सर्विस पसंद नहीं तो सर्विस चार्ज क्यों?

By Amit Verma Jan 2, 2017
केन्द्र सरकार ने दूर की लोगों की दुविधा
कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय ने सर्विस चार्ज को लेकर साफ किया नियम
रेस्टोरेंट में सर्विस चार्ज  देना अनिवार्य नहीं
होटल और रेस्टोरेंट्स में इस बारे में नोटिस लगाना जरूरी
होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने भी इसे बताया वैकल्पिक

केन्द्र सरकार के कन्ज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री ने पिछले कई महीनों से लगातार मिल रही शिकायतों के मद्देनजर ये स्पष्ट किया है कि रेस्टोरेंट में सर्विस चार्ज देना पूरी तरह से वैकल्पिक है और ग्राहकों की रजामंदी के बगैर इसे नहीं वसूला जा सकता है.  शिकायत के मुताबिक, टिप के एवज में रेस्टोरेंट 5 से लेकर 20 फीसदी तक सर्विस चार्ज ग्राहकों से वसूल रहे हैं. ग्राहकों को यह चार्ज रेस्टोरेंट में कैसी भी सर्विस मिलने पर देना पड़ रहा था. कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट का हवाला देते हुए मंत्रालय ने कहा है कि  होटल और रेस्तरां में सेवा शुल्क देना अनिवार्य नहीं है. यदि ग्राहक सेवा से संतुष्ट नहीं है तो वह इसे हटवा सकता है. केन्द्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि वे सुनिश्चित करें कि होटल और रेस्तराओं में इस बारे में नोटिस बोर्ड पर स्पष्ट तौर पर सूचना दी गई हो.




केन्द्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने एक आधिकारिक वक्तव्य में कहा है, ‘इस बारे में ग्राहकों से कई शिकायतें मिली हैं कि होटल और रेस्तरां ‘टिप’ के बदले 5 से 20 प्रतिशत के दायरे में सेवा शुल्क ले रहे हैं. इन होटल एवं रेस्तरांओं में सेवा चाहे कैसी भी हो, ग्राहकों को इसका भुगतान करना पड़ता है.’ मंत्रालय ने इस संबंध में होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया से स्पष्टीकरण मांगा.  जवाब में होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने साफ किया है कि, ‘ सर्विस चार्ज पूरी तरह से विवेकाधीन है और यदि कोई कस्टमर खानपान सेवा से संतुष्ट नहीं है तो वह इसे हटवा सकता है. इसलिये इसे स्वीकार करना पूरी तरह से स्वैच्छिक है.

उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 के प्रावधान का उल्लेख करते हुये कहा है कि इसके मुताबिक कोई भी व्यापार व्यवहार जो बिक्री बढ़ाने के लिये, अथवा इस्तेमाल या फिर सामान की आपूर्ति अथवा किसी भी सेवा के लिये किया जाता है और उसमें अनुचित तरीका अथवा भ्रामक तरीका अपनाया गया है तो उसे अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस माना जायेगा. कोई भी उपभोक्ता इस तरह के व्यापार व्यवहार के खिलाफ उचित उपभोक्ता मंच पर शिकायत कर सकता है. मंत्रालय ने कहा है कि उपभोक्ता मामले विभाग ने इस संबंध में राज्य सरकारों को सचेत किया है कि होटल और रेस्तरां उपभोक्ता संरक्षण कानून का पालन करें और होटल अथवा रेस्तरां में यह सुनिश्चित करें कि उचित स्थान पर सेवा शुल्क के बारे में जानकारी दी जाए.

हालांकि इसके लिए पहल राज्य सरकारों को करनी होगी और उन्हें इस बारे में सभी होटल और रेस्टोरेंट्स को जानकारी देनी होगी ताकि कन्ज्यूमर के साथ कोई धोखा ना हो.

 

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *