आपदाओं के बारे में बिहार के अधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण : डॉ. उदय कान्त




समुदाय स्तर पर सुरक्षित तैराकी कार्यक्रम के क्रियान्वयन बैठक का आयोजन

लू एवं वज्रपात बचाव संबंधी मार्गदर्शिका के संबंध में प्रस्तुतिकरण एवं परिचर्चा का आयोजन

विभिन्न जिलों के अधिकारियों के साथ हुई बैठक

नीतीश सुरक्षा कवच के जरिए लोगों को आपदा पूर्व सूचना देने व क्रियान्वयन पर हुई चर्चा

पटना. बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सभागार में विभिन्न जिलों से  अपर समाहर्ता / प्रभारी,आपदा प्रबंधन समुदाय स्तर पर सुरक्षित तैराकी कार्यक्रम के क्रियान्वयन, लू एवं वज्रपात बचाव संबंधी मार्गदर्शिका के संबंध में प्रस्तुतिकरण एवं परिचर्चा  हेतु शुक्रवार को एक बैठक आयोजित की गई. यह बैठक उपाध्यक्ष डॉ. उदय कांत की अध्यक्षता में तथा माननीय सदस्य पी. एन. राय की उपस्थिति में संपन्न हुई. बैठक में प्राधिकरण के सदस्य पी. एन.राय ने जिलों से आए सभी पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि डूबने से होने वाली मौतों की रोकथाम हेतु सुरक्षित तैराकी कार्यक्रम का सुचारू रूप से क्रियान्वयन एवं सतत रूप से जन जागरूकता कार्यक्रमों का संचालन किया जाना चाहिए. जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में होने वाली वृद्धि/लू की चरम स्थितियों तथा वज्रपात से बचाव  हेतु समुदाय स्तर पर जन जागरूकता तथा समय पूर्व तैयारी हेतु सभी हितधारकों को साथ मिलकर कार्य किए जाने के संबध में विस्तार पूर्वक  प्रस्तुतिकरण एवं परिचर्चा की गई .

उपाध्यक्ष डॉ. उदय कांत  द्वारा हरित क्षेत्र  को बढ़ाने एवं बढ़ते तापमान का न्यूनीकरण करने के उद्देश्य से सुप्रसिद्ध एवं आजमाई हुई अकीरा मियावाकी तकनीक के द्वारा पुनर्वनीकरण करने हेतु सभी हितधारकों से आह्वान किया गया. उन्होंने प्रत्येक वर्ष गर्मी के बढ़ते प्रभाव पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने अकीरा मियावाकी तकनीक से वृक्ष लगाकर जल, जीवन, हरियाली के संबंध में विस्तृत विचार रखें. वज्रपात से बचाव के लिए नीतीश पेंडेंट को पहले प्रयोग के तौर पर खेतिहर किसान, मछुआरों, खेतों में काम कर रही महिलाओं और दिव्यांगजनों को उपलब्ध कराने की बात कहीं. उन्होंने प्राधिकरण स्तर पर की जा रहे आपदा न्यूनीकरण के सापेक्ष कार्य नीतियों की जानकारी ली.

अधिकारियों ने सुरक्षित तैराकी कार्यक्रम का समाज में स्वीकृति और सामूहिक जुड़ाव के साथ डूबने की घटना में हो रही कमियों के बारे में जानकारी दी. सुरक्षित तैराकी कार्यक्रम की रूपरेखा पर डॉ. जीवन ने राज्य में डूबने की घटना को कम करने के उद्देश्य से प्रभावित जिलों में युद्धस्तर पर ट्रेनिंग कार्य करने और उसमें प्रशासन की भूमिका पर विचार रखें.वरीय सलाहकार डॉ. अनिल ने लू तथा हिटवेव के प्रभावों पर विस्तृत चर्चा की तथा इससे बचाव के उपायों पर विचार विमर्श किया. वहीं प्राधिकरण के नीरज सिंह ने बज्रपात से होनेवाली घटना को रोकने के लिए पूर्व तैयारी और आपदा पूर्व सूचना देने के सापेक्ष किए गए प्रयास और नीतीश सुरक्षा कवच टूल के बारे में जानकारी दी.

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