया गया. वॉल हैंगिंग में वर्ग पंचम के प्रथम आंशिक कुमार को, द्वितीय पुरस्कार चतुर्थ वर्ग के अंशु कुमार को और तृतीय पुरस्कार पंचम वर्ग के अनीश कुमार को दिया गया. वही ग्रीटिंग्स कार्ड के लिए चयनित बच्चों में प्रथम पुरस्कार चतुर्थ वर्ग के प्रांजल, द्वितीय पुरस्कार वर्ग प्रथम की वंशिका और तृतीय पुरस्कार वर्ग तृतीय के ओमकार ने हासिल किया.

मंच संचालन विद्यालय की शिक्षिका ममता सिंह ने किया और धन्यवाद ज्ञापन विद्यालय के प्राचार्य दीपेश कुमार ने किया. इस अवसर पर विद्यालय के अभिभावक, शिक्षक- शिक्षिकाओं के साथ मीडिया और अन्य लोग भी उपस्थित रहे.

आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

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