नुक्कड़ नाटक मिनीर सपनो ने किया सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार

By pnc Dec 15, 2016

जुमलेबाजी और फासीवादी संस्कृति के खिलाफ कलाकारों को एक जूट हो कर हल्ला बोलने की जरुरत है

छह दिवसीय चतुर्थ राष्ट्रीय नुक्कड़ लाइव थिएटर फेस्टिवल संपन्न 




रंगनायक जसम द्वारा आयोजित चतुर्थ राष्ट्रीय नुक्कड़ लाइव थिएटर फेस्टिवल में लखीमपुर आसाम के द्वारा वरिष्ठ रंगनिर्देशक दयाल कृष्ण दयाल के निर्देशन में नुक्कड़ नाटक – मिनीर सपनो का सफल मंचन  बेगुसराय के दिनकर भवन के मुख्य द्वार पर किया गया. रंगकर्मी विजन भट्टाचार्य के जन्म शताब्दी वर्ष में आयोजित इस नुक्कड़ फेस्टिवल में भारी संख्या दर्शकों की उपस्थिति रही. में नुक्कड़ नाटक – मिनीर सपनो नाटक में एक लडकी के सपनों और उसके शोषण को दर्शाया गया है. जिसमे दर्द भी है सामंती व्यवस्था पर चोट करता नाटक कुशल सायकिया की रचना है.इस नाटक में, मोहिनी, मोहन, कोलिता आदि ने अभिनय किया.

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मार्क्सवादी चिन्तक व जलेस के जिला सचिव भगवन प्रसाद सिन्हा ने इस मौके पर कहा कि इस जुमलेबाजी और फासीवादी संस्कृति के खिलाफ कलाकारों को एक जूट हो कर हल्ला बोलने की जरुरत है. सीपीआई एमएल जिला सचिव ने दर्शकों का अभिवादन किया,इस अवसर पर  कवि रामानुज शर्मा और शेखर सावंत ने काव्य पाठ किया .इस फेस्टिवल में शामिल हुए  कलाकारों को मोमेंटो दे कर बोधन प्रसाद सिंह और अनिल पतंग ने सम्मानित किया. संचालन  दीपक सिन्हा और सचिन ने किया,इस मौके  मौके पर आरा के साथी राजू  रंजन , निर्मोहिजी ,और रोहतास के साथी निर्मल नयन ने जनवादी गीत गा कर जनता का घंटों मनोरंजन किया.इस छह दिवसीय कार्यक्रम को सफल बनाने में रत्नांक प्रद्योत, अमरेश, धर्मेन्द्र, सोनू, कन्हैया,मनोज, अवनीश ,लालजी,विपुल, देवेन्द्र जी, ननकू पासवान जैसे कई साथी ने भरपूर साथ दिया.

इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि यह फेस्टीवल कई अर्थों में महत्वपूर्ण रहा. एक ऐसे समय में जब रंगमंच जनसरोकार से  दूर एवं कारपोरेटी स्वरूप से लैस हो पूंजी के खेल में तब्दील हो चुका है तब भी जसम बेगूसराय के साथियों के द्वारा आमजन के संकटों एवं जद्दोजहद को अभिव्यक्त करता यह फेस्टीवल उम्मीदों से भर गया. साथी दीपक सिन्हा समेत तमाम आयोजक मित्रोँ को इस शानदार आयोजन के लिए आभार. इस फेस्टीवल में सिमरिया के हाल में ही दिवगंत कवि चंद्र कुमार शर्मा बादल के नाम मंच समर्पित किया गया. समापन जनगायक निर्मोही जी एवं जनगीतकार सुमित्र जी के गीत गजल के गायन के साथ संपन्न हुआ.

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