शिक्षा और साहित्य से गहरा लगाव था आईएएस डॉ सी अशोकवर्धन का- आचार्य भारतभूषण

By dnv md May 4, 2024


पटना, 03 मई।। बिहार कैडर के अवकाश प्राप्त आईएएस अधिकारी डॉ चंद्रगुप्त अशोकवर्धन के असामयिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए अखिल भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य भारतभूषण पाण्डेय ने कहा कि वे शिक्षा, साहित्य और प्रशासन के क्षेत्र में बहुआयामी प्रतिभासंपन्न व्यक्तित्व थे.
बताते चले कि पूर्व आईएएस डॉ. अशोकवर्धन का मूल गांव बक्सर जिले का तिवारीपुर है, लेकिन उनका बचपन और पालन-पोषण आरा के शिवगंज मोहल्ले में हुआ। उनके छोटे भाई डॉ दीपक प्रकाशवर्धन जो वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग में प्राध्यापक हैं, सपरिवार आरा शिवगंज में रहते हैं। डॉ अशोकवर्धन सपरिवार पटना के एजी कॉलोनी में रहते थे, जहां तीस अप्रैल को उनका आकस्मिक निधन सन स्ट्रोक लगने से हुआ। उनके असमय निधन पर अनेक लोगों और संगठनों से अपनी शोक-संवेदना व्यक्त की है.
डॉ. सी. अशोकवर्धन की गिनती बिहार के बेहद ईमानदार और सादगी पसंद आईएएस अधिकारी के रुप में होती थी। वे सेवा में रहने और अवकाश ग्रहण के बाद भी ट्रेन की जनरल बोगी और सायकिल से चलने के लिए मशहूर थे। निधन के दिन भी भरी दोपहरी में सायकिल से ही किसी से मिलने के लिए निकल गये थे.

भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बनने के बाद भी अनवरत साहित्य की साधना की. उनका सृजन कार्य ताउम्र जारी रहा। वे बहुभाषाविद् थे तथा अंग्रेजी-हिंदी में सुंदर कविताएं लिखते थे। संस्कृत साहित्य में भी उनकी गहरी पैठ थी.
भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य डॉ. भारतभूषण ने कहा कि वे आरा जैन कालेज के अध्यापक और प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार प्रो.रामेश्वरनाथ तिवारी जी के ज्येष्ठ सुपुत्र थे। अभी वे बिहार सरकार में भूमि सुधार न्यायाधिकरण के सदस्य के रूप में सेवा दे रहे थे. उनके असमय निधन से शिक्षा, साहित्य और प्रशासन के क्षेत्र में रिक्तता उत्पन्न हो गई है. जनसंघ अध्यक्ष ने शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की तथा दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी
डॉ. पांडेय के मुताबिक छात्र जीवन में श्री अशोकवर्धन जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में भी शामिल हुए थे. पटना विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एमए और पीएच-डी किया. फिर रांची विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक हुए। वे1980 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित हुए। उनको बिहार कैडर मिला.
आरंभिक दिनों में वे गोड्डा, बोकारो, धनबाद में अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) फिर रांची विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और सीतामढ़ी के जिलाधिकारी (डीएम) रहे. बिहार के बंटवारे के बाद उन्होंने बिहार सरकार के संसदीय कार्य विभाग तथा माध्यमिक शिक्षा विभाग के सचिव, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव, राजस्व पर्षद के सदस्य तथा चकबंदी के महानिदेशक आदि के रूप में कई दायित्वों का दक्षतापूर्वक निर्वहन किया। उन्होंने प्रशासन और कानून की कई पुस्तकें लिखीं तथा हिन्दी, अंग्रेजी साहित्य में भी कई विधाओं विशेषकर कविता आदि की चर्चित कृतियों की रचना की। भूमि सुधार मामलों के वे विशेषज्ञ थे और सेवानिवृत्त होने के बाद भी भूमि सुधार न्यायाधिकरण में बतौर सदस्य सेवा दिए थे.
उनके पिता प्रो रामेश्वर नाथ तिवारी जी आरा जैन कालेज में हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार और अध्यापक थे तथा वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभाग के संस्थापक अध्यक्ष अर्थात् प्रथम विभागाध्यक्ष थे। उनकी बड़ी बहन डॉ श्रीमती ऋता शुक्ला ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार और रांची विश्वविद्यालय की पूर्व हिंदी प्राध्यापिका हैं.




pncb

By dnv md

Related Post