कहां गए बिहार के 99,178 करोड़ रुपये

कैग ने चेताया-चूक हुई तो गारंटी बनेगी बोझ सीएजी की रिपोर्ट में हुआ खुलासा कई विभागों का उपयोगिता प्रमाण लंबित सबसे अधिक पंचायती राज विभाग का मामला लंबित अपव्यय या दुरुपयोग की बड़ी आशंका भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक ने 99,178 करोड़ 89 लाख की राशि खर्च का हिसाब नहीं मिलने पर सवाल उठाया है. राज्य सरकार को पेंशन राशि, बजट प्रबंधन की कमियों और पीडी खाता की राशि मामले पर सरकार को ध्यान दिलाया है. कैग ने चेताया है कि राज्य सरकार की बकाया गारंटी राशि 25 हजार करोड़ से अधिक हो गई है, लेकिन राज्य द्वारा न तो गारंटी मोचन निधि का गठन किया है. न ही गारंटी की अधिकतम सीमा निर्धारण के लिए किसी तरह के नियम बनाए. यह चूक सरकार पर वित्तीय भार बढ़ा सकता है. पिछले पांच वर्षों 2017-18 से 2021-22 तक बकाया गारंटियों की अधिकतम राशि 20581.52 करोड़ से बढ़ा कर 37,631 करोड़ 92 लाख किया गया है. 31 मार्च 2022 तक कुल बकाया गारंटियों की रकम (ब्याज सहित) 25069 करोड़ 78 करोड़ थी. विधानमंडल में शुक्रवार को नियंत्रक महालेखापरीक्षक से प्राप्त 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए वर्ष 2021-22 के वित्त लेखे और विनियोग लेखे में यह खुलासा हुआ है. भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मू ने कहा है कि 2121-22 में 99178 करोड़ 89 करोड़ के 23188 उपयोगिता प्रमाण पत्र 31 अगस्त 2020 तक जमा नहीं किए. इसलिए इस बात का कोई आश्वासन नहीं है कि 99178.89 करोड़ की राशि का वास्तव में उसी मद में खर्च हुए जिसके लिए राशि स्वीकृत
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