सरस मेला: हर उम्र और तबके के लिए उपलब्ध है जरुरत का सामान

पटना- बिहार सरस मेला अब समापन की ओर रुख कर चूका है. लिहाजा शिल्प, लोक कला, संस्कृति, परंपरा और स्वाद के कद्रदान सरस मेला के विभिन्न स्टॉल्स से जमकर खरीददारी कर रहे हैं. हर उम्र और हर तबके के पसंद के हस्तशिल्प, उत्पाद एवं व्यंजन बिहार सरस मेला में प्रदर्शनी सह बिक्री के लिए प्रस्तुत है. लोग खरीददारी का कोई मौका चूकना नहीं चाहते हैं . उनके पसंद की हर वस्तु एक ही प्रांगण में मौजूद है.

बिहार ग्रामीण जीविकोप्रजन प्रोत्साहन समिति , जीविका (ग्रामीण विकास विभाग, बिहार सरकार ) के तत्वाधान में बिहार सरस मेला ज्ञान भवन, पटना में 21 सितंबर 2025 से 10 दिनों के लिए आयोजित है. देश के विभिन्न राज्यों से आये ग्रामीण उद्यमी अपने क्षेत्र की कला- संस्कृति तथा हस्तशिल्प का प्रदर्शन सह बिक्री कर रही हैं. बिहार के मिथिलांचल की ओर से मधुबनी चित्रकला, सिक्की कला और मखाना, भागलपुर से सिल्क से बने मनोरम परिधान, कैमूर से दरी और कालीन, मुजफ्फरपुर से लहठी और चूड़ी, पूर्वी चंपारण से आये सीप से बनी कलाकृतियों के साथ-साथ कटिहार के आये बांस से बने गृह सज्जा के उत्पाद, पटना जिले से कांस्य एवं पीतल धातु से बने बर्तन, भोज बक्सर के आचार और दरी, पापड़ , नालंदा और मधेपुरा से आये चमड़े के उत्पाद, सिल्क के धागों से बनी सुन्दर साड़ियाँ, गया जिले के पत्थारकट्टी कला एवं लकड़ियों से बने से बने गृह सज्जा के उत्पादों के सस्थ-साथ भागलपुर, बांका के कतरनी चावल और चुडा ने पूरे सरस मेला को अपनी सुन्दरता और खुशबु से सराबोर कर रही है.




बावन बुट्टी, सिक्की कला, सुजनी कला, बंजारा, तंजोर, मिथिला पेंटिंग, मधुबनी पेंटिंग के अंतर्गत उत्पादित परिधान एवं सजावट के सामान आगंतुकों को सजह ही लुभा रहे हैं l
अन्य राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश से आये शिल्पकारों द्वारा निर्मित मनमोहक दरी और कालीन के साथ-साथ चादर और सोफे पे बिछाए जानेवाले सुन्दर कलाकृतियों और चमरे के उत्पादों के साथ मध्य प्रदेश से आये बूटी प्रिंट की साड़ियाँ, आन्ध्र प्रदेश से आये लकड़ी के गृह सज्जा के उत्पाद, ओड़िसा से आये सवाई घांस से बने साज-सज्जा के उत्पाद एवं सांस्कृतिक परिधान, हरियाणा से एप्लिक कला से सुसज्जित चादर और साड़ियाँ, गुजरात की कच्छ कला से बने परिधान और हस्तशिल्प, झारखंड की आर्टिफिशियल ज्वेलरी , शिल्पकारों द्वारा निर्मित हर्बल औषधि, असाम से आये बांस से बने उत्पाद, पंजाब से आये फुलकारी कला से बने परिधान, किशनगंज का जीविका दीदियों द्वारा उत्पादित चाय के विभिन्न फ्लेवर, बेगुसराय का हर्बल मोमबत्ती, तेलंगाना का हस्तनिर्मित परिधान, रुमाल, तौलिया , पश्चिम बंगाल से आये खजूर के पत्तों से बने मनमोहक कृत्रिम फूलों एवं पत्थर तथा बांस के बने उत्पाद, छत्तीसगढ़ और पंजाब से आये अत्यंत मनमोहक सलवार-सूट, साड़ियाँ , उत्तरखंड के चादर, कवर और दोहर समेत अन्य कई राज्यों का शिल्प सरस मेला परिसर में देश की संस्कृति एवं हस्तशिल्प को पूर्ण रूप से जीवंत प्रदर्शित है .

शुक्रवार को विजया राहटकर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग ने सरस मेला में सुसज्जित स्टॉल का परिभ्रमण किया और ग्रामीण महिलाओं द्वारा उत्पादित हस्तशिल्प की सराहना की. जीविका दीदियों ने उन्हें हस्तशिल्प उत्पाद देकर सम्मानित भी किया.

बिहार सरस मेला में 8 दिन में खरीद-बिक्री का आंकड़ा 2 करोड़ 27 लाख रूपया पार गया है. गुरुवार को लगभग 41 लाख 43 हजार रूपये के उत्पादों की खरीद -बिक्री हुई. 8 दिनों में 2 लाख 6 हजार से अधिक लोग मेला में आए.

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