बीएसएनएल की बहुप्रचारित भारत फाइबर योजना जिसका दावा गाँव-गाँव तक ऑप्टिकल फाइबर के जरिये तेज़ गति ब्रॉडबैंड सेवा पहुंचाना था वह कर्मचारियों-अधिकारियों की लापरवाही से भोजपुर जिले में पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना निजी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा के लिए लागू तो हो गई लेकिन निगम के स्टाफ इस योजना का देख-रेख कर पाने में पंगु हो चुके हैं।
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ज्ञात हो कि पिछले महीने की 17 तारीख को स्टेशन रोड पर भूमिगत फाइबर जल-नल योजना के काम के दौरान कट गया था। उसकी मरम्मत करने के बजाय 3 दिन के बाद बाजार समिति से पुराने एक्सचेंज तक आने वाले केबल को भाया कोइलवर-बबुरा होकर जोड़ा गया था। यह अस्थाई व्यवस्था टिक नहीं पाई और एक बार फिर से लगभग पूरे आरा के 2 महत्त्वपूर्ण एक्सचेंज पुरानी कचहरी और महाराजा हाता पूरी तरह से ठप्प पड़ा हुआ है। नतीज़ा यह है कि एस पी आवास, समाहरणालय, कृषि विभाग, सिविल कोर्ट जैसे कई महत्त्वपूर्ण संस्थानों की लैंडलाइन और इंटरनेट सेवा बन्द पड़ी हुई है। इसके पहले भी बाजार समिति से पुराने कचहरी एक्सचेंज तक आने के तीन रुट थे जो एक-एक करके ठप्प पड़ते गए और निगम किसी की मरम्मत नहीं करवा सका। अभी भाया कोइलवर-जमालपुर जो रुट चल रहा था वह भी कोइलवर और बबुरा एक्सचेंज में बैटरी की कमी के कारण बाधित होता रहा था और अब तो बिल्कुल भी बन्द हो गया है।
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इस सम्बन्ध में बात करने पर बीएसएनएल से जुड़े स्टाफ ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि भारत फाइबर सेवा निजी ऑपरेटर के साथ अनुबंध पर चलानी थी जिसमें निगम ऑपरेटर को इंटरनेट और फोन की लाइन देगा जिसे ऑपरेटर आगे ग्राहकों के घर तक पहुंचाएगा मगर निगम की उदासीनता की वजह से ऑपरेटरों को ग्राहकों का गुस्सा झेलना पड़ता है और व्यवसाय पर असर पड़ा है। ग्राहकों ने बताया कि बीएसएनएल सेवा से जुड़े सरकारी कार्यालय और आवास में जब यह स्थिति है और जिलाधिकारी संज्ञान नहीं ले रहे तो फिर आम जनता की ट्वीट और शिकायत कौन सुनेगा। फिलहाल स्थिति यह है कि लगभग आधे से ज्यादा आरा शहर में नेट, लैंडलाइन बिल्कुल बन्द है और मोबाइल सेवा रुक-रुक कर चल रही है। सवाल यह भी है कि कहीं यह सब भी निजी कम्पनियों को फायदा पहुंचाने की सोची-समझी रणनीति तो नहीं।
आरा से रवि प्रकाश सूरज की रिपोर्ट