भोजपुर की रूचि ने साउथ एशिया ग्रैपलिंग चैंपियनशिप में जीता गोल्ड

By pnc Jan 12, 2017

तालकटोरा स्टेडियम नई दिल्ली में आयोजित हुई थी चैंपियनशिप

भोजपुर के रिजवानुल ने भी जीता ब्रॉन्ज मैडल




साउथ एशियन ग्रैपलिंग चैंपियनशिप में भोजपुर की बेटी रूचि ने गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रौशन किया है. इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी व यूनाइटेड वर्ल्ड रेशलिंग के संयुक्त तत्वावधान में नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 18-19 दिसंबर को ग्रैपलिंग चैंपियनशिप का आयोजन हुआ था. मैच में अफगानिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और भारत पांच देशों के प्रतिभागियों के बीच मुकाबला हुआ. जिसके फाइनल राउंड में रूचि ने ग्रैपलिंग के ‘नोगी’ फॉर्मेट में नेपाल की प्रतिभागी को मात देकर गोल्ड पर कब्जा जमाया. 34 किलोग्राम भार वर्ग में रूचि साउथ एशिया चैंपियन बनी. भोजपुर के मो रिजवानुल हक ने भी चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था. 65 किलोग्राम भार वर्ग में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल का खिताब जीता है.

पहले भी जीते हैं कई मैडल व अवार्ड

रूचि ने ग्रैपलिंग में पहले भी कई अवार्ड व मेडल जीते हैं. पिछले वर्ष सुपौल में आयोजित आल बिहार 5 वीं ग्रैपलिंग चैंपियनशिप में उसने गोल्ड मेडल जीता था. इसके बाद वर्ष 2016 के मई महीने में आयोजित 9 वीं नेशनल चैंपियनशिप में भी सिल्वर मेडल जीता था. इसके अलावा जिला व राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में भी रूचि ने बेहतर प्रदर्शन कर अवार्ड जीते हैं.

शाहपुर के बिलौटी की रहने वाली है रूचि

प्रतिभाओं का जन्म छोटे जन्म से भी होता है इसकी जीती-जगती उदाहरण है रुचिका.शाहपुर प्रखंड के बिलौटी गांव की रहने वाली 14 वर्षीय रूचि गांव के ही सरकारी विद्यालय में 9 वीं कक्षा की छात्रा है. उसके पिताजी साधारण किसान व मां गृहिणी हैं. रूचि की एक बहन मुन्नी है जो उससे चार साल बड़ी है. रूचि उसी के साथ गेम की प्रैक्टिस करती है. रूचि के पिता शशिभूषण ने बताया आर्थिक परिस्थिति ठीक नहीं है. जिससे वे उसके लिए खेल सामग्री नहीं खरीद पाते हैं. प्रैक्टिस के लिए फ्लोर पैड और अन्य उपकरण नहीं रहने के कारण कई बार चोटें आ जाती हैं. लेकिन, वह हार नहीं मानती. उसके सपनों को पूरा करने में गरीबी आड़े आ रही है. इसी कारण उसकी बड़ी बहन ने प्रैक्टिस छोड़ दी है. अपने करियर की बुलंदियों के लिए रूचि ने सरकार व जिला प्रशासन से ग्रैपलिंग खेल को बढ़ावा देने का गुहार भी लगाई.

ग्रैपलिंग का सफर की शुरूआत कुछ यूँ हुई थी

रूचि के प्रशिक्षक मो रिजवानुल ने बताया कि वे कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय, बिलौटी की छात्राओं को प्रशिक्षण देने जाते थे. वर्ष 2014 में रूचि वहीं कराटे सीखने जाती थी. उसमे खेल के प्रति गजब की लालसा थी. समय से पूर्व पहुंचकर वह प्रैक्टिस करने लगती थी. खेल के प्रति उसके जूनून से वे प्रेरित हुए. इसके बाद उसे ग्रैपलिंग के टिप्स देना शुरू किया. उसने बहुत मेहनत किया. घर में जाकर प्रैक्टिस करती थी. जब भी उसे प्रतियोगिताओं में जाने का मौका मिला तो उसने खुद को साबित किया.

रिपोर्ट -आरा से ओपी पाण्डेय

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