इंटर के बाद अब मैट्रिक की बारी, जिम्मेवार कौन?

By Amit Verma Jun 1, 2017

बिहार में शिक्षा, शिक्षक और छात्रों को सरकार ने कहीं का नहीं छोड़ा. शिक्षा पर किसी का ध्यान नहीं है. सारा ध्यान छात्रवृत्ति, साइकिल योजना और अन्य वोट बैंक योजनाओं पर है. सरकारी शिक्षा मतलब बदहाल स्कूल, कहीं शिक्षक नहीं तो कहीं छात्र नहीं और जहां दोनों हैं वहां स्कूल बिल्डिंग नहीं.

शिक्षक पर ध्यान कितना है उसका अर्थ इससे समझें कि TET में ज्यादातर फर्जी शिक्षकों की भर्ती, ठेके पर बहाली, कई-कई महीनों तक वेतन नहीं, आए दिन कभी आधार कार्ड, कभी जनगणना, कभी ह्यूमन चेन, कभी मिड डे मील, कभी चुनाव तो कभी किसी काम पर शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति होती है.




छात्रों का मतलब मिड डे मील के बहाने स्कूलों में खाना खिलाने, जिनकी मैट्रिक और इंटर की कॉपी प्राइमरी और मिडिल स्कूल के शिक्षकों से इवैल्यूएट कराने और शराबबंदी और गांधी गीरी के नाम पर ह्यूमन चेन बनाने में काम आने वाले.

इसमें कोई 2 राय नहीं कि बिहार में आज सरकारी शिक्षा, सरकारी शिक्षक और सरकारी छात्र का मतलब यही है. 2 साल पहले कदाचार के मामले में बिहार देश-विदेश में सुर्खियों में था. एक साल पहले टॉपर घोटाले को लेकर पूरे देश में बिहार ने सुर्खियां बटोरी और इस साल एक साथ 8 लाख छात्रों के फेल होने यानि ऐतिहासिक रिजल्ट के कारण बिहार सुर्खियों में है.

2 साल पहले भी CM नीतीश थे, एक साल पहले भी नीतीश और आज भी नीतीश कुमार ही हैं बिहार के सीएम. ये वही शख्स है जिसने साइकिल योजना, शराबबंदी औऱ अब गांघीगीरी के नाम पर खूब राजनीति की. ये वही नीतीश कुमार हैं जो पिछले 12 सालों से बिहार के सीएम हैं. लेकिन आज तक बिहार में सही तरीके से ना तो स्कूली और कॉलेज शिक्षा को पटरी पर ला पाए और ना ही एक भी नियुक्ति सही तरीके से करवा पाए. बिहार कर्मचारी चयन आयोग के भर्ती घोटाले की जांच अभी चल ही रही है.

खैर, प्वायंट पर आते हैं. पिछली बार की गलतियों से सबक लेकर बिहार बोर्ड ने इस बार खासी मेहनत की औऱ ऑनलाइन प्रोसेस औऱ स्ट्रिक्ट प्रशासनिक व्यवस्था के बूते कदाचार रहित परीक्षा का आयोजन किया. परीक्षा के बाद करीब डेढ़ महीने नियोजित शिक्षक और वित्तरहित शिक्षक समान काम समान वेतन और अन्य मांगों को लेकर सत्याग्रह पर रहे. इसी दौरान मैट्रिक और इंटर परीक्षा की कॉपियों का मूल्यांकन होना था.

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नियोजित शिक्षकों के सत्याग्रह से मूल्यांकन का काम पूरी तरह बाधित हो गया. लेकिन मजे की बात कि शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री आँखें मूंदे रहे. ना जाने किस मुगालते में थी बिहार सरकार कि छात्रों की कॉपियों के मूल्यांकन जैसे अतिसंवेदनसील औऱ महत्वपूर्ण मौके पर भी शिक्षकों की मांगों को अनसुना करते हुए उनसे बात करने की जहमत भी नहीं उठाई.

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इसके बाद तब तो हद ही हो गई जब माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों की मांगों को अनदेखा करते हुए प्राइमरी और मिडिल स्कूल के शिक्षकों को मैट्रिक और इंटर की कॉपियों की जांच करने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया गया. अब इससे बड़ा मजाक इन छात्रों के साथ और क्या हो सकता था. ऐसे में 8 लाख छात्रों के फेल होने के लिए कोई और नहीं, बल्कि सिर्फ और सिर्फ शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी, खुद मुख्यमंत्री और इनके वे अधिकारी जिम्मेवार हैं जिन्होंने ऐसी स्थिति खड़ी की. ऐसा लगता है इन सबने परीक्षा में कदाचार, टॉपर घोटाला और पेपरलीक जैसे बदनुमा दागों से कोई सबक नहीं लिया और एक साथ 8 लाख छात्रों के भविष्य को मटियामेट करने में कोई कसर बाकी नहीं छो़ड़ी.

अब इन छात्रों के रिजल्ट में देरी, इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई में परेशानी और ना जाने कितनों के अरमानों पर पानी फेरने का जवाब कौन देगा. अभी बिहार में इंटर के नतीजे आए हैं जिनमें करीब 12.5 लाख छात्र शामिल हुए थे. लेकिन अभी तो मैट्रिक का रिजल्ट बाकी है जिसमें इससे कई गुना ज्यादा परीक्षार्थी शामिल हुए थे. उनका क्या होगा.

अब सवाल जो पूछना बनता है-

बिहार के परीक्षार्थियों ने ही हर साल की तरह इस साल भी CBSE और ICSE की परीक्षा में 98.6% तक अंक हासिल किए हैं. बिहार के छात्रों ने इस साल भी UPSC जैसी परीक्षा में 34 ,58 और 132वां रैंक हासिल किया है. यही नहीं, मेडिकल, इंजीनियरिंग, रेलवे, पीसीएस, बैंक और एसएससी में भी बिहार के छात्रों का ही जलवा रहता है. ऐसे में बिहार के परीक्षार्थियों की प्रतिभा पर कोई सवाल नहीं उठा सकता. तो फिर सरकारी शिक्षा की बेहतरी की बजाय क्यों यहां साइकिल बांटो, शराबबंदी और गांधीगीरी जैसी वोट बैंक नीतियों की भरमार है. भले ही सरकारी स्कूलों में शिक्षक ना हों, उन्हें वेतन ना मिले औऱ भले ही वे गांधी की तरह सत्याग्रह करते रहें. लेकिन सरकार को प्रकाश पर्व, चंपारण सत्याग्रह और राष्ट्रीय विमर्श जैसे कार्यक्रमों के जरिए राजनीति चमकाने से फुरसत ही नहीं है. जवाब दें मुख्यमंत्री कि अब क्या करेंगे बिहार के ये 8 लाख बच्चे?

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