नोट्रेडम पटना के पूर्ववर्ती छात्र एसोसिएशन का कानूनी जागरूकता कार्यशाला

नोट्रेडम पटना के पूर्ववर्ती छात्रों के एसोसिएशन ने छात्रों के लिए कानूनी जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया
युवाओं विशेषकर लड़कियों को साइबर अपराधों से निपटने के कानून की जानकारी जरूरी
इंटरनेट के इस्तेमाल में काफी सजग रहने की जरूरत
जागरूकता से ही लड़कियों को साइबर अपराध से बचाया जा सकता है
पटना (ब्यूरो रिपोर्ट) | नॉट्रेडेम अकादमी पटना के पूर्व छात्रों के एसोसिएशन ने शनिवार को नोट्रेडम स्कूल के जूली हॉल में कक्षा 9 के छात्रों के लिए एक कानूनी जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया. कानूनी विशेषज्ञों ने कानून के विभिन्न प्रावधानों और साइबर धमकी, हैकिंग, ट्रोलिंग समेत हर तरह के साइबर अपराधों से निपटने के तरीकों के बारे में विस्तार से चर्चा किये. इसमें भाग लेते हुए पटना उच्च न्यायालय के वकील संतोष झा ने 250 छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि “हर अधिकार जिम्मेदारी के साथ निभाया जाता है. जागरूकता से ही लड़कियों को साइबर अपराध से बचाया जा सकता है. साइबर गतिविधियों में शामिल होने के दौरान हमें काफी सतर्कता बरतने की जरूरत है. खासकर युवाओं को इंटरनेट के इस्तेमाल में सतर्क रहना होगा. उन्होंने बताया कि भारत में लगभग 30 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, जिसमें पच्चीस प्रतिशत उपयोगकर्ता महिलाएं हैं और इनमें से लगभग 20 प्रतिशत 20 साल से कम उम्र के लड़कियां हैं जो इंटरनेट का उपयोग करती हैं. आजकल बड़ी संख्या में युवा लड़कियां आसानी से धमकाने और मोर्फ़िंग आदि के रूप में साइबर अपराधों का शिकार हो जाती हैं.
“आईपीसी और आईटी अधिनियम दोनों में नागरिकों के हितों की रक्षा के प्रावधान हैं. साइबर अपराधों से निपटने में हमने कितनी जबरदस्त प्रगति की है, इस तथ्य से अनुमान लगाया जा सकता है कि 2015 में पहला व्यक्ति को आईटी अधिनियम के तहत दोषी और दंडित किया गया था और 2017 में 10,000 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था. बताया कि एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक यह बड़ी उपलब्धि है.
वकील कीर्ति रश्मि ने साइबर अपराधों से निपटने के विभिन्न संवैधानिक प्रावधानों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि “महिलाओं और विशेष रूप से युवा लड़कियों को अपने अधिकारों से अवगत होना चाहिए. रश्मि ने कहा की बदलते समय के साथ तालमेल रखने के लिए प्रगतिशील कानून तैयार किए जा रहे हैं.
क्यू एंड ए सत्र के दौरान, जब एक छात्र ने भारत में कानूनी सहारा लेने वाले लोगों के पीड़ित होने के बारे में पूछा, तो रश्मि ने बताया कि यह कानूनी व्यवस्था की तुलना में प्रक्रिया की अधिक गड़बड़ी थी. कानून कहता है कि ‘एक दोषी मुक्त हो सकता है लेकिन निर्दोष को कभी दंडित नहीं किया जाना चाहिए’, जो कभी-कभी न्याय में देरी करने से हो सकता है. हालांकि कानूनी पाठ्यक्रम को जागरूकता के साथ आगे बढ़ाने की जरूरत है.
एनडीए के प्रिंसिपल सिस्टर मैरी जेस्सी ने ऐसे गतिविधियों की सराहना की और कहा कि भविष्य में ऐसी अधिक कानूनी जागरूकता कार्यक्रम होने चाहिए क्योंकि वे साइबर अपराधों और निपटने के तरीकों के बारे में शिक्षित करके छात्रों को सशक्त बनाने में मदद करते हैं. कार्यक्रम में नोट्रेडम के पूर्ववर्ती छात्रों के एसोसिएशन की अध्यक्ष सुमन चौबे, सचिव सना फहीम ,कोषाध्यक्ष मिनी शर्मा , संयुक्त कोषाध्यक्ष मनीषा तिवारी ने कार्यशाला में शामिल होने वाले कानून विशेष विशेषज्ञों का आभार जताया.




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