तीन दिवसीय नुक्कड़ नाटक महोत्सव का हुआ समापन

By om prakash pandey Mar 21, 2018

लोक चित्रकला के जरिये लुप्त होते पंक्षियो पर लगाई गयी प्रदर्शनी

आरा,21 मार्च. 50 वीं नुक्कड़ सप्ताह पर आरा रंगमंच प्रभाव क्रियेटिव सोसायटी द्वारा आयोजित 3 दिवसीय नुक्कड़ महोत्सव सह लोक चित्रकला प्रदर्शनी के तीसरे व अंतिम दिन का थीम ‘ लोक–चित्रकला’ पर आधारित पेंटिंग्स को प्रदर्शन के लिए लगाया गया. जिसमे प्रभाव क्रियेटिव सोसायटी के चित्रकारों अमित, पुजा, रागिनी, काफिया, राम बाबू रूपेश आदि द्वारा बनाए गये लोक चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई. कार्यक्रम का संचालन प्रभाव क्रियेटिव सोसायटी के सचिव व प्रख्यात चित्रकार कमलेश कुंदन और अशोक मानव ने किया. कार्यक्रम की शुरूआत माया शंकर मायावी के लोक वाद्य हुड़ूका वादन से हुई. कार्यक्रम का उद्घाटन श्मशाद प्रेम, राकेश दिवाकर, शारदानंद शर्मा,नील मणी पाठक ,मनोज नाथ, सत्यदेव, ने संयुक्त रूप से किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्मशाद प्रेम नें कलाकारों के लिए शहर में एक आधुनिक प्रेक्षागृह के निर्माण की मांग की. अपने संबोधन में चित्रकार राकेश दिवाकर ने कहा कि बिहार की मधुबनी, मंजूषा पेंटिंग्स अपनी पहचान विश्वस्तर पर बना चुके है. लेकिन भोजपुरी लोक चित्रकला आज भी अपने पहचान के लिए संघर्ष कर रही है. कार्यक्रम को वरिष्ट कला प्रेमी राधेश्याम तिवारी ने भी संबोधित किया.




कार्यक्रम का विशेेष आकर्षण रहा ‘अधर्व’ सामाजिक व सांस्कृतिक संस्था द्वारा “घर आ जा रे पंक्षी” चित्र प्रदर्शनी. जिसमें दिनो-दिन लुप्त होते जा रहे पंक्षियो को बचाने की मुहीम शामिल रही. कार्यक्रम में जिले के चर्चित समाजसेवी अशोक तिवारी ने आरा रंगमंच के कलाकारों व शहर के पत्रकारों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया.

फिर चित्रकार कमलेश कुंदन की परिकल्पना पर आधारित नाटक “हमहूं चित्रकार बनब” की प्रस्तुति हुई. जिसका निर्देशन सुधीर शर्मा ने किया. नाटक में यह दिखाया गया कि लोक चित्रकला से प्रेरित एक युवक राजू चित्रकारी की विधिवत शिक्षा लेना चाहता है, पर उसके पिता उसे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी और खेती में हाथ बटाने की बात कहते है.

राजू छुप-छुप कर चित्रकारी सीखता है. और बहुत बड़ा चित्रकार बनता है. नाटक में यह दिखाया गया कि नौकरी और पैसा सिर्फ प्रतियोगी और व्यवसायिक शिक्षा में ही नही बल्कि कला और खेल के क्षेत्र में भी है. अभिनय में राजू की भूमिका में साहेब अमन, पिता की भूमिका में डॉ पंकज भट्ट, दोस्त की भूमिका में लड्डू भोपाली, चित्रकार के रूप में कमलेश कुंदन ,पुलिस की भुमिका में डॉ अनिल सिंह, सलमान महबूब, निशिकांत,ग्रामीण की भूमिका में सुधीर शर्मा, मुकेश कुमार, बम ओझा आदि रहे. संगीत श्याम शर्मीला, अंजनी व हरिशंकर निराला का रहा.

अनिल तिवारी दीपू, संजय राय, बबलू कुमार, आरती, पूजा,अमित मिश्रा, कृष्ण कांत चौबे, जैसे गणमान्य लोगों की उपस्थिति रही. सफल कार्यक्रम के लिए कार्यक्रम नियंत्रक मनोज श्रीवास्तव को विशेष तौर पर बुके से सम्मानित किया गया. कार्यक्रम का समापन अंजनी कुमार के चैता गायन से हुई. धन्यवाद ज्ञापन डॉ पंकज भट्ट ने किया.

आरा से सत्य प्रकाश सिंह की रिपोर्ट

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