17 सालों से बंद पड़े आयुर्वेदिक महाविद्यालय के कर्मचारियों की सेवाएं होंगी बहाल !

बक्सर,27 फरवरी. भगवान श्रीराम ने 14 वर्ष का वनवास काटा था. लेकिन वे 14 वर्षो के बाद घर वापस लौट गए थे. यह सन्दर्भ इसलिए याद आ रहा है क्योंकि बक्सर जिले के अहरौली में एक राज्यीकृत आयुर्वेदिक महाविद्यालय है जिसका नाम है श्री धन्वंतरि आयुर्वेदिक महाविद्यालय. यह महाविद्यालय जिले का एकमात्र महाविद्यालय है जहाँ आयुर्वेद की पढ़ाई होती थी. स्वास्थ्य विभाग की ओर से 29 अगस्त 2003 को एक सूचना (सूचना-पत्र संख्या 839) भेज कर बिना कोई कारण बताए ही महाविद्यालय के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी गयी. तब से लेकर अबतक जिले की शान बढ़ाने वाला यह महाविद्यालय अब इतिहास बन कर अपनी बदहाली पर आँसू बहा रहा है.




प्रभु श्रीराम की तरह यह महाविद्यालय भी पिछले 17 सालों से वनवास ही काट रहा है. लेकिन 17 सालों के बाद भी यह पुराने स्तीत्व में लौटेगा यह कहना एक यक्ष सवाल है. 17 सालों से बंद पड़े महाविद्यालय का ढाँचा भी अब जर्जर हो चुका है. बक्सर की धरोहर को बचाने के लिए विधानसभा में मुखर होकर स्थानीय विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने आवाज उठाया साथ ही इसके जर्जर होती जा रही बिल्डिंग के मरम्मती के लिए भी आवाज उठाया.

गुरुवार को जब हाउस में बक्सर के जनप्रिय विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी का नाम सभापति ने पुकारा तो माननीय विधायक ने बक्सर के अहरौली स्थित राजकीय धन्वंतरि आयुर्वेदिक महाविद्यालय बक्सर के अधिकारियों व कर्मचारियों का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने सूचना संख्या-839 (28 अगस्त 2003) के माध्यम से बिना कोई कारण बताए उक्त महाविद्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों को सेवामुक्त कर दिया. उन्होंने सदन से आग्रह किया कि विभाग अपने स्तर से जांच कर सभी कर्मियों की सेवा जल्द से जल्द बहाल करे.

साथ ही उन्होंने उक्त महाविद्यालय के जर्जर भवनों मरम्मतीकरण की मांग भी सदन में उठाया. उन्होंने कहा कि सहकारी आवंटन के कारण महाविद्यालय की मरम्मती का कार्य अटका पड़ा है. विधायक ने अधर में लटके इन कार्यो को यथाशीघ्र पूरा करने की मांग की.

विधायक की इस मांग के बाद क्षेत्र में चर्चा है और लोग अब आयुर्वेदिक महाविद्यालय के बारे में बातें कर रहे हैं. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि स्थानीय विधायक द्वारा इस मुद्दे को सदन में उठाने के बाद क्या 17 सालों से बंद पड़े महाविद्यालय के कैम्पस में फिर से रौनक आएगी? क्या इतिहास का गवाह बन सिर्फ अपनी बदहाली का दास्ताँ बयाँ करने वाले इस महाविद्यालय के कर्मचारियों और अधिकारियों के दिन बहुरेंगे?

बक्सर से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

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