भोजपुर में भोजपुरी को सम्मान नहीं, रेलवे ने किया ऐसा कारनामा

By om prakash pandey Jan 31, 2020


आरा. पिछले कुछ समय से स्थानीय सांसद-सह-मंत्री आर के सिंह के प्रयास से भोजपुर के मुख्यालय आरा जंक्शन पर विकास के कार्य चल रहे हैं. पर हाल ही में रेलवे ने इस विकास के नाम पर जो खेल खेला है उसके विरोध में भोजपुर जिले की जनता ही नहीं बल्कि देश-विदेश में बसे समूचे भोजपुरी जनता ने प्रतिरोध की आवाज़ बुलंद कर दी है.


भोजपुरी लोकसंस्कृति और कला की जगह मिथिला पेंटिंग लगाये जाने का विरोध
पिछले कुछ समय से इस बात की चर्चा थी कि साज-सज्जा के क्रम में स्टेशन भवन पर भोजपुरी कला-संस्कृति और स्थानीय परम्पराओं को दिखाया जाएगा. सांसद के पिछले कार्यक्रम में स्टेशन भवन के मॉडल लुक का बैनर भी लगा और बताया गया कि स्टेशन पर वीर कुँवर सिंह, नगर की अधिष्ठात्री माँ आरण्य देवी और अन्य ऐतिहासिक,धार्मिक स्थलों और उनसे जुड़ी कहानियों का डिस्प्ले लगेगा. हाल ही में नए डी आर एम ने कमान संभाली और 29 जनवरी को आरा स्टेशन पर विजिट के बाद यह घोषणा हुई कि अब स्टेशन पर भोजपुरी कला के बजाय मिथिला पेंटिंग लगाई जाएगी और सिर्फ एक महीने में काम को पूरा कर दिया जाएगा.




इस खबर के मीडिया में आते ही भोजपुर की जनता आक्रोशित हो गई है. आज पूर्व मध्य रेल के महाप्रबंधक आरा स्टेशन के इंस्पेक्शन पर भी आये.


ट्वीट कर जताया विरोध
आज महाप्रबंधक के आगमन को देखते हुए ट्विटर पर देश-विदेश के कई भोजपुरी प्रेमियों ने पूर्व मध्य रेल, रेल मंत्रालय तथा सांसद के ट्विटर हैंडल को टैग करते हुए सैकड़ों की संख्या में ट्वीट किया है. सोशल मीडिया पर भोजपुरी प्रेमियों का आक्रोश हर जगह देखा जा रहा है. अगर जनभावनाओं को दरकिनार किया गया तो किसी बड़े जनांदोलन की पृष्ठभूमि देखते ही देखते तैयार हो सकती है.


पटना नाउ के टीम ने की पड़ताल
पटना नाउ की टीम ने इस मुद्दे पर गहरी पड़ताल की और लोगों तथा जनप्रतिनिधियों के मिज़ाज़ का जायजा लिया.
स्टेशन पर आरा जंक्शन का जो नया बोर्ड लगा है उसमें आरण्य देवी की मन्दिर और प्रतिमा नहीं बल्कि बखोरापुर मन्दिर का चित्र लगा है. और जो चित्र लगे भी हैं वे महज 12 इंच के साइज के हैं जिनको दूर से देखना नामुमकिन है. नगर के सामाजिक कार्यकर्ता सुनील पांडेय कहते हैं कि नगर का नाम माँ आरण्य देवी के नाम पर है, तो किसी दूसरे मन्दिर को प्रमुखता क्यूँ मिली, ये तो आस्था के साथ खिलवाड़ है. युवा अधिवक्ता गौतम ने बताया कि दरअसल इसके पीछे लॉबी काम कर रही है और रेल अधिकारी उनके इशारों पर नाच रहे हैं.


भोजपुरी संस्था आखर से जुड़े भोजपुरी चित्रकार संजीव सिन्हा ने कहा कि रेलवे को स्थानीय कलाकारों का सहयोग लेकर कोहबर, पीड़िया और अन्य भित्ति चित्रों को जगह देनी चाहिए ना कि मिथिला पेंटिंग को. इससे रेलवे को भी बचत होती और स्थानीय कला और उससे जुड़े कलाकारों को सम्मान मिलता. यात्री सुविधा समिति, रेलवे बोर्ड के सदस्य कौशल विद्यार्थी ने कहा कि वे इस मामले को जल्दी ही रेलवे बोर्ड के सदस्यों के सामने उठाएंगे.
स्टेशन पर तैनात रेलवे अधिकारी, महाप्रबंधक की यात्रा की तैयारियों में व्यस्त दिखे और दो टूक जवाब दिया कि मिथिला पेंटिंग लगाए जाने पर विचार हो रहा है.


जैन सर्किट की भी हुई उपेक्षा
हाल ही में आरा को पर्यटन विभाग के जैन सर्किट में शामिल किया गया है. जैन समाज की माँग है कि आसपास के महत्वपूर्ण जैन स्थलों की जानकारी भी रेलवे स्टेशन पर लगाई जाए.
जैन समिति, भोजपुर के मीडिया प्रभारी और बीजेपी आई टी सेल के नगर संयोजक नीलेश जैन ने कहा कि अपनी माँगों को लेकर जैन समाज 2 फरवरी को सांसद को ज्ञापन देगा. जैन समिति के संयुक्त सचिव विभु जैन ने बताया कि जैन स्थलों की जानकारी स्टेशन पर नहीं लगी तो पर्यटक स्थल के रूप में शहर का विकास नामुमकिन है. ज्ञात हो कि शहर में 108 जैन मंदिर और चैत्यालय हैं तथा इसकी चर्चा कई पुराने जैन और बौद्ध ग्रन्थों में की गई है.

वही जैन समाज के संयुक सचिव विभू जैन ने कहा कि भोजपुर की पहचान कुंवर सिंह, अरण्य देवी और जैन सर्किट के रूप में है. भोजपुरी भाषा और यहां की लोकशैली यथा भोजपुरी भीति कला यहां की पहचान है. जब इसे ही अनदेखा किया जाएगा तो भोजपुर की पहचान क्या रहेगी. इस संदर्भ में हमलोग माननीय सांसद सह उर्जा राज्य मंत्री आर के सिंह एवं रेल मंत्री पीयूष से मिलकर उक्त बातों के लिए आग्रह करेंगे.


जनांदोलन के लिए हो रहा तैयार भोजपुरिया समाज
विभिन्न छात्र संगठनों, राजनीतिक दलों, बुद्धिजीवी और समाजसेवी एकजुट हो रहे हैं, सबकी नजरें फिलहाल 31 जनवरी के जी एम के दौरे और 2 फरवरी को सांसद से मुलाकात पर लगी है. फिर भी जनभावनाओं का इसी तरह अपमान हुआ तो क्षेत्र में किसी बड़े जनांदोलन से इनकार नहीं किया जा सकता.
नगर के व्यवसायी अरविंद और अमित अप्पू ने कहा कि हम सब धरना प्रदर्शन और विरोध के लिए तैयार हैं क्योंकि दूसरी भाषा-संस्कृति को नहीं थोपा जा सकता.
भोजपुरी शोधार्थी छात्र संजय कहते हैं कि पूरा भोजपुर समृद्ध क्षेत्र है. सिद्धनाथ मन्दिर, गंगा-सोन संगम, सूफी खानकाह, मसाढ़ के प्रसिद्ध जैन और बौद्ध मंदिर होने के बावजूद बखोरापुर का चित्र लगाया जाना रेलवे अधिकारियों और प्रशासन की बुद्धिहीनता का सबूत है.

आरा से ओ पी पांडेय और रवि प्रकाश सूरज की रिपोर्ट

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