‘लोन/सहायता उपलब्ध कराने के लिए नाबार्ड को भेजा जाएगा प्रस्ताव’

By Nikhil Feb 8, 2018

भूमि एवं जलसंरक्षण परियोजनाओं से सम्पूर्ण दक्षिण बिहार को अच्छादित करने हेतु ऋण/सहायता उपलब्ध कराने के लिए नाबार्ड को भेजा जाएगा प्रस्ताव – डॉ॰ प्रेम कुमार

पटना । कृषि मंत्री डॉ॰ प्रेम कुमार की अध्यक्षता में कृषि विभाग द्वारा भूमि एवं जलसंरक्षण परियोजनाओं से सम्पूर्ण दक्षिण बिहार को आच्छादित करने से संबंधित बैठक विकास भवन, नया सचिवालय, पटना स्थित उनके कार्यालय कक्ष में आयोजित की गई. बैठक में कृषि विभाग एवं नाबार्ड के पदाधिकारियों द्वारा इस कार्यक्रम की रूप-रेखा पर विस्तार से चर्चा की गयी.




कृषि मंत्री ने जलछाजन परियोजनायों का क्रियान्वयन से राज्य के पठारी तथा वर्षां आश्रित क्षेत्रों में फसलों की सिंचाई व्यवस्था, फसल सघनता तथा फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने, फसलों एवं पशु संसाधन को आकाल की स्थिति में कम-से-कम नुकसान पहुँचाने तथा पशुओं को अच्छी गुणवत्ता वाले चारा की व्यवस्था, भू-जल को बनाये रखने तथा पानी की उपयोगिता बढ़ाने, कम अवधि, मध्यम अवधि और लम्बी अवधि में फसल के अतिरिक्त संबद्ध क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने आदि में मदद मिलेगी तथा वैसे क्षेत्रों में किसानों की आय को दूगुनी करने में सरकार सक्षम होगी. जलछाजन की योजनाएँ लम्बी अवधि की होती है, योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए बड़ी धन राषि की आवष्यकता होगी इसलिए आज नाबार्ड के उच्चस्तरीय पदाधिकारियों एवं कृषि विभाग की पदाधिकारियों की एक महत्त्वपूर्ण बैठक आज बुलाई गई है.

प्रेम कुमार ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा भूमि एवं जल संरक्षण परियोजनाओं पर विषेषकर दक्षिण बिहार के जिलों में कृषकों के बहुआयामी हित के लिए कार्य किया जाता रहा है. सरकार की यह मंषा है कि दक्षिण बिहार के 17 जिलों के सम्पूर्ण क्षेत्र को भूमि एवं जल संरक्षण परियोजनाओं से आच्छादित किया जाये. इस बड़े आकार के कार्यक्रम को केन्द्र सरकार या राज्य सरकार से प्राप्त करायी गयी राषि से कम समय में पूरा कर पाना सम्भव नहीं हो सकेगा. कृषि विभाग के अन्तर्गत आरम्भिक आकलन के अनुसार लगभग 326 जलछाजन क्षेत्र परियोजनाओं (प्रति परियोजना क्षेत्र लगभग 5,000 हेक्टेयर का होगा) पर कार्य किये जाने कि आवष्यकता होगी तथा इसके लिए लगभग 2,487 करोड़ रूपये की व्यवस्था करनी होगी. इसके लिए ऋण/सहायता उपलब्ध कराने हेतु नाबार्ड को एक प्रस्ताव तैयार कर भेजा जाएगा, जिस पर स्वीकृति की कार्रवाई नाबार्ड के द्वारा की जायेगी। नाबार्ड के ग्रामीण आधारभूत संरचना विकास कोष (आर॰आई॰डी॰एफ॰) से इस राषि को सहायता/ऋण के रूप में प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है.

मंत्री ने कहा कि सम्प्रति कृषि विभाग के अन्तर्गत भूमि संरक्षण निदेषालय के द्वारा केन्द्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के सहयोग से राज्य में 123 जलछाजन योजनाएँ दक्षिण बिहार के 14 जिलों में कार्यान्वित की जा रही हैं. प्रत्येक जलछाजन परियोजना को 5 से 7 वर्षों में पूरा किया जाना है, शेष जलछाजन क्षेत्रों के विकास के लिए सरकार शीघ्रता से कार्रवाई करने को इच्छुक है. क्रियान्वित की जा रही 123 जलछाजन योजनाएँ को पूरा करने में लगभग 550 करोड़ रूपये की आवष्यकता होगी, जबकि 326 जलछाजन की नई योजनाओं के लिए लगभग 2400 करोड़ रूपये की आवष्यकता अगले 5 वर्ष में होगी.

प्रेम कुमार ने कहा कि क्रियान्वित की जा रही जलछाजन योजना तथा नई योजना दोनों को मिलाकर 5 वर्षों में लगभग 3000 करोड़ रूपये की आवष्यकता होगी, अतः प्रति वर्ष 600 करोड़ रूपये में से नाबार्ड 400 करोड़ रूपये ऋण के रूप में, भारत सरकार से 100 करोड़ रूपये तथा राज्य सरकार 100 करोड़ प्रति वर्ष सहयोग कर अगले 5 वर्षों में 5000 हेक्टयर क्षेत्र में सिंचाई की समुचित व्यवस्था करने में सरकार सक्षम होगी.

इस बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त, बिहार सुनिल कुमार सिंह, कृषि विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार, विशेष सचिव रवीन्द्रनाथ राय, कृषि निदेशक हिमांशु कुमार राय, निदेशक उद्यान अरविन्दर सिंह, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक, निदेशक भूमि संरक्षण गुलाब यादव सहित कृषि विभ%6ेषज्ञ उपस्थित थे.

 

(ब्यूरो रिपोर्ट)

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