क्या है AEFI मामला और इसका निदान?

By om prakash pandey Jan 19, 2021

टीकाकरण के उपरांत एइएफआई मामलों के लिए है समुचित प्रबंधन की व्यवस्था

पटना – कोरोना टीकाकरण पूरे देश में 16 जनवरी से शुरू की गयी है। टीकाकरण के उपरांत संभावित अड्वर्स इवेंट्स फालोइंग इमुनाइजशन (एइएफआई) मामलों के लिए समुचित प्रबंधन की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टीकाकरण के उपरांत किसी भी प्रकार की चिकित्सीय परेशानी अगर टीका लगवाने वाले को होती है तो उसके ससमय प्रबंधन को एइएफआई यानी “एडवर्स इवेंट्स फोलोइंग इम्यूनाइजेशन” की संज्ञा दी जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की शोध के अनुसार एइएफआई की स्थिति कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है और यह जरुरी नहीं है की टीकाकरण ही इसकी वजह हो। टीकाकरण को लेकर आशंका, मन में घबराहट का होना एवं टीकाकरण के समय गलत तकनीक का इस्तेमाल आदि इसके वजह हो सकते हैं। ज्यादातर एइएफआई के लक्षण जैसे जी मितलाना, घबराहट, टीके वाली जगह सूजन एवं सर में दर्द आदि का प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है। गंभीर चिकित्सीय जटिलता टीकाकरण के उपरांत कम ही नजर आती है।
दो दिनों के टीकाकरण के उपरांत देश में एइएफआई के मात्र 447 मामले सामने आये हैं जिनका त्वरित चिकित्सीय प्रबंधन किया गया। सिर्फ तीन लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की जरुरत पड़ी और उनमे से दो लोगों को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है। एइएफआई के मामलों में सामान्यतः हलके लक्षण जैसे जी मचलाना एवं सर में दर्द आदि लक्षण देखने को मिले हैं।





एइएफआई के मामलों के लिए है समुचित प्रबंधन की है व्यवस्था
कोविड-19 टीकाकरण के उपरांत एइएफआई मामलों के प्रबंधन के लिए हर जिले में समुचित व्यवस्था की गयी है। यह व्यवस्था जिलों के मेडिकल कोलेज एवं अस्पताल में की गयी है। कोविड-19 को लेकर पूर्व में जिला एवं प्रखंड स्तर पर 24 घंटे क्रियाशील नियंत्रण कक्ष में मौजूद चिकित्सा पदाधिकारी एवं कर्मियों को तीन पारियों में प्रतिनियुक्ति की गयी है। साथ ही टीकाकरण स्थल पर कोविड सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन किया जा रहा है और टीकाकरण के उपरांत टीकाकृत लाभार्थी पर नजर रखी जा रही है। इसके लिए कोरोना टीकाकरण के बाद लाभार्थी को 30 मिनट तक सत्र स्थल पर ही रोक कर उनकी निगरानी की जा रही है।


कोविड-19 वैक्सीन सभी के लिए सुरक्षित
कोविड टीका सभी प्रमाणित वैक्सीन पूरी प्रक्रिया के गुजरने का बाद ही स्वीकृत की गयी है और पूर्णतया सुरक्षित है। चरणवार तरीके से इसे सभी को उपलब्ध कराने की सरकार की योजना है । टीकाकरण के पश्चात लाभार्थी को किसी प्रकार की परेशानी के प्रबंध के लिए सत्र स्थल पर एनाफलीसिस कीट एवं एईएफआई कीट की पर्याप्त संख्या में उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है। इसके लिए संबंधित टीकाकर्मी एवं चिकित्सकों को आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया गया है।

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