वंश-परम्परा एवं उसके यश-कीर्ति की गाथा है ‘भुवन-भास्कर’

सलेमपुर(आरा), 10 अक्टूबर. महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत गाँवो में बसता है. भारत एक बड़ा और कृषि प्रधान देश है जहाँ तरह-तरह की संस्कृति विभिन्न लोकाचारों से जन्म लेती है. विभिन्नताओं वाला यही लोकाचार ही हमें विश्व मे सबसे अलग रखता है और यही है हमारी समृद्ध विरासत. लेकिन इस विरासत को नई पीढ़ी बढ़ते शाहरवाद और नवीनता के साथ यादों के झरोखे में पीछे छोड़ते जा रही है. आज गांव से नई पीढ़ी दूर होते जा रही है और अपने मूल जड़ो को भूलते जा रही है. इन मूल जड़ो को खोजने का उद्देश्य ही एक वृद्ध को किताब लिखने की प्रेरणा दे देता है और वे जड़ों को खोजने में एक ग्रंथ ही लिख डालते हैं जिसका नाम है “भुवन भास्कर”. जी हां हम बात कर रहे हैं
सलेमपुर के रहने वाले बिहार पुलिस पूर्व अधिकारी कृष्ण चंद्र दुबे उर्फ़ मनन दुबे की जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद गांव की इतिहास को समेटने का बीड़ा उठा अभी भी काम मे व्यस्त हैं. 8 अक्टूबर 1942 को जन्मे, 80 वर्षीय दुबे जी की ऊर्जा देख बाबू कुँवर सिंह के जोश की कहावत चरितार्थ हो जाती है. भुवन-भास्कर की रचना कर कृष्ण चन्द्र दुबे ने एक नयी परम्परा को जन्म दिया है, जो पूरे भारतीय समाज के लिए एक प्रेरणा है. 600 पृष्ठों से युक्त यह पुस्तक सलेमपुर और आसपास के गांवों की वंश-परंपरा और उनके यश-कीर्ति गाथा का संग्रह है. यह पुस्तक एक संस्मरणात्मक इतिहास है जो उपन्यास की तरह रोचक और सही तथ्यों पर आधारित है.




“भुवन भास्कर” स्वर्गीय भुवन बाबा की वंश परम्परा तथा यश-कीर्ति गाथा का लोकार्पण रविवार को सलेमपुर स्थित स्वतंत्रता सेनानी स्व.हरिपाल दुबे सेवा सदन के प्रांगण में किया गया.

समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में वीर कुंवर सिंह विश्वविधालय आरा के पुर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डा. नन्द जी दुबे, विशिष्ट अतिथि के रूप में संजय गांधी कालेज आरा के पूर्व प्राचार्य डा. हरे कृष्ण उपाध्याय,वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के पूर्व दर्शन शास्त्र विभागाध्यक्ष डाक्टर महेश सिंह और बिहार पुलिस विभाग पूर्व अधिकारी व इस पुस्तक के लेखक कृष्ण चंद्र दुबे ने संयुक्त रूप से द्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की.

मनोज कुमार दुबे ने अतिथियों का स्वागत करते हुए पुस्तक पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि प्रस्तुत ग्रंथ की लेखन शैली संस्मरणत्मक,काव्यात्मक एवं वर्णात्मक है. यही कारण है कि इतिहास तथा समाज शास्त्र जैसे विषय में काव्यात्मक तथा अत्यंत रोचक तरीक़े से रखा गया है.

‘भुवन भास्कर’ ग्रंथ सलेमपुर गाँव एवं भुवन वंश का विश्व क़ोष है जिससे व्यक्ति, जीवन एवं समाज का कोई भी पक्ष अछूता नहीं है. सजग लेखक का दायित्व निभाते हुए कृष्ण चंद्र दुबे उर्फ़ मनन दुबे ने ‘भुवन भास्कर’ की रचना कर एक नयी परम्परा को जन्म दिया है, जो पूरे भारतीय समाज के लिए एक प्रेरणा है. मनोज दुबे और ग्रन्थ के लेखक ने बताया कि यह किताब सलेमपुर ही नहीं बल्कि आसपास के सारे गाँव के इतिहास को समेटता हुआ एक पूर्ण ग्रंथ है, जो हर जाति, संप्रदाय के बारे में बताता है. उन्होंने ये भी बताया कि यह किताब आज के नवयुवक के लिए बेहद ज़रूरी है.

लेखक कृष्ण चंद्र दुबे ने किताब लिखने के दौरान अपने अनुभवो को साझा करते हुये कहा कि इस किताब को लिखने में लगभग सोलह महीने का समय लगा. इस पुस्तक के लेखन के लिए उन्हें कई यात्राए करनी पड़ी जिसके सहभागी उनके सुपुत्र मनोज दुबे रहे. उन्होंने यह बताया कि पुस्तक पूर्ण करने में अनेको लोगों का साथ और सहयोग मिला. उन्होंने उन सभी को धन्यवाद देते हुए अपने पूर्वज स्वर्गीय राजकुमार दुबे को याद किया जिन्होंने वीर कुंवर सिंह की सेना में कई लड़ाइयाँ लड़ी और शहीद हुए. उन्होंने उपस्थित लोगों के साथ पटना नाउ से बात कर के क्रम में भी बताया कि आज भी सलेमपुर गाँव में उनके हाथ की तलवार मौजूद है. उन्होंने और भी अनेको स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया और कहा स्वर्गीय हरिपाल दुबे और अन्य उनके साथी देश के लिए लड़े. उन्होंने यह भी बताया कि आज की नई पीढ़ी को अपना मातृभाषा, मातृभुमि को कभी नहीं भूलना नहीं चाहिए. उन्होंने कहा कि आज हम अपने पूर्वजों का इतिहास नही जानते. उन्होंने कहा कि पुस्तक लेखन के क्रम में कई तथ्य उजागर हुए जो उनके लिए भी नए थे. पटना नाउ ने जब पूछा कि सबसे कठिन क्षण क्या था इस ग्रंथ को लिखते समय? इस पर उन्होंने कहा कि मूल जड़ को ढूंढने में बहुत दिक्कत हुई लेकिन उसे हमने ढूंढ लिया. उन्होंने नई पीढ़ी से आग्रह किया कि नई ज्ञान-विज्ञान को आप पढ़े,आगे बढ़े लेकिन अपने मूल जड़ो, अपने गाँव और लोक संस्कृतियों को जरूर याद रखें क्योंकि यही आपकी पहचान है.

पुस्तक लोकार्पण के बाद धन्यवाद ज्ञापन अभिलाष दुबे ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त कर किया. मौक़े पर उपास्थित डाक्टर पनक भूषण दुबे, रंजन मिसिर, जितेन्द्र दुबे, निर्मल दुबे, बालदेव दुबे, नागेश्वर दुबे, चंद्रमा दुबे एवं समस्त ग्रामीण मौजूद थे.

सलेमपुर से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट&

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