देश के लिए तीन पीढ़ियों से सेवा दे रहे हैं एक परिवार के लोग

By pnc Sep 29, 2016

तीसरी पीढ़ी में दो बेटे  हुए शहीद

चौथी पीढ़ी भी करेंगे देश की ही सेवा




आज  सुन कर बहुत अच्छा लगा कि भारत के जवानों ने उरी हमले का बदला लिया है भारत को ऐसे लोगों को नेस्तनाबूत कर देना चाहिए .इन कायरों का इस पृथ्वी पर कोई जगह नहीं है-शहीद अशोक के पिता

रकटू टोला, उरी हमले में देश के लिए दिवंगत हुए अशोक सिंह के तीन पीढ़ियों ने दी है देश के लिए अपनी सेवा दी है जिसमें तीसरी पीढ़ी में दो जवान को मिली शहादत मिली है. बावजूद इसके चौथी पीढ़ी भी ताल ठोक के फ़ौज के जरिए ही देश को अपनी सेवा देने चाहती है. देश में हो रहे विरोध प्रदर्शन और जवाबी कार्रवाई के दौर में पटना नाउ ने शहीद के घर जाकर आज सात दिन बाद ये जानने की कोशिश की, कि आखिर शहीद का परिवार क्या चाहता है. भोजपूर जिले में शहीद अशोक सिंह के घर अब देशभक्ति के लिए जान देने को तैयार है चौथी पीढ़ी. जिनसे बात की हमारे रिपोर्टर ओ पी पांडेय ने .

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भोजपुर जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर जितौरा बाजार से महज कुछ दूरी पर स्थित रकटु टोला में आज शहीद अशोक सिंह के घर संस्कार कर्म का दिन है. जहाँ सभी दिवंगत हुए अशोक सिंह के संस्कार कर्म की तैयारियों में लगे हैं. घर जाते ही नजर एक बुजुर्ग जिसकी उम्र लगभग 70 वर्ष है पर पड़ती है. यह बुजुर्ग कोई और नहीं बल्कि शहीद अशोक के पिता जग नारायण सिंह हैं.

 

37168b77-0fad-429e-a452-04a253e1d8e8आँखों से नहीं देख पाने वाले जगनारायण बेटे के बारे में सुनते ही नम हो जाते है. उनसे जब पूछा जाता है कि सरकार से आपकी क्या मांग है ,तो कहते हैं कि क्या मांगे? हमने तो देश के नाम ही अपने बेटों को कर दिया लेकिन सरकार यदि दुश्मनों को मुंहतोड़  जवाब नहीं देती है तो वे शहादत ब्यर्थ है. जगनारायण सिंह बताते हैं कि उनके पिता स्व राजगृह सिंह भी सेना में ही थे. साथ उनके एक भाई श्याम नारायण सिंह भी फ़ौज में थे और एक भाई राम विलास सिंह पुलिस की नौकरी में थे. लेकिन इनके दो बेटों की शहादत ने इनकी आँखों का चिराग ही बुझा दिया, बड़े बेटे स्व कमता प्रसाद की शहादत 1986 में हुई थी जो पूरे परिवार पर एक बहुत बड़ा दुःख था.लेकिन देश के लिए दी गई कुर्बानी ने दुखों के इस बड़े अंतराल को पाट दिया. छोटा बेटा अशोक सिंह और बड़े दिवंगत बेटे के दो बेटे ददन सिंह और विनोद कुमार सिंह का भारतीय फ़ौज में जाने का उद्देश्य दुश्मनों के दाँत खट्टे करना था. लेकिन कौन जानता है था कि सैनिकों से भरी इस तीसरी पीढ़ी के इन सदस्यों में से एक सदस्य शहीद होने वाला है. जगनारायण के छोटे बेटे अशोक सिंह भी उरी हमले में शहीद हो गए.

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शहीद की 67 वर्षीय माँ तरेगना देवी बेटे के बारे में पूछते ही करुण रुदन से अपने आप को रोक नहीं पाती है. लेकिन दिल को कड़ा कर बेटे की शहादत को देश के बलिदान कहती है पर उन्हें अपने बेटे के खोने का बेहद दुःख है. माँ -बाप कहते हैं कि हमसे पहले हमारे दो-दो बेटे शहीद हो गए ये किसी भी माँ-बाप के लिए सबसे बड़ा दुःख है. ये पूछने पर कि तीन पीढ़ियों के बाद भी चौथी पीढ़ी यानि अपने पोतों को भी इन्डियन आर्मी में ही क्यों भेज रहे हैं, तो उसपर वो बड़े गर्व से कहती  हैं कि हमारा परिवार देश के लिए लड़ा है इसलिए हम आगे भी इसी देश के लिए लड़ेंगे.

शहीद की पत्नी से जब पूछा जाता है कि वो क्या चाहती हैं सरकार से? इस सवाल के जवाब में सीधा यही कहना है कि भारत सरकार को अमेरिका की तरह पाकिस्तान में घुसकर आतंक के मास्टर माइंड हाफिज सईद को भारत लाना चाहिए और भारत की जनता जे सामने उसे खुलेआम मौत देनी चाहिए ताकि आने वाले कई सालों तक आतंक फैलाने वालों का रूह कांप उठे.

रकटू टोला से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

 

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