एडमिशन सरकारी स्कूल में, पढ़ाई कहीं और… अब नहीं चलेगा

केके पाठक ने सुझाया अचूक उपाय

RDD / DEO / DPO एडॉप्ट करेंगे 5-5 विद्यालय




चाइल्ड ट्रैकिंग के जरिए रद्द होगा फ्लाइंग स्टूडेंट का नामांकन

पटना।। डीबीटी से सरकारी राशि का लाभ लेने के लिए बिहार के सरकारी स्कूलों में बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे नामांकित हैं जो नाम तो लिखवाते हैं सरकारी स्कूल में लेकिन पढ़ाई कहीं और करते हैं. अब ऐसे बच्चों पर सरकार ने सख्त रूख दिखाया है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने सख्त आदेश जारी किया है और सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को एक अचूक उपाय बताया है जिसके जरिए ऐसे बच्चों को ट्रैक किया जाएगा और उनका नामांकन सरकारी स्कूलों से रद्द किया जाएगा. उन्होंने सभी डीईओ को आदेश जारी किया है कि जुलाई 2023 से अब तक 50 प्रतिशत से कम उपस्थिति वाले विद्यालयों की संख्या लगातार कम हो रही है किन्तु अभी भी लगभग 10 प्रतिशत विद्यालय ऐसे हैं, जहां छात्र उपस्थिति 50 प्रतिशत से कम है और यह चिन्ताजनक है.

उन्होंने कहा है कि एक-एक विद्यालय में RDD / DEO / DPO को intervene करना होगा और हरेक छात्र-छात्रा से एवं उनके अभिभावकों से बात करनी होगी. इस समस्या पर बहुत ही क्रमबद्ध एवं चरणबद्ध तरीके से काम करते हुए निम्नलिखित कदम उठाने होंगे :-

क- सभी जिले के DEO एवं सभी DPOs को 5-5 विद्यालय adopt करने के लिए कहा जाए. जिस DPO के कार्यक्षेत्र में ऐसा कोई विद्यालय नहीं है, जहां छात्र उपस्थिति 50 प्रतिशत से कम है, तो उसे कार्यक्षेत्र के बाहर का भी विद्यालय दिया जाए. इन adopt किए हुए विद्यालयों में ये पदाधिकारी लगातार प्रतिदिन जाएं. हरेक छात्र एवं उनके अभिभावकों से बात की जाए. जो छात्र तीन दिन लगातार अनुपस्थित है, उसे प्रधानाध्यापक नोटिस दें. 15 दिन लगातार अनुपस्थित रहने पर छात्र का नामांकन रद्द किया जाए.

ख- उन्होंने आगे लिखा है कि हरेक छात्र की tracking की जाए और यह देखा जाए कि वह कहीं एक ही साथ दो विद्यालयों में तो नहीं पढ़ रहे हैं. ऐसे छात्र नाम कटने के डर से लगातार 15 दिन अनुपस्थित नहीं रहते हैं और बीच-बीच में हमारे विद्यालयों में आते रहते हैं. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि यह शिकायत प्राप्त हो रही है कि DBT प्राप्त करने के उद्देश्य से छात्र/छात्राओं ने केवल सरकारी विद्यालयों में दाखिला ले लिया है, जबकि वह जिले के अथवा जिले के बाहर के निजी विद्यालयों में पढ़ाई करते हैं. कुछ छात्रों के तो राज्य के बाहर (कोटा इत्यादि) में भी रहने की सूचना है. अतः ऐसे हरेक मामले की Child Tracking की जाए और इस तरह के छात्रों का नामांकन रद्द किया जाए जो केवल DBT के उद्देश्य से सरकारी विद्यालयों से जुड़े हुए हैं. प्रत्येक वर्ष राज्य सरकार भांति-भांति की योजनाओं के तहत लगभग रू 3000 करोड़ की DBT सहायता देती है. यदि ऐसे 10 प्रतिशत छात्रों का भी नामांकन रद्द किया गया, जो केवल DBT के उद्देश्य से यहां नामांकित है और पढ़ते कहीं और है, तो राज्य को लगभग रु० 300 करोड़ की सीधी बचत होगी.

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By dnv md

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