धीरे-धीरे बदल रही है पृथ्वी,नष्ट हो रहा गोल स्वरूप




पृथ्वी की ग्रेविटी ने बदल लिया गोले का आकार
अब सेब जैसी नहीं दिखती पृथ्वी, नई स्टडी में खुलासा
धरती की सतह को लगातार बदल रही है ग्रैविटी

पृथ्वी का निर्माण गुरुत्वाकर्षण की वजह से हुआ. एक जगह गुरुत्वाकर्षण ने सारी चीजों को अपनी ओर खींचना शुरू किया. धीरे-धीरे यह गोला बनता चला गया. ऐसा गोला जिसके पास अपनी ग्रैविटी है. जिसकी बदौलत धरती के चारों तरफ एक मैग्नेटिक फील्ड है. इसकी वजह से जीवन है. लेकिन यह ग्रैविटी लगातार धरती की सतह को बदल रही है. इस बात का खुलासा एक नई स्टडी में हुआ है. कैसे ग्रैविटी पृथ्वी की गहराई से ही ऊपरी सतहों को हिला-डुला रही है. इसका केंद्र फिलहाल भारत के नीचे ही स्थित है.


धरती की ग्रेविटी लगातार इस ग्रह में बदलाव कर रही है. इसकी वजह से पृथ्वी के ऊपरी सतह यानी क्रस्ट में बहुत अंतर आ रहे हैं. पहाड़ों के बेल्ट खत्म हो रहे हैं. वो पत्थर बाहर निकल कर ऊपर आ रहे हैं, जो सतह से करीब 24 किलोमीटर नीचे धंसे हुए थे. ऐसे ढांचे बन रहे हैं, जिन्हें मेटामॉर्फिक कोर कॉम्प्लेक्सेस कहते हैं. मेटामॉर्फिक कोर कॉम्प्लेक्सेस के बनने की प्रक्रिया को कई बार समझाने का प्रयास किया गया लेकिन इसकी अलग-अलग परिभाषाएं आती रहीं. इसके बनने का रहस्य और गहराता चला गया.


वैज्ञानिकों ने इस बार दो मेटामॉर्फिक कोर कॉम्प्लेक्सेस को चुना. अमेरिका के फीनिक्स और लास वेगास. क्योंकि ये दोनों ही प्राचीन पहाड़ों के बेल्ट के खत्म होने के बाद बने हैं. साइंटिस्ट ने पता किया कि आखिरकार मेटामॉर्फिक कोर कॉम्प्लेक्सेस के पीछे की वजहें क्या हैं. क्योंकि ऐसे घने कॉम्प्लेक्सेस बन तो जाते हैं लेकिन वो अपने सतही जड़ों से छूट जाते हैं. जिससे ऐसी जगहों पर आपदाएं ज्यादा आ सकती है. खतरनाक स्थिति बनती है.


धरती के ऊपरी सतह से जड़ों का टूटना मतलब भारी आपदाओं का आना. क्योंकि हल्का क्रस्ट पहाड़ों के बेल्ट के नीचे घना होता है. ये भारी मैंटल को हटाकर उनकी जगह खुद ले लेते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में गर्मी निकलती है. फ्लूड मूवमेंट होता है. पत्थर पिघलते हैं. जिसकी वजह से पहाड़ों की जड़ें भी खत्म हो जाती हैं. ये टूटने लगते हैं. बिखरने लगते हैं. पूरी की पूरी बेल्ट ही खत्म हो जाती है. तब फीनिक्स और लास वेगास शहरों के नीचे मेटामॉर्फिक कोर कॉम्प्लेक्स बनते हैं.


ऐसे शहर जो मेटॉमॉर्फिक कोर कॉम्प्लेक्सेस के ऊपर बसे हैं, उनपर भूकंप जैसी आपदाओं का खतरा ज्यादा रहता है. क्योंकि धरती के अंदर गहराई से आने वाली ग्रैविटी की ताकत और बाहर होने वाला जलवायु परिवर्तिन किसी भी लैंडस्केप को बिगाड़ सकता है. यह स्तनधारी जीवों के रहन-सहन को परिवर्तित कर सकता है. धरती में दबे हुए जीवाश्मों को खराब कर सकता है. मतलब आप यूं समझ लो कि धरती की ऊपरी सतह को हिलाडुलाकर रख सकता है.


नेचर कम्यूनिकेशंस में प्रकाशित यह स्टडी बताती है कि ग्रैविटी के हेरफेर की वजह से धरती पर कई तरह के बदलाव हो रहे हैं. ये लगातार हो रहे हैं. हां इनकी गति धीमी है इसलिए एकदम से नहीं दिखता कुछ. लेकिन जब कोई बड़ी प्राकृतिक घटना होती है, तब ये चीजें भी पता चलने लगती हैं. जैसे किसी पहाड़ का खत्म होना. बड़े भूकंप आना. टेक्टोनिक प्लेटों का आपस में भिड़ना.

स्रोत : एजेंसी  

By pnc

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