मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि हमलोगों के सुझाव पर बिहार के रहने वाले प्रवासी जो बाहर फंसे हुए हैं चाहे छात्र हों या फिर मजदूर हों, उन्हें रेलगाड़ी के माध्यम से वापस लाया जा रहा है. इसके लिये उन्होंने केन्द्र सरकार को धन्यवाद दिया है. उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों से यह सिलसिला जारी है. इस व्यवस्था से लोगों को आने में सहूलियत हो रही है.


मुख्यमंत्री की घोषणा के पीछे विपक्ष का दबाव माना जा रहा है. जिस तरह से कांग्रेस और राजद ने एक के बाद एक प्रवासी बिहारियों से किराया वसूलने को लेकर सरकार पर हमला बोला और दोनों पार्टियों ने किराया चुकाने की घोषणा की, उसके बाद आनन-फानन में मुख्यमंत्री सामने आए और ये घोषणा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों ने जान-बूझकर कोई घोषणा इस संबंध में नहीं की है क्योंकि हमारी सरकार का विश्वास बोलने में नहीं बल्कि सिर्फ काम करने में है. उन्होंने कहा कि कोटा से जो ट्रेन आनी शुरु हुई है, उसमें जो छात्र-छात्रायें आ रहे हैं, उनको कोई रेल का भाड़ा नहीं देना होगा. इसके लिए राज्य सरकार रेलवे को पैसा दे रही है. उन्होंने कहा कि बिहार के जो भी लोग बाहर मजदूर के रुप में काम करते हैं या अन्य प्रकार से बाहर फंसे हुए हैं, उनके वापस आने के संबंध में केंद्र सरकार ने डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट-2005 के अंतर्गत गाइडलाइन जारी की है, उस गाइडलाइन में उन्होंने स्पष्ट तौर पर सारी बातें कह दी कि कौन लोग आएंगे, किस तरह से आएंगे. इसके बारे में हमारे अधिकारियों ने भी विस्तृत जानकारी दे दी है. किसी प्रकार का कोई कन्फ्यूजन नहीं रहना चाहिए.




मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग भी यहां आएंगे और जिस स्टेशन पर रेलगाड़ी आएगी, वहां से उनको जांच करने के पश्चात वे जहां के निवासी हैं उन्हें उनके प्रखंड मुख्यालय तक ले जाया जाएगा. जहां उनके लिए क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया है और वहां सारे इंतजाम किए गए हैं. वहां उनको 21 दिनों तक रहना है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों ने क्वारंटाइन सेंटर में सब तरह का इंतजाम किया है चाहे उनके रहने का हो, भोजन का, आवासन का, चिकित्सा का या उनकी देख रेख का हो. जहां-जहां भी क्वारंटाइन सेंटर बनाये गये हैं हमलोगों ने सारे इंतजाम किए हैं. उन्होंने कहा कि हमने निर्देश दिया है कि वहां लोगों के स्नान के लिए, शौचालय के लिए एवं सभी प्रकार के बेहतर इंतजाम किए जाएं. वहां भोजन, शुद्ध पेयजल के साथ-साथ अन्य प्रकार की सुविधा भी वहां उपलब्ध करायी गई है.


मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार आने वाले सभी प्रवासी मजदूर 21 दिनों तक क्वारंटाइन सेंटर में रहेंगे और जब वहां से 21 दिन के बाद निकलेंगे तो जहां वे जिस राज्य में फंसे हुए थे, उनको वहां से यहां तक आने में जितना भी पैसा लगा है, चाहे रेल का भाड़ा हो या अन्य प्रकार से कोई उनका पैसा लगा हो, उसके अलावा 500 रुपये राज्य सरकार और उन्हें देगी. जो भी बाहर से आए हैं हर व्यक्ति को न्यूनतम 1000 रुपये दिये जायेंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे बिहार के लोग जो बिहार के बाहर फंसे थे, उनको हमलोगों ने 1000 रुपये देने का निर्णय किया और जो भी उनके आवेदन आये उन पर विचार करते हुए लगभग 19 लाख लोगों के खाते में राशि अंतरित की जा चुकी है. अब जिन कुछ लोगों का आवेदन बचा हुआ है उसकी जांचोपरांत शीघ्र ही भेेेज दी जाएगी.

पटना से अजीत

Related Post