जानिए! ये कौन बाबा है जिनके आदेश पर चल रहा देश….

By om prakash pandey Apr 12, 2018

अंजान हाथों की कठपुतली बनते युवा
सोशल मीडिया की धुरी पर नाचती भारत बंद की योजना और आपसी बहस से सौहार्द खराब कर रहे है युवा

आरा, 12 अप्रैल. अभी तक आपने भूत-प्रेत, जादू-टोन और तंत्र-मंत्र की जाल में बाबाओं की हाथों की कठपुतली बनते देखा और सुना होगा, जो उपयुक्त चीजो का सहारा ले भोली-भाली जनता को अपने जाल में फांसने का काम करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि आजकल एक ऐसे अदृश्य बाबा भी हैं जिनके इशारे पर लाखों करोड़ों लोग अपनी दिशा निर्धारित कर रहे हैं. जी हां 2 अप्रैल का भारत बंद हो या फिर 10 अप्रैल का, सभी की योजनाएं सोशल मीडिया से फलीभूत हो रही हैं. यही वो बाबा हैं जिनकी छत्रछाया में राजनीतिक लाभ लेने वाले चालबाज राजनीतिज्ञ कही शांत बैठ, जाति के आधार पर युवा और समूहों को उसका कर ,अपना निशाना साध रहे हैं. बाबा की सूचना करोड़ो भक्तो तक पोस्ट के माध्यम से पहुँचती है जो उन्मादी भक्तो को बेचैन कर देती है. बाबा के विभिन्न माध्यमो, यथा फेसबुक और वाट्सअप के जरिये सब भक्तो के मन को अशांत कर रहा है और लोग जातिगत भावना में बह सड़को पर आ तमाशबीन बन रहे है.




क्या आप जानते हैं कि-
सोशल मीडिया के जरिये पूरा खेल खेला जा रहा है.
और किसी को पता नहीं खेल कौन रहा है लेकिन लोग मोहरा जरुर बन रहे हैं.

1. 27-28 मार्च से सोशल मीडिया पर ये मेसेज तैरने लगा कि 2 अप्रैल को दलितों का भारत बंद है लेकिन बंद का आह्वान किसने किया ये किसी को नहीं पता.

2. 2अप्रेल को दलितों के नाम पर हुए बंद से हुयी हानि से देश आहत था तभी सोशल मीडिया पर ये मेसेज फैलने लगा कि 10 अप्रैल को सवर्णों की तरफ से भारत बंद है.
माजरा वहीं बंद का आव्हान किसने किया ये किसी को पता नहीं.

3. अभी 10 अप्रैल आया भी नहीं था उससे दो तीन दिन पहले ये मेसेज भी सामनें आ गया कि अगर 10 अप्रैल को सवर्ण भारत बंद करते हैं तो १४ अप्रैल को दलितों की तरफ से चक्का जाम किया जाएगा और इसमें भी वही ख़ास बात कि ये किसकी तरफ से कहा गया किसी को पता नहीं.

 

अभी 10 का भारत बंद को हुए 24 घण्टे भी नही बीते थे कि कुछ लोगों ने अपने कई पोस्ट कर गांधी और बाबा को गुटों में बांटने के साथ नेहरू की अय्याशी के बारे में पूछने लगे. साथ ही 14 को पुनः भारत बंद और 10 का जवाब देने की तैयारी जैसी चर्चाएं युवाओ की मानसिकता को हवा देने लगी. जाहिर है मुर्खता में लोग किसी अनजान हाथों की कठपुतली बन रहे हैं और ऐसे लोगों की मंशा साफ़ है कि वो लोग समाज में विद्वेष फैलाना चाह रहे हैं.

आरा से ओ पी पांडेय और बक्सर से ऋतुराज की रिपोर्ट

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