धनतेरस पर कैसे बनें धनवान

By pnc Oct 27, 2016

दीपावली का उत्सव पांच दिनों तक मनाया जाता है.इसकी शुरुआत धनतेरस या धन त्रयोदशी के दिन से मानी जाती है और भैया दूज तक चलती है. त्रयोदशी को धनतेरस होता है. इस दिन धन्वन्तरी जयंती मनाने के साथ-साथ घर की साफ़ सफाई की जाती है.इस दिन किसी भी धातु से बना कोई पात्र जरुर खरीदना चाहिए ऐसी पौराणिक मान्यता है. कुछ लोग इस दिन सोने चांदी के सिक्के खरीदते है. ऐसा करना बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन खरीदे गए सिक्के से दीपावली के दिन महत्वपूर्ण पूजा होती है.

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क्या  कहती है आपकी राशि और आपका भाग्य इस दीपावली पर

मेष- धनतेरस के दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर तेल के दीपक में दो काली कील डाल दें, तो साल भर आपको आर्थिक लाभ प्राप्त होने के योग बनेंगे.

वृषभ- आमदनी कम और खर्च ज्यादा हो रहा है तो धनतेरस के दिन पीपल के पांच पत्ते पीले चंदन में रंगकर बहते हुए जल में छोड़ दें.

मिथुन- बरगद के पांच फल लाल चंदन में रंगकर नए लाल वस्त्र में कुछ सिक्कों के साथ बांधकर अपने घर अथवा दुकान में लटका दें लाभ होगा.

कर्क- अचानक धन लाभ के लिए धनतेरस के दिन शाम को पीपल के वृक्ष में तेल का पंचमुखी दीपक जलाएं.

सिंह- व्यवसाय में बरकत के लिए धनतेरस के दिन से गाय को हरा चारा डालें.

कन्या- जीवन में आर्थिक स्थिरता के लिए धनतेरस के दिन कमलगट्टे को माता लक्ष्मी के मंदिर में अर्पित करें.

तुला- आर्थिक परेशानी से बचने के लिए धनतेरस के दिन शाम को लक्ष्मीजी के मंदिर में नारियल चढ़ाएं.

वृश्चिक– कर्ज से मुक्ति के लिए धनतेरस के दिन भगवान शंकर को ताजे फूलों की माला चढ़ायें तो  लाभ होगा।

धनु- आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए धनतेरस के दिन गूलर के ग्यारह पत्तों को मौली से बांधकर वट वृक्ष पर बांध दें अवश्य लाभ होगा.

मकर- आमदनी में रुकावट हो रही है तो धनतेरस के दिन रुई का एक दीपक शाम के समय किसी तिहारे पर रखने से आपको धन लाभ होगा.

कुंभ- जीवन में सुख-समृद्धि के लिए धनतेरस की रात पूजा स्थल पर रात्रि में जागरण करना चाहिए।

मीन- यदि व्यवसाय में शिथिलता हो तो केले के दो पौधे रोपकर उनकी देखभाल करें तथा उनके फलों को गाय को खिलाएं।

सभी बच्चे ध्यान दें

दीपावली के दिन रात में अपनी फेवरेट किताब को खोलकर पूजा के दिए की रौशनी में थोडा सा पढ़िए फिर किताब को बंद करके, वहीं पूजा के पास रख दीजिये. अगले दिन किताब छूनी भी नहीं है. भैया दूज की पूजा के समय ही किताब की पूजा भी करिए, उसके बाद फिर पढ़ाई शुरु करिए.

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